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मुक्ति निकेतन गांवों में चला रही जागरुकता कार्यक्रम, महिलाओं को दी गई कई जानकारी - बांका लेटेस्ट न्यूज

कुपोषण मुक्त भारत निर्माण को लेकर कटोरिया प्रखंड क्षेत्र के सुदूरवर्ती गांव में भी जागरिकता अभियान चलाए जा रहे हैं. जिसमें शिशुओं के खान-पान के बारे में महिलाओं को कई तरह की जानकारियां दी जा रही है.

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Published : Sep 26, 2020, 8:49 PM IST

बांका (कटोरिया): राष्ट्रीय पोषण माह में मुक्ति निकेतन भागलपुर की ओर से नुक्कड़ प्रश्नोतरी के माध्यम से कटोरिया प्रखंड अंतर्गत गांव-गांव मे जागरुकता और चेतना संवर्धन कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. संस्था के कार्यक्रम अध्यक्ष प्रणव कुमार ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत विभिन्न आयामों के चर्चा के अतिरिक्त पोषाहार के सरल उपाय बताए जा रहे हैं. जिसमें शिशुओं का पोषण, बच्चों का पोषण, महिलाओं और विकलांगो का पोषण समाज का एक बड़ा दायित्व है.

पोषण वाटिका को लेकर किया प्रेरित
जागरूकता कार्यक्रम के दौरान सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बताया गया कि लोग अपने घर के अंदर या बाहर छोटी- छोटी गृह वाटिका लगाकर पोषक पदार्थों की पूर्ति कर सकते हैं. शिशुओ और बच्चों को मां का दूध और बकरी का दूध देकर उच्च गुणवत्ता वाले पोषण प्रदान किये जा सकते हैं. घर मे एक बकरी पालना कभी भी बहुत कठिन नहीं होता. डब्बे के दूध और शिशु के आहारों के बदले बच्चों को घर में बनी दाल, चावल और हरी सब्जी की आदत डलवाकर कुपोषण को दूर भगाया जा सकता है. समाज को सबसे ज्यादा जरूरत सही जानकारी की है. यही जानकारी लेने की कोशिश पूर्ण जान सहभागिता के साथ आम लोगों में बांटने की कोशिश कर रहा है.

सुदूरवर्ती गांव में भी चल रहा अभियान
बता दें कि पोषण की सही जानकारी होने से साधारण से साधारण परिवार भी कुपोषण से बच सकता है. प्रोटीन, विटामिन, मिनरल, वसा और लवण के लिए आवश्यक तत्व शुद्ध अन्न, साग सब्जी, गाय का दूध, बकरी का दूध और मां के दूध में पर्याप्त रूप से पोषण विद्यमान है. कार्यक्रम का नेतृत्व मुक्ति निकेतन संस्था के अध्यक्ष प्रणव कुमार ने किया.

बांका (कटोरिया): राष्ट्रीय पोषण माह में मुक्ति निकेतन भागलपुर की ओर से नुक्कड़ प्रश्नोतरी के माध्यम से कटोरिया प्रखंड अंतर्गत गांव-गांव मे जागरुकता और चेतना संवर्धन कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. संस्था के कार्यक्रम अध्यक्ष प्रणव कुमार ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत विभिन्न आयामों के चर्चा के अतिरिक्त पोषाहार के सरल उपाय बताए जा रहे हैं. जिसमें शिशुओं का पोषण, बच्चों का पोषण, महिलाओं और विकलांगो का पोषण समाज का एक बड़ा दायित्व है.

पोषण वाटिका को लेकर किया प्रेरित
जागरूकता कार्यक्रम के दौरान सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बताया गया कि लोग अपने घर के अंदर या बाहर छोटी- छोटी गृह वाटिका लगाकर पोषक पदार्थों की पूर्ति कर सकते हैं. शिशुओ और बच्चों को मां का दूध और बकरी का दूध देकर उच्च गुणवत्ता वाले पोषण प्रदान किये जा सकते हैं. घर मे एक बकरी पालना कभी भी बहुत कठिन नहीं होता. डब्बे के दूध और शिशु के आहारों के बदले बच्चों को घर में बनी दाल, चावल और हरी सब्जी की आदत डलवाकर कुपोषण को दूर भगाया जा सकता है. समाज को सबसे ज्यादा जरूरत सही जानकारी की है. यही जानकारी लेने की कोशिश पूर्ण जान सहभागिता के साथ आम लोगों में बांटने की कोशिश कर रहा है.

सुदूरवर्ती गांव में भी चल रहा अभियान
बता दें कि पोषण की सही जानकारी होने से साधारण से साधारण परिवार भी कुपोषण से बच सकता है. प्रोटीन, विटामिन, मिनरल, वसा और लवण के लिए आवश्यक तत्व शुद्ध अन्न, साग सब्जी, गाय का दूध, बकरी का दूध और मां के दूध में पर्याप्त रूप से पोषण विद्यमान है. कार्यक्रम का नेतृत्व मुक्ति निकेतन संस्था के अध्यक्ष प्रणव कुमार ने किया.

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