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आंगनबाड़ी सेविकाओं को दिया गया प्रशिक्षण, केंद्र के आसपास की जमीन को किचन गार्डन बनवाने की अपील - बांका समाचार

जिले में एकदिवसीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में आंगनबाड़ी सेविकाओं को प्रशिक्षण दिया गया. इस कार्यशाला में उपस्थित वैज्ञानिकों ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में कुपोषण की समस्या काफी गंभीर है.

training given to anganwadi workers
आंगनबाड़ी सेविकाओं को दिया गया प्रशिक्षण
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Published : Sep 19, 2020, 8:02 AM IST

बांका: जिले में आंगनबाड़ी सेविकाओं के लिए एकदिवसीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 90 से अधिक आंगनबाड़ी सेविका और महिला किसान शामिल हुईं. कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ. मुनेश्वर प्रसाद ने आंगनबाड़ी सेविकाओं से केंद्र के आसपास की जमीन को किचन गार्डन में तब्दील करने का आग्रह किया.

ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण की समस्या चिंताजनक
इस कार्यशाला में केंद्र के वरीय वैज्ञानिक और प्रधान डाॅ. मुनेश्वर प्रसाद ने सेविकाओं काे जानकारी देते हुए बताया कि देश में कुपोषण की काफी समस्या है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों में यह समस्या चिंताजनक है. इसके पीछे का एक मात्र कारण असंतुलित मात्रा में रासायनिक खाद के अधिक प्रयोग है. किसान यदि अपने खेतों में संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों का प्रयोग करें तो, कुपोषण की समस्या से निजात दिलाने और रासायनिक खाद पर निर्भरता को कम किया जा सकता है.

training given to anganwadi workers
आंगनबाड़ी सेविकाओं को दिया गया प्रशिक्षण

आंगनबाड़ी केंद्र के जमीन को किचन गार्डन में करें तब्दील
वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ. मुनेश्वर प्रसाद ने बताया कि आंगनबाड़ी केन्द्र के आसपास की जमीन को किचन गार्डेन के रूप में विकसित कर दिया जाए. इससे यहां बिना रासायनिक खाद के उपयोग किए बगैर जैविक तरीके से हरी सब्जी का उत्पादन किया जा सकता है, जिससे बच्चों को बच्चों को पौष्टिक भोजन दिया जा सकता है. वहीं पशु वैज्ञानिक डाॅ. धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि गौपालन जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए काफी सहायक होता है.

आंगनबाड़ी सेविकाओं ने भी साझा किया अपना अनुभव
आंगनबाड़ी सेविका ने कल्याणी सिंह ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि बच्चों और गर्भवती स्त्री के कुपोषण को दूर करने में आंगनबाड़ी केन्द्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. आंगनबाड़ी केन्द्र गर्भवती स्त्री से लेकर गर्भ में पल रहे बच्चे के पोषण को सुधारने की दिशा में काम करता है. प्रसव के बाद बच्चे और उसकी मां को प्रोटीन, मिनरल, आयरन और अन्य पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जाता है. कार्यशाला में मौसम वैज्ञानिक जुबुली साहू, श्वेता कुमारी और यंग प्रोफेशनल जुलियस मुन्ना ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए.

बांका: जिले में आंगनबाड़ी सेविकाओं के लिए एकदिवसीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 90 से अधिक आंगनबाड़ी सेविका और महिला किसान शामिल हुईं. कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ. मुनेश्वर प्रसाद ने आंगनबाड़ी सेविकाओं से केंद्र के आसपास की जमीन को किचन गार्डन में तब्दील करने का आग्रह किया.

ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषण की समस्या चिंताजनक
इस कार्यशाला में केंद्र के वरीय वैज्ञानिक और प्रधान डाॅ. मुनेश्वर प्रसाद ने सेविकाओं काे जानकारी देते हुए बताया कि देश में कुपोषण की काफी समस्या है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों में यह समस्या चिंताजनक है. इसके पीछे का एक मात्र कारण असंतुलित मात्रा में रासायनिक खाद के अधिक प्रयोग है. किसान यदि अपने खेतों में संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों का प्रयोग करें तो, कुपोषण की समस्या से निजात दिलाने और रासायनिक खाद पर निर्भरता को कम किया जा सकता है.

training given to anganwadi workers
आंगनबाड़ी सेविकाओं को दिया गया प्रशिक्षण

आंगनबाड़ी केंद्र के जमीन को किचन गार्डन में करें तब्दील
वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ. मुनेश्वर प्रसाद ने बताया कि आंगनबाड़ी केन्द्र के आसपास की जमीन को किचन गार्डेन के रूप में विकसित कर दिया जाए. इससे यहां बिना रासायनिक खाद के उपयोग किए बगैर जैविक तरीके से हरी सब्जी का उत्पादन किया जा सकता है, जिससे बच्चों को बच्चों को पौष्टिक भोजन दिया जा सकता है. वहीं पशु वैज्ञानिक डाॅ. धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि गौपालन जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए काफी सहायक होता है.

आंगनबाड़ी सेविकाओं ने भी साझा किया अपना अनुभव
आंगनबाड़ी सेविका ने कल्याणी सिंह ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि बच्चों और गर्भवती स्त्री के कुपोषण को दूर करने में आंगनबाड़ी केन्द्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. आंगनबाड़ी केन्द्र गर्भवती स्त्री से लेकर गर्भ में पल रहे बच्चे के पोषण को सुधारने की दिशा में काम करता है. प्रसव के बाद बच्चे और उसकी मां को प्रोटीन, मिनरल, आयरन और अन्य पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जाता है. कार्यशाला में मौसम वैज्ञानिक जुबुली साहू, श्वेता कुमारी और यंग प्रोफेशनल जुलियस मुन्ना ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किए.

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