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बांका: संकट मोचन धाम है गोड़ियारी नदी, यहां मिट जाती है कांवरियों की थकान

बिहार के सुल्तानगंज के गंगा धाम से झारखंड के बाबा धाम की दूरी 105 किलोमीटर है. इस यात्रा के बीच गोड़ियारी नदी पड़ती है. जो कांवड़ियों लिए सबसे सुखद जगह बन गयी है. यहां नहाते ही कांवड़ियों की थकान मिट जाती है.

पानी के बीच लगी है रंग बिरंगी कुर्सीयां
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Published : Jul 31, 2019, 9:21 PM IST

बांका: बिहार के सुल्तानगंज स्थित गंगा धाम से झारखंड स्थित बाबा धाम की दूरी 105 किलोमीटर है. यहां कांवड़िया पैदल चल कर बाबा धाम पहुंचते हैं. इस यात्रा के बीच में जिले के चांदन स्थित गोड़ियारी नदी पड़ती है. जो कांवड़ियों लिए सबसे सुखद जगह बन गयी है. सावन भर यह नदी पिकनिक स्पॉट बनी रहती है.

कांवड़िया खिंचवाते हैं फोटो
90 किलोमीटर की यात्रा पूरी करने के बाद कांवड़ियों को थकान हो जाता है. जो इस नदी के जल में उतरते ही खत्म हो जाता है. नदी में स्थित पानी के बीच कांवड़ियों को बेहद आनंद की अनुभूति होती है. यहां 500 से अधिक फोटोग्राफर हैं जो कांवड़िया की फोटो खींचते हैं.

गोड़ियारी नदी, कांवरिया का संकट मोचन धाम

पानी के बीच लगी है रंग बिरंगी कुर्सियां
नदी में पानी के धारा के बीच रंग बिरंगी फाइबर की कुर्सियां लगी हुई हैं. जिस पर बैठकर कांवड़िया छोला-भटूरा, कचौड़ी-सब्जी और गरम मकई खाने का आनंद उठाते हैं. दिन हो या रात इस नदी में एक अलग सा माहौल बना रहता है. इस संबंध में कटिहार के कांवड़िया राजू बम, सोहन बम, मधुबनी के सुनील बम, नेपाल के सुरेंद्र बम ने बताया कि सुल्तानगंज से चलकर यहां तक आने में जो थकान महसूस होती है. वह इस नदी में उतरते ही समाप्त हो जाती है.

बांका
गोड़ियारी नदी में कांवड़ियों की लगी भीड़

सुखद हो जाती है बाबा धाम की यात्रा
इस नदी के बाद 12 किमी पर बाबा धाम है. कांवड़ियों का कहना है कि यहां नहाने के बाद बाकी की यात्रा काफी सुखद हो जाती है. इसलिए इस नदी को संकट मोचन धाम भी कहा जाता है. यहां महिला और पुरुष कांवड़िया घोड़े पर चढ़कर या भगवान शिव के रूप में तैयार होकर फोटो खिंचवाते हैं. यह नदी सुल्तानगंज से देवघर तक सबसे बड़ा व्यवसाय का केंद्र बन गया है. यहां आने वाले हर कांवड़िया पैसे खर्च कर आनंद लेते हैं और यहां से खुशी-खुशी बाबाधाम की यात्रा करते हैं.

बांका: बिहार के सुल्तानगंज स्थित गंगा धाम से झारखंड स्थित बाबा धाम की दूरी 105 किलोमीटर है. यहां कांवड़िया पैदल चल कर बाबा धाम पहुंचते हैं. इस यात्रा के बीच में जिले के चांदन स्थित गोड़ियारी नदी पड़ती है. जो कांवड़ियों लिए सबसे सुखद जगह बन गयी है. सावन भर यह नदी पिकनिक स्पॉट बनी रहती है.

कांवड़िया खिंचवाते हैं फोटो
90 किलोमीटर की यात्रा पूरी करने के बाद कांवड़ियों को थकान हो जाता है. जो इस नदी के जल में उतरते ही खत्म हो जाता है. नदी में स्थित पानी के बीच कांवड़ियों को बेहद आनंद की अनुभूति होती है. यहां 500 से अधिक फोटोग्राफर हैं जो कांवड़िया की फोटो खींचते हैं.

