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बांका: निकाली गई भगवान मधुसूदन की रथ यात्रा, कोरोना के कारण श्रद्धालुओं की कमी - बौंसी प्रखंड में भगवान मधुसूदन की रथयात्रा

बौंसी प्रखंड स्थित मंदार पर्वत पर भगवान मधुसूदन की रथयात्रा गुरुवार को जयकारे के बीच निकली. कोरोना के कारण कई श्रद्धालु इस यात्रा में भाग नहीं ले सके.

Rath Yatra of Lord Madhusudan
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Published : Jan 14, 2021, 10:46 PM IST

बांका: जिले के बौंसी प्रखंड स्थित मंदार पर्वत पर भगवान मधुसूदन की रथयात्रा गुरुवार को जयकारे के बीच निकली. भगवान मधुसूदन की शोभा यात्रा गरुड़ रथ पर बिठाकर निकाली गई. इसमें सैकड़ों लोगों ने शरीक होकर भगवान मधुसूदन की पूजा-अर्चना की. हालांकि कोरोना के कारण इस बार का रथ यात्रा फीका रहा. जिला प्रशासन ने कोरोना गाइडलाइन के तहत रथ यात्रा निकलने की अनुमति दी थी. जिसके कारण पहले की अपेक्षा काफी कम भीड़ जुटी थी.

वैदिक मंत्रोच्चार के साथ निकाली गई रथ यात्रा
विद्वान पंडितों द्वारा वेद-मंत्रोच्चारण के बीच अभिषेक कर रथयात्रा का निकाली गयी. रथयात्रा के आगे-आगे नागाड़ा, झाल, करताल के साथ उद्घोष करते महंथ भोली बाबा आश्रम के शिष्यों के साथ पंडा समाज के लोग सहित श्रद्धालुओं की सीमित भीड़ रेलवे स्टेशन रोड, गांधी चौक होते हुए महावीर मंदिर चौक पहुंची. जहां से फिर मेन चौक होते हुए बौंसी मेला रोड की ओर रथ वापस हुई. इस दौरान मारवाड़ी समाज के लोगों ने भगवान मधुसूदन की पूजा अर्चना कर नैवैद्य से अभिषेक किया. रथयात्रा के दौरान लोगों ने मिठाई, बतासा चढ़ाए. वहीं इस दौरान रथ को खींचने की होड़ मची रही. बता दें कि मधुसूदन नगरी बौंसी में रथयात्रा की परंपरा काफी पुरानी है, जो जगन्नाथपुरी के भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की रथयात्रा की तरह होती है. अच्छी फसल की कामना को लेकर स्थानीय कृषक भगवान मधुसूदन से मनोकामना करते हैं.

कोरोना के चलते श्रद्धालुओं की रही कमी
बता दें कि बौंसी में निकलने वाले भगवान मधुसूदन की रथ यात्रा में हर वर्ष 50 हजार से अधिक लोग शामिल होते हैं. सड़कें श्रद्धालुओं से भरी रहती थी. लेकिन इस बार ऐसा न हो सका. मंदार में भगवान मधुसूदन की रात यात्रा पूरे अंग क्षेत्र में प्रसिद्ध है. बिहार के अलावा झारखंड और बंगाल से भारी संख्या में श्रद्धलुओं का जमावड़ा लगता है. लेकिन इस बार कोरोना के कारण कई श्रद्धालु इस यात्रा में भाग नहीं ले सके.

बांका: जिले के बौंसी प्रखंड स्थित मंदार पर्वत पर भगवान मधुसूदन की रथयात्रा गुरुवार को जयकारे के बीच निकली. भगवान मधुसूदन की शोभा यात्रा गरुड़ रथ पर बिठाकर निकाली गई. इसमें सैकड़ों लोगों ने शरीक होकर भगवान मधुसूदन की पूजा-अर्चना की. हालांकि कोरोना के कारण इस बार का रथ यात्रा फीका रहा. जिला प्रशासन ने कोरोना गाइडलाइन के तहत रथ यात्रा निकलने की अनुमति दी थी. जिसके कारण पहले की अपेक्षा काफी कम भीड़ जुटी थी.

वैदिक मंत्रोच्चार के साथ निकाली गई रथ यात्रा
विद्वान पंडितों द्वारा वेद-मंत्रोच्चारण के बीच अभिषेक कर रथयात्रा का निकाली गयी. रथयात्रा के आगे-आगे नागाड़ा, झाल, करताल के साथ उद्घोष करते महंथ भोली बाबा आश्रम के शिष्यों के साथ पंडा समाज के लोग सहित श्रद्धालुओं की सीमित भीड़ रेलवे स्टेशन रोड, गांधी चौक होते हुए महावीर मंदिर चौक पहुंची. जहां से फिर मेन चौक होते हुए बौंसी मेला रोड की ओर रथ वापस हुई. इस दौरान मारवाड़ी समाज के लोगों ने भगवान मधुसूदन की पूजा अर्चना कर नैवैद्य से अभिषेक किया. रथयात्रा के दौरान लोगों ने मिठाई, बतासा चढ़ाए. वहीं इस दौरान रथ को खींचने की होड़ मची रही. बता दें कि मधुसूदन नगरी बौंसी में रथयात्रा की परंपरा काफी पुरानी है, जो जगन्नाथपुरी के भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की रथयात्रा की तरह होती है. अच्छी फसल की कामना को लेकर स्थानीय कृषक भगवान मधुसूदन से मनोकामना करते हैं.

कोरोना के चलते श्रद्धालुओं की रही कमी
बता दें कि बौंसी में निकलने वाले भगवान मधुसूदन की रथ यात्रा में हर वर्ष 50 हजार से अधिक लोग शामिल होते हैं. सड़कें श्रद्धालुओं से भरी रहती थी. लेकिन इस बार ऐसा न हो सका. मंदार में भगवान मधुसूदन की रात यात्रा पूरे अंग क्षेत्र में प्रसिद्ध है. बिहार के अलावा झारखंड और बंगाल से भारी संख्या में श्रद्धलुओं का जमावड़ा लगता है. लेकिन इस बार कोरोना के कारण कई श्रद्धालु इस यात्रा में भाग नहीं ले सके.

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