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स्वतंत्र भारत के इतिहास में 1957 में यहां हुई थी बूथ लूट की पहली घटना, गांव के युवा आज भी शर्मिंदा

लोकतंत्र के महापर्व में घटने वाले कई ऐसे काले अध्याय हैं. जिन्हें सुनने के बाद दिल सहम जाता है. स्वतंत्र भारत में बूथ कैप्चरिंग की ऐसी ही घटना 1957 में बेगूसराय जिले के रचियाही गांव में हुई थी. इतिहास बन चुकी बूथ लूट की इस घटना को याद करके गांव के युवा शर्मिंदगी महसूस करते हैं.

बूथ लूट की घटना को याद करते ग्रामीण
बूथ लूट की घटना को याद करते ग्रामीण
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Published : Nov 4, 2020, 2:30 PM IST

Updated : Nov 13, 2020, 11:20 AM IST

बेगूसराय: स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार बूथ लूट की घटना 1957 में हुई थी. बेगूसराय जिले के मटिहानी प्रखंड के रचियाही गांव के कचहरी टोला में हुई इस घटना को याद करके लोग आज भी सहम जाते हैं.

कचहरी टोल में हुई थी घटना
कचहरी टोल में हुई थी घटना

बूथ लूट की घटना से युवा शर्मिंदा
लोकतंत्र के इतिहास में चर्चित बूथ लूट की ये घटना आज भले ही इतिहास बन गई हो, लेकिन रचियाही गांव के लोग इस इतिहास को काला अध्याय मानते हैं. खास बात यह है कि गांव के युवा इस घटना से खुद को शर्मिंदा महसूस करते हैं और वर्तमान की मतदान की कार्यशैली की व्यवस्था से बेहद खुश नजर आते हैं.

देखें रिपोर्ट.

क्या था बूथ लूट का पूरा मामला ?
1957 में रचियाही बूथ पर तीन गांव के लोग वोट करने आते थे. उस वक्त कांग्रेस के प्रत्याशी सरजू प्रसाद सिंह और कम्युनिस्ट पार्टी के चंद्रशेखर प्रसाद सिंह के बीच मुख्य मुकाबला था. बेगूसराय से तकरीबन 6 किलोमीटर दूर रचियाही में कचहरी हुआ करती थी. जहां रामदिरी से सिमरिया तक के लोगों की जमीन की रसीद काटी जाती थी.

बूथ लूट की पहली घटना
बूथ लूट की पहली घटना

हथियारों से लैस लोगों ने की थी लूटपाट
1957 में रचियाही गांव के कचहरी में पोलिंग बूथ बनाया गया था. इस बूथ पर मचहा समेत तीन गांव के लोग वोट करने आते थे. यह वह दौर था जब यहां कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी सक्रिय हुआ करती थी. घटना के संबंध में बताया जाता है कि उस वक्त हथियार और डंडे से लैस लोगों ने मतदाताओं को रास्ते में रोक लिया और इस बीच बूथ पर कब्जा कर लिया.

लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय
लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय

बेगूसराय: स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार बूथ लूट की घटना 1957 में हुई थी. बेगूसराय जिले के मटिहानी प्रखंड के रचियाही गांव के कचहरी टोला में हुई इस घटना को याद करके लोग आज भी सहम जाते हैं.

कचहरी टोल में हुई थी घटना
कचहरी टोल में हुई थी घटना

बूथ लूट की घटना से युवा शर्मिंदा
लोकतंत्र के इतिहास में चर्चित बूथ लूट की ये घटना आज भले ही इतिहास बन गई हो, लेकिन रचियाही गांव के लोग इस इतिहास को काला अध्याय मानते हैं. खास बात यह है कि गांव के युवा इस घटना से खुद को शर्मिंदा महसूस करते हैं और वर्तमान की मतदान की कार्यशैली की व्यवस्था से बेहद खुश नजर आते हैं.

देखें रिपोर्ट.

क्या था बूथ लूट का पूरा मामला ?
1957 में रचियाही बूथ पर तीन गांव के लोग वोट करने आते थे. उस वक्त कांग्रेस के प्रत्याशी सरजू प्रसाद सिंह और कम्युनिस्ट पार्टी के चंद्रशेखर प्रसाद सिंह के बीच मुख्य मुकाबला था. बेगूसराय से तकरीबन 6 किलोमीटर दूर रचियाही में कचहरी हुआ करती थी. जहां रामदिरी से सिमरिया तक के लोगों की जमीन की रसीद काटी जाती थी.

बूथ लूट की पहली घटना
बूथ लूट की पहली घटना

हथियारों से लैस लोगों ने की थी लूटपाट
1957 में रचियाही गांव के कचहरी में पोलिंग बूथ बनाया गया था. इस बूथ पर मचहा समेत तीन गांव के लोग वोट करने आते थे. यह वह दौर था जब यहां कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी सक्रिय हुआ करती थी. घटना के संबंध में बताया जाता है कि उस वक्त हथियार और डंडे से लैस लोगों ने मतदाताओं को रास्ते में रोक लिया और इस बीच बूथ पर कब्जा कर लिया.

लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय
लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय
Last Updated : Nov 13, 2020, 11:20 AM IST
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