बांका: बिहार के सुल्तानगंज स्थित गंगा धाम से झारखंड स्थित बाबा धाम की दूरी 105 किलोमीटर है. यहां कांवड़िया पैदल चल कर बाबा धाम पहुंचते हैं. इस यात्रा के बीच में जिले के चांदन स्थित गोड़ियारी नदी पड़ती है. जो कांवड़ियों लिए सबसे सुखद जगह बन गयी है. सावन भर यह नदी पिकनिक स्पॉट बनी रहती है.
कांवड़िया खिंचवाते हैं फोटो
90 किलोमीटर की यात्रा पूरी करने के बाद कांवड़ियों को थकान हो जाता है. जो इस नदी के जल में उतरते ही खत्म हो जाता है. नदी में स्थित पानी के बीच कांवड़ियों को बेहद आनंद की अनुभूति होती है. यहां 500 से अधिक फोटोग्राफर हैं जो कांवड़िया की फोटो खींचते हैं.
पानी के बीच लगी है रंग बिरंगी कुर्सियां
नदी में पानी के धारा के बीच रंग बिरंगी फाइबर की कुर्सियां लगी हुई हैं. जिस पर बैठकर कांवड़िया छोला-भटूरा, कचौड़ी-सब्जी और गरम मकई खाने का आनंद उठाते हैं. दिन हो या रात इस नदी में एक अलग सा माहौल बना रहता है. इस संबंध में कटिहार के कांवड़िया राजू बम, सोहन बम, मधुबनी के सुनील बम, नेपाल के सुरेंद्र बम ने बताया कि सुल्तानगंज से चलकर यहां तक आने में जो थकान महसूस होती है. वह इस नदी में उतरते ही समाप्त हो जाती है.
सुखद हो जाती है बाबा धाम की यात्रा
इस नदी के बाद 12 किमी पर बाबा धाम है. कांवड़ियों का कहना है कि यहां नहाने के बाद बाकी की यात्रा काफी सुखद हो जाती है. इसलिए इस नदी को संकट मोचन धाम भी कहा जाता है. यहां महिला और पुरुष कांवड़िया घोड़े पर चढ़कर या भगवान शिव के रूप में तैयार होकर फोटो खिंचवाते हैं. यह नदी सुल्तानगंज से देवघर तक सबसे बड़ा व्यवसाय का केंद्र बन गया है. यहां आने वाले हर कांवड़िया पैसे खर्च कर आनंद लेते हैं और यहां से खुशी-खुशी बाबाधाम की यात्रा करते हैं.