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आइसोलेशन सेंटर में सुविधाओं का अभाव, जेल से भी बदतर स्थिति में हैं कई केंद्र

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Published : Apr 9, 2020, 11:09 PM IST

आइसोलेशन सेंटर में नाश्ता और भोजन के नाम पर चूड़ा, मुड़ी, इत्यादि देकर खानापूर्ति की जाती है. दवा, जांच, मास्क और साबुन का भी सेंटर पर अभाव है. जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां दूसरे राज्यों से आने वाले लोगो की जांच नहीं हो सकी है.

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आइसोलेशन सेंटर

बांका: कोरोना के संक्रमण के रोकथाम के लिए केंद्र औऱ राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है. ताकि लोगों को इस बीमारी से बचाया जा सके. दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों के लिए जिला मुख्यालय से लेकर पंचायत स्तर तक आइसोलेशन सेंटर बनाया गया है. लेकिन इसकी व्यवस्था पर अब अंगुली उठनी शुरू हो गयी है.

जिला मुख्यालय में बनाये गए केंद्र को छोड़ शेष सभी आइसोलेशन सेंटर सिर्फ कागज पर चल रहा है. पंचायत स्तर पर पंचायत भवन या विद्यालय में सेंटर बनाया गया है. इन सेंटरों पर कहीं चौकीदार तो कहीं सिर्फ एएनएम और कुछ जगह पर ताला लगाकर छोड़ दिया गया है. पंचायत के कई केंद्र पर कोई भी रहने वाला नहीं है. जिला मुख्यालय के अलावा कटोरिया, चांदन, अमरपुर, रजौन, बेलहर सहित कुछ प्रखंडो के मुख्यालय में कुछ संदिग्ध को रखा गया है. हालांकि उसकी स्थिति जेल से भी बदतर है.

सेंटर पर नहीं पहुंच रहे लोग
इस सम्बंध में अधिकारी का कहना है कि सेंटर पर जब कोई रहने वाला या जांच कराने वाला नहीं आता. ऐसी स्थिति में वहां रहने से क्या फायदा. स्वास्थ्य प्रबंधक अवध किशोर श्यामला ने बताया कि अगर मरीज रहेगा तो सेंटर पर लोग रहेंगे. मरीज नहीं रहेगा तो कोई बात नहीं.

बांका: कोरोना के संक्रमण के रोकथाम के लिए केंद्र औऱ राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है. ताकि लोगों को इस बीमारी से बचाया जा सके. दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों के लिए जिला मुख्यालय से लेकर पंचायत स्तर तक आइसोलेशन सेंटर बनाया गया है. लेकिन इसकी व्यवस्था पर अब अंगुली उठनी शुरू हो गयी है.

जिला मुख्यालय में बनाये गए केंद्र को छोड़ शेष सभी आइसोलेशन सेंटर सिर्फ कागज पर चल रहा है. पंचायत स्तर पर पंचायत भवन या विद्यालय में सेंटर बनाया गया है. इन सेंटरों पर कहीं चौकीदार तो कहीं सिर्फ एएनएम और कुछ जगह पर ताला लगाकर छोड़ दिया गया है. पंचायत के कई केंद्र पर कोई भी रहने वाला नहीं है. जिला मुख्यालय के अलावा कटोरिया, चांदन, अमरपुर, रजौन, बेलहर सहित कुछ प्रखंडो के मुख्यालय में कुछ संदिग्ध को रखा गया है. हालांकि उसकी स्थिति जेल से भी बदतर है.

सेंटर पर नहीं पहुंच रहे लोग
इस सम्बंध में अधिकारी का कहना है कि सेंटर पर जब कोई रहने वाला या जांच कराने वाला नहीं आता. ऐसी स्थिति में वहां रहने से क्या फायदा. स्वास्थ्य प्रबंधक अवध किशोर श्यामला ने बताया कि अगर मरीज रहेगा तो सेंटर पर लोग रहेंगे. मरीज नहीं रहेगा तो कोई बात नहीं.

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