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7 महीनों से ध्वस्त पड़ी है बांका की 'लाइफलाइन', सरकारी अनदेखी के कारण बढ़ी परेशानी

बांका के चांदन नदी पर बने पुल के जमीनदोज हुए सात माह से अधिक समय बीतने को है. लेकिन पुल और डायवर्सन बनाने की दिशा ठोस पहल का अभाव दिख रहा है. जिससे आम लोगों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है.

चांदन नदी पर बना पुल ध्वस्त
चांदन नदी पर बना पुल ध्वस्त
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Published : Aug 18, 2020, 3:14 PM IST

बांका: जिले का लाइफलाइन कहे जाने वाले चांदन नदी पर बने पुल का जमीनदोज हुए सात माह से अधिक समय बीत गया है. इस पुल के अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह बिहार को बंगाल और झारखंड से जोड़ने में एक कड़ी का काम करता है. लेकिन अब लोग एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर इस समस्या से निजात कब मिलेगा?

चांदन नदी पर बने पुल के जमीनदोज हो जाने के बाद 9 महत्वपूर्ण थाने के अलावा बाराहाट, बौंसी, रजौन और धोरैया के लाखों की आबादी पूरी तरह से जिला मुख्यालय से कटा हुआ है. सदर प्रखंड के 50 से अधिक ऐसे गांव हैं. जहां के लोगों को रोजी-रोटी का जुगाड़ बांका आए बगैर पूरा नहीं हो सकता है. वहीं, राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल की मानें तो केंद्र सरकार की ओर से लगभग 58 करोड़ की राशि पुल और डायवर्सन निर्माण के लिए स्वीकृत की गई है. फिलहाल लोगों के जेहन में एक ही सवाल बार-बार कौंध रहा है कि आखिर पुल का निर्माण कब शुरू होगा. इसका सटीक उत्तर किसी के पास नहीं है.

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चांदन नदी पर बने पुल का नजारा
महीनों से तकलीफों के दौर से गुजर रहे लोग ग्रामीण सुमन सिंह ने बताया कि जिला मुख्यालय से उनके गांव की दूरी महज 5 किलोमीटर है. कुछ दिन तक 32 किलोमीटर का चक्कर लगाकर बांका आना-जाना कर रहे थे. उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते आर्थिक तंगी की वजह से अब नदी के उस पार ही बाइक खड़ी कर बांका पैदल आना पड़ रहा है. ग्रामीण ने बताया कि आस-पास के 46 से अधिक गांव को लोगों को इसी रास्ते से बांका आना होता है.
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जान जोखिम में डालकर यातायात कर रहे लोग

'नहीं मदद कर रहे जनप्रतिनिधि'
वहीं, शहर के डोकानिया मार्केट में काम करने वाले हरीश झा ने बताया कि सात महीने से तकलीफों के दौर से गुजर रहे हैं. स्थानीय सांसद से लेकर विधायक तक लोगों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि नदी में अधिक पानी आ जाने के बाद आवाजाही भी बड़ी समस्या हो जाती है. जीविका का साधन बांका पर ही निर्भर है. इसलिए बांका आए बगैर परिवार भी चलाना मुश्किल है.

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लोगों को आवाजाही में हो रही परेशानी

व्यवसाय पूरी तरह से हो चुका है चौपट
बता दें कि चांदन नदी पर बने पुल के जमीनदोज हो जाने के बाद व्यवसाई से लेकर छोटे-छोटे दुकानदारों को भी परेशानी के दौर से गुजरना पड़ रहा है. गांव में किराना दुकान चलाने वाले राजवीर सिंह ने बताया कि सामान ले जाने में काफी परेशानी होती है. हालात ऐसे उत्पन्न हो गए हैं कि आमदनी से अधिक खर्च ही हो जा रहे हैं. वहीं, कुंदन सिंह बताते हैं कि पुल जमीनदोज हो जाने के बाद व्यवसाई वर्ग को काफी नुकसान हो रहा है. नदी के उस पार जितने भी ग्रामीण ग्राहक हैं, उनको बांका आने में परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि वे लोग बाराहाट, बौंसी और रजौन की ओर रुख कर लिया है. जिसके चलते बांका का व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो गया है. उन्होंने कहा कि रोजाना जहां 40 हजार की बिक्री हो जाती थी. अब सिमटकर 5 हजार तक पहुंच गया है. कोई भी भारी समान पुल के उस पार नहीं जा पा रहा है. सामान लाने में भी अतिरिक्त राशि खर्च करने पड़ रहे हैं.

