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बांका: प्रवासी मजदूर को नहीं मिला रोजगार, फिर से पलायन करने को हुए मजबूर - मजदूरों को नहीं मिला काम

बांका में प्रवासी मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा है. जिसकी वजह से मजदूर फिर से पलायन करने को मजबूर हो गए हैं.

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मजदूर को नहीं मिला रोजगार
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Published : Sep 10, 2020, 9:13 PM IST

बांका: सोमवार को पहली वर्चुअल रैली में मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में सरकार की उपलब्धियां गिनाई. उन्होंने कहा था कि अप्रैल महीने के बाद से ही मनरेगा और दूसरी योजनाओं में काम शुरू हुआ. जिसके बाद औसतन प्रतिदिन लगभग 10 लाख लोगों को काम मिल रहा है. लेकिन जिले के अत्यंत पिछड़े और पहाड़ी क्षेत्र के कटोरिया और चांदन प्रखंड में लोगों को काम नहीं मिल रहा है.

पलायन करने को मजबूर
कटोरिया से करीब चार दर्जन और चांदन के गौरीपुर से 75 मजदूर उदास मन से परदेश के लिए रवाना हो गए. ये वही मजदूर थे, जो चार माह पहले काफी परेशानी में अपने घर लौटे थे. उन्होंने सोचा था कि अगर अपने क्षेत्र में रोजगार मिलेगा, तो कभी भी दूसरे प्रदेश नहीं जायेंगे. लेकिन इनके अपने क्षेत्र में रोजगार मिलने के अरमान धरे रह गए.

मजदूरों के पास नहीं हैं पैसे
जिलों के प्रवासी मजदूर तमिलनाडु और गुजरात के लिये निकल पड़े हैंं. गरीबी का आलम ऐसा कि लोग अपनी जान की परवाह छोड़कर मजबूरी में परदेश पलायन कर गए. परदेश जाने वाले मजदूरों ने बताया कि कंपनी का ठेकेदार वहीं से बस लेकर आया, लेकिन इसका भाड़ा देने के लिये अधिकांश के पास पैसे नहीं थे.

कई लोगों ने बेचे मवेशी
ऐसे में अधिकांश लोगों ने अपनी मवेशी बेची तो, किसी ने घर की महिलाओं के जेवरात बंधक रखकर पैसा जुगाड़ किया. जिसके बाद प्रति मजदूर 6 हजार का भाड़ा देकर तमिलनाडु और गुजरात के लिए रवाना हो गए.

मनरेगा में नहीं मिला रोजगार
मजदूरों ने जाते हुए कहा कि आने के बाद सरकार की ओर से मुफ्त अनाज मिलने और यहीं काम मिलने की घोषणा होने पर बहुत खुश हुए थे. लेकिन समय बीतने के साथ ही मुफ्त अनाज भी नहीं मिल पाया और ना ही पंचायतों में मनरेगा की तरफ से कोई रोजगार ही मिला.

पलायान करने वाले मजदूरों में कटोरिया प्रखंड के हिन्दोलवारण के मुकेश राय, पिंटू राय, साजन राय, तेलभंगा के सिकंदर तांती, मुंगेर जिला के करेली के अमित तुरी, विक्रम तुरी शामिल हैं. वहीं चांदन प्रखंड के गौरीपुर पंचायत के तुर्की, गौरीपुर निवासी शंभु राउत लालमोहन राउत, सुरेश दास, मोहन दास सहित अन्य लोग शामिल रहे.

बांका: सोमवार को पहली वर्चुअल रैली में मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में सरकार की उपलब्धियां गिनाई. उन्होंने कहा था कि अप्रैल महीने के बाद से ही मनरेगा और दूसरी योजनाओं में काम शुरू हुआ. जिसके बाद औसतन प्रतिदिन लगभग 10 लाख लोगों को काम मिल रहा है. लेकिन जिले के अत्यंत पिछड़े और पहाड़ी क्षेत्र के कटोरिया और चांदन प्रखंड में लोगों को काम नहीं मिल रहा है.

पलायन करने को मजबूर
कटोरिया से करीब चार दर्जन और चांदन के गौरीपुर से 75 मजदूर उदास मन से परदेश के लिए रवाना हो गए. ये वही मजदूर थे, जो चार माह पहले काफी परेशानी में अपने घर लौटे थे. उन्होंने सोचा था कि अगर अपने क्षेत्र में रोजगार मिलेगा, तो कभी भी दूसरे प्रदेश नहीं जायेंगे. लेकिन इनके अपने क्षेत्र में रोजगार मिलने के अरमान धरे रह गए.

मजदूरों के पास नहीं हैं पैसे
जिलों के प्रवासी मजदूर तमिलनाडु और गुजरात के लिये निकल पड़े हैंं. गरीबी का आलम ऐसा कि लोग अपनी जान की परवाह छोड़कर मजबूरी में परदेश पलायन कर गए. परदेश जाने वाले मजदूरों ने बताया कि कंपनी का ठेकेदार वहीं से बस लेकर आया, लेकिन इसका भाड़ा देने के लिये अधिकांश के पास पैसे नहीं थे.

कई लोगों ने बेचे मवेशी
ऐसे में अधिकांश लोगों ने अपनी मवेशी बेची तो, किसी ने घर की महिलाओं के जेवरात बंधक रखकर पैसा जुगाड़ किया. जिसके बाद प्रति मजदूर 6 हजार का भाड़ा देकर तमिलनाडु और गुजरात के लिए रवाना हो गए.

मनरेगा में नहीं मिला रोजगार
मजदूरों ने जाते हुए कहा कि आने के बाद सरकार की ओर से मुफ्त अनाज मिलने और यहीं काम मिलने की घोषणा होने पर बहुत खुश हुए थे. लेकिन समय बीतने के साथ ही मुफ्त अनाज भी नहीं मिल पाया और ना ही पंचायतों में मनरेगा की तरफ से कोई रोजगार ही मिला.

पलायान करने वाले मजदूरों में कटोरिया प्रखंड के हिन्दोलवारण के मुकेश राय, पिंटू राय, साजन राय, तेलभंगा के सिकंदर तांती, मुंगेर जिला के करेली के अमित तुरी, विक्रम तुरी शामिल हैं. वहीं चांदन प्रखंड के गौरीपुर पंचायत के तुर्की, गौरीपुर निवासी शंभु राउत लालमोहन राउत, सुरेश दास, मोहन दास सहित अन्य लोग शामिल रहे.

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