गोड़ियारी नदी, कांवरिया का संकट मोचन धाम

पानी के बीच लगी है रंग बिरंगी कुर्सियां
नदी में पानी के धारा के बीच रंग बिरंगी फाइबर की कुर्सियां लगी हुई हैं. जिस पर बैठकर कांवड़िया छोला-भटूरा, कचौड़ी-सब्जी और गरम मकई खाने का आनंद उठाते हैं. दिन हो या रात इस नदी में एक अलग सा माहौल बना रहता है. इस संबंध में कटिहार के कांवड़िया राजू बम, सोहन बम, मधुबनी के सुनील बम, नेपाल के सुरेंद्र बम ने बताया कि सुल्तानगंज से चलकर यहां तक आने में जो थकान महसूस होती है. वह इस नदी में उतरते ही समाप्त हो जाती है.

बांका
गोड़ियारी नदी में कांवड़ियों की लगी भीड़

सुखद हो जाती है बाबा धाम की यात्रा
इस नदी के बाद 12 किमी पर बाबा धाम है. कांवड़ियों का कहना है कि यहां नहाने के बाद बाकी की यात्रा काफी सुखद हो जाती है. इसलिए इस नदी को संकट मोचन धाम भी कहा जाता है. यहां महिला और पुरुष कांवड़िया घोड़े पर चढ़कर या भगवान शिव के रूप में तैयार होकर फोटो खिंचवाते हैं. यह नदी सुल्तानगंज से देवघर तक सबसे बड़ा व्यवसाय का केंद्र बन गया है. यहां आने वाले हर कांवड़िया पैसे खर्च कर आनंद लेते हैं और यहां से खुशी-खुशी बाबाधाम की यात्रा करते हैं.

Intro:गंगाधाम से बाबाधाम के बीच पैदल चलने वाले कांवरिया के बांका जिले चाँदन प्रखंड स्थित गोड़ियारी नदी में प्रवेश करते ही मिट जाती है थकान।उत्साहित कांवरिया पहुँचते है बाबाधामBody:बिहार के सुल्तानगंज स्थित गंगा धाम से झारखंड स्थित बाबा धाम तक एक सौ किलोमीटर की यात्रा में कांवरिया के लिए सबसे सुखद और आरामदायक जगह इन दिनों बांका जिले के चांदन स्थित गोड़ियारी नदी बन गया है। यह नदी पूरे सावन भर किसी पिकनिक स्पॉट से कम नजर नहीं आता है। लगभग 90 किलोमीटर की यात्रा पूरी करने के बाद कांवरिया को होने वाली पूरी थकान इस नदी के जल में उतरते ही समाप्त हो जाता है। इस नदी में स्थित पानी के बीच कांवरिया बेहद आनंद की अनुभूति प्राप्त करते हैं ।यहां 500 से अधिक फोटोग्राफर विभिन्न रूपों में कांवरिया को फोटो खींचने के लिए आकर्षित करते हैं। वही इस नदी में पानी की बीच धारा में रंग बिरंगी फाइबर कुर्सी पर बैठकर कांवरिया छोला भटूरा औऱ कचौड़ी सब्जी के साथ गरम-गरम मकई खाने का भी आनंद उठाते हैं। दिन और रात इस नदी में एक अलग ही माहौल बना रहता है। इस संबंध में कटिहार के कांवरिया राजू बम सोहन बम मधुबनी के सुनील बम नेपाल के सुरेंद्र बम ने बताया कि सुल्तानगंज से चलकर यहां तक आने में जो थकान महसूस होती है। वह किस नदी में उतरते ही समाप्त हो जाती है। और यहां के बाद सिर्फ 12 किलोमीटर की बाबा धाम की यात्रा काफी सुखद और बिना किसी कष्ट के दूर हो जाता है। इसलिए इस नदी को संकट मोचन धाम भी कहा जाता है। यहां महिलाएं और पुरुष कांवरिया घोड़े पर चढ़कर या भगवान शिव के रूप में तैयार होकर फोटो खिंचवाने का आनंद प्राप्त करते हैं। यह नदी सुल्तानगंज से देवघर तक सबसे बड़ा व्यवसाय केंद्र बनकर रह गया है। यहां आने वाले हर कांवरिया कुछ न कुछ पैसे खर्च कर आनंद की अनुभूति प्राप्त करते हैं।Conclusion:यह नदी कांवरिया के लिए सबसे अच्छा पिकनिक स्पोर्ट भी है जहां कांवरिया नदी की बीच धारा में बैठ कर आनन्दित होकर अठखेलियाँ करते है औऱ यहाँ से आनन्दित होकर बाबाधाम चले जाते है।
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