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चांदन नदी पर बना पुल ध्वस्त
केंद्र सरकार ने 58 करोड़ किया है स्वीकृतमालूम हो कि बिहार के राजस्व और भूमि सुधार मंत्री रामनारायण मंडल की मानें तो बारिश के बाद चांदन नदी में डायवर्सन और पुल का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. यह पुल एनएच के अधीन आता है. उनका कहना है कि केंद्र सरकार के परिवहन विभाग के पास डीपीआर तैयार कर भेजा गया था. इसके अलावा केंद्र सरकार ने नदी पर पुल और डायवर्सन बनाने के लिए लगभग 58 करोड़ स्वीकृत की है. लंबी विभागीय प्रक्रिया के चलते पुल बनने में विलंब हो रहा है. उम्मीद है कि बारिश समाप्त होते ही पुल और डायवर्सन का निर्माण कार्य तेज गति से शुरू करवाया जाएगा.
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डायवर्सन बहा

बांका: जिले का लाइफलाइन कहे जाने वाले चांदन नदी पर बने पुल का जमीनदोज हुए सात माह से अधिक समय बीत गया है. इस पुल के अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह बिहार को बंगाल और झारखंड से जोड़ने में एक कड़ी का काम करता है. लेकिन अब लोग एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर इस समस्या से निजात कब मिलेगा?

चांदन नदी पर बने पुल के जमीनदोज हो जाने के बाद 9 महत्वपूर्ण थाने के अलावा बाराहाट, बौंसी, रजौन और धोरैया के लाखों की आबादी पूरी तरह से जिला मुख्यालय से कटा हुआ है. सदर प्रखंड के 50 से अधिक ऐसे गांव हैं. जहां के लोगों को रोजी-रोटी का जुगाड़ बांका आए बगैर पूरा नहीं हो सकता है. वहीं, राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल की मानें तो केंद्र सरकार की ओर से लगभग 58 करोड़ की राशि पुल और डायवर्सन निर्माण के लिए स्वीकृत की गई है. फिलहाल लोगों के जेहन में एक ही सवाल बार-बार कौंध रहा है कि आखिर पुल का निर्माण कब शुरू होगा. इसका सटीक उत्तर किसी के पास नहीं है.

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चांदन नदी पर बने पुल का नजारा
महीनों से तकलीफों के दौर से गुजर रहे लोग ग्रामीण सुमन सिंह ने बताया कि जिला मुख्यालय से उनके गांव की दूरी महज 5 किलोमीटर है. कुछ दिन तक 32 किलोमीटर का चक्कर लगाकर बांका आना-जाना कर रहे थे. उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते आर्थिक तंगी की वजह से अब नदी के उस पार ही बाइक खड़ी कर बांका पैदल आना पड़ रहा है. ग्रामीण ने बताया कि आस-पास के 46 से अधिक गांव को लोगों को इसी रास्ते से बांका आना होता है.
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जान जोखिम में डालकर यातायात कर रहे लोग

'नहीं मदद कर रहे जनप्रतिनिधि'
वहीं, शहर के डोकानिया मार्केट में काम करने वाले हरीश झा ने बताया कि सात महीने से तकलीफों के दौर से गुजर रहे हैं. स्थानीय सांसद से लेकर विधायक तक लोगों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि नदी में अधिक पानी आ जाने के बाद आवाजाही भी बड़ी समस्या हो जाती है. जीविका का साधन बांका पर ही निर्भर है. इसलिए बांका आए बगैर परिवार भी चलाना मुश्किल है.

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लोगों को आवाजाही में हो रही परेशानी

व्यवसाय पूरी तरह से हो चुका है चौपट
बता दें कि चांदन नदी पर बने पुल के जमीनदोज हो जाने के बाद व्यवसाई से लेकर छोटे-छोटे दुकानदारों को भी परेशानी के दौर से गुजरना पड़ रहा है. गांव में किराना दुकान चलाने वाले राजवीर सिंह ने बताया कि सामान ले जाने में काफी परेशानी होती है. हालात ऐसे उत्पन्न हो गए हैं कि आमदनी से अधिक खर्च ही हो जा रहे हैं. वहीं, कुंदन सिंह बताते हैं कि पुल जमीनदोज हो जाने के बाद व्यवसाई वर्ग को काफी नुकसान हो रहा है. नदी के उस पार जितने भी ग्रामीण ग्राहक हैं, उनको बांका आने में परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि वे लोग बाराहाट, बौंसी और रजौन की ओर रुख कर लिया है. जिसके चलते बांका का व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो गया है. उन्होंने कहा कि रोजाना जहां 40 हजार की बिक्री हो जाती थी. अब सिमटकर 5 हजार तक पहुंच गया है. कोई भी भारी समान पुल के उस पार नहीं जा पा रहा है. सामान लाने में भी अतिरिक्त राशि खर्च करने पड़ रहे हैं.

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चांदन नदी पर बना पुल ध्वस्त
केंद्र सरकार ने 58 करोड़ किया है स्वीकृतमालूम हो कि बिहार के राजस्व और भूमि सुधार मंत्री रामनारायण मंडल की मानें तो बारिश के बाद चांदन नदी में डायवर्सन और पुल का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. यह पुल एनएच के अधीन आता है. उनका कहना है कि केंद्र सरकार के परिवहन विभाग के पास डीपीआर तैयार कर भेजा गया था. इसके अलावा केंद्र सरकार ने नदी पर पुल और डायवर्सन बनाने के लिए लगभग 58 करोड़ स्वीकृत की है. लंबी विभागीय प्रक्रिया के चलते पुल बनने में विलंब हो रहा है. उम्मीद है कि बारिश समाप्त होते ही पुल और डायवर्सन का निर्माण कार्य तेज गति से शुरू करवाया जाएगा.
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डायवर्सन बहा
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