बांका: आज भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (Shyama Prasad Mukherjee) की पुण्यतिथि है. बीजेपी (BJP) इसे पूरे देश में बलिदान दिवस के रूप में मनाती है. बांका में भी स्थानीय बीजेपी विधायक रामनारायण मंडल (MLA Ramnarayan Mandal) ने जिला कार्यालय में उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर उनके योगदान को याद किया.
ये भी पढ़ें- धारा 370 हटाकर BJP ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को किया पूरा: संजय जायसवाल
जांच के घेरे में बलिदान
पूर्व मंत्री और विधायक रामनारायण मंडल ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को याद करते हुए कहा कि उन्होंने राष्ट्रवाद का जो संदेश दिया था, उसमें 'एक निशान, एक विधान और एक प्रधान' का नारा शामिल था. उन्होंने कहा कि आज ही के दिन उनका बलिदान हुआ था. हालांकि ये बात सही है कि आज भी उनका बलिदान जांच के घेरे में है. अब तक मामले की पूर्ण रूप से जांच नहीं हो पाई है.
"बलिदान दिवस पर सभी भाजपा और संघ परिवार उन्हें नमन करने के लिए एकत्रित हुए हैं. इस पुण्यतिथि पर उन्हें शत-शत नमन करते हैं और उनके पद चिह्नों पर चलने का सभी कार्यकर्ताओं से आह्वान करते हैं"- रामनारायण मंडल, विधायक, बीजेपी
विधायक ने किया पौधरोपण
बीजेपी कार्यकर्ताओं ने इस मौके पर पौधरोपण कार्यक्रम का भी आयोजन किया. विधायक रामनारायण मंडल सहित तमाम भाजपा कार्यकर्ता शहर के आरएमके इंटर स्तरीय स्कूल परिसर पहुंचे. जहां प्रधानाचार्य जवाहर प्रसाद सुधाकर सहित अन्य शिक्षकों ने उन्हें बुके देकर स्वागत किया. इसके बाद स्कूल परिसर में विधायक सहित अन्य कार्यकर्ताओं ने आंवला सहित अन्य फलदार पौधे लगाए. विधायक ने स्कूल में पांच पौधे लगाते हुए शिक्षकों से इसकी देखरेख करने की अपील की.
नेताओं ने लिया संकल्प
जिला मुख्यालय स्थित कार्यालय में विधायक रामनारायण मंडल के अलावे जिलाध्यक्ष विकास सिंह समेत बड़ी संख्या में पार्टी के कार्यकर्ता मौजूद थे. सभी ने श्यामा प्रसाद को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के बाद उनके पदचिह्नों पर चलने का संकल्प लिया.
ये भी पढ़ें- जनसंख्या नियंत्रण को लेकर BJP विधायक हरि भूषण ठाकुर का बयान, बिहार में भी लागू हो कानून
जाने कौन थे श्यामा प्रसाद मुखर्जी
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे. उनकी अगुवाई में जनसंघ ने देश के बंटवारे का विरोध किया था. वे कांग्रेस की पहली केंद्रीय कैबिनेट का हिस्सा थे, लेकिन जम्मू-कश्मीर के मसले पर उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दिया. 1953 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी बिना परमिट के जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर निकले, जहां उन्हें गिरफ्तार किया गया था. 23 जून, 1953 को जेल में ही उनकी मृत्यु हो गई थी.