बांका: जिले के चांदन नदी पर बनबारीडीह के पास 7 करोड़ 3 लाख, दोमुहान के पास 7 करोड़ 70 लाख और धमनजोर के पास 3 करोड़ की लागत से तीन पुल का निर्माण कराया गया है. कुल 17 करोड़ 73 लाख की लागत से तीन पुल बनने के बाद लोगों राह आसान हो गई है. अब लाखों की आबादी जिला मुख्यालय से भी सीधे जुड़ गई है. साथ ही व्यापार का भी रास्ता खुल गया है.
वर्ष 1995 में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद जिले के दो महत्वपूर्ण प्रखंड के और गांव के लाखों की आबादी लगभग 25 वर्षों तक जिला मुख्यालय से कटा रहा है. बांका आने के लिए इलाके के लोगों को 25 से 30 किलोमीटर तक का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ता था. बता दें कि 25 साल पहले आई विनाशकारी बाढ़ के दौरान नदी तीन हिस्सों में बंट गई थी. जिससे लोगों की आवाजाही प्रभावित हुई. साथ ही लोग टापू में रहने को विवश हो गए थे. स्थिति इतनी भयावह हो गई थी इन इलाकों में लोग अपनी बेटियों की शादी यहां करने से गुरेज करने लगे थे. चिकित्सीय सुविधा के लिए भी लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी.
100 से अधिक गांव के लाखों की आबादी होगी लाभान्वित
स्थानीय दिलीप कुशवाहा ने बताया कि यहां से लगातार सांसद और विधायक बनते रहे. लेकिन लोगों की समस्या जस की तस बनी रही. लगभग 25 वर्षों के बाद तीन पुल का निर्माण हो जाने से लोगों की जिंदगी बदल गई है. वहीं शिवनारायण यादव ने बताया कि वर्ष 1995 में आई बाढ़ के बाद हम लोग जंगल और टापू में रहने को विवश थे. जिला मुख्यालय जाने के लिए कई किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ता था. पुल बन जाने से कटोरिया और बौंसी प्रखंड के 100 से अधिक गांव के लाखों की आबादी इससे लाभान्वित होगी. साथ ही लोग अब कम समय में झारखंड भी बड़ी आसानी से जा सकते हैं. वहीं स्थानीय रवि कुमार ने बताया कि पुल नहीं रहने से व्यवसाय पूरी तरह से चौपट था. बारिश के दिनों में शहर से सामान लाना मुश्किल था. छोटे-छोटे सामान के लिए तरसना पड़ता था. पुल बनने के बाद लोगों की आवाजाही शुरू हो गई है. इससे व्यवसाय को भी बढ़ावा मिलेगा.
17 करोड़ 73 लाख की लागत से बना तीन पुल
बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामनारायण मंडल ने बताया कि दोमुहान के पास 7 करोड़ 70 लाख, बनबारीडीह के पास 7 करोड़ 3 लाख एवं धमनजोर के पास 3 करोड़ की लागत से तीन पुल का निर्माण कराया गया है. कुछ कार्य बांकी रह गया है उसे भी जल्द पूरा कर लिया जाएगा. तीनों पुल का निर्माण ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा किया गया है. पुल बन जाने के बाद झारखंड का रास्ता लगभग 15 किलोमीटर कम हो गया है. इससे दो प्रखंड के 100 से अधिक गांव के लगभग एक लाख से अधिक की आबादी को सीधा फायदा हुआ है. पुल बनने के बाद अब जल्द ही सड़कों का भी जीर्णोद्धार कार्य शुरू करवाया जाएगा.