बांका: जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर महेशाडीह गांव के पास साढ़े 6 एकड़ में फैले हवाई अड्डे का अस्तित्व इन दिनों खतरे में है. भू-माफियाओं की नजर हवाई अड्डा और उसके आसपास की जमीन पर है. यहां की जमीन पर काफी अतिक्रमण हो चुका है. लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. इससे भू-माफियाओं का मनोबल बढ़ता जा रहा है.
एक समय था जब इस हवाई अड्डे पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, चौधरी चरण सिंह सहित दर्जनों नेता आए थे. वर्तमान में स्थिति यह है कि भू-माफियाओं ने गलत तरीके से हवाई अड्डे की जमीन की जमाबंदी करा ली है. इतना ही नहीं इसकी बिक्री करने का काम भी शुरू कर दिया है. जिला प्रशासन को लगातार इसकी शिकायत की गई. लेकिन प्रशासन मामले को लेकर उदासीन बना हुआ है.
शिकायत के बाद भी नहीं हुई कोई कार्रवाई
स्थानीय उगेंद्र मंडल ने बताया कि हवाई अड्डे के अतिक्रमण को लेकर जिला प्रशासन को कई बार शिकायत की गई. प्रशासन की ओर से एक बार नापी कराकर छोड़ दिया गया और कोई कार्रवाई नहीं की गई. साढ़े 6 एकड़ के अलावा आसपास के सरकारी जमीन का इस्तेमाल भी हवाई अड्डे के लिए होता था. लेकिन भू-माफियाओं ने धीरे-धीरे गलत तरीके से इसकी भी जमाबंदी कराकर जमीन को बेचना शुरू कर दिया है.
हो रहा गलत इस्तेमाल
आलम यह है कि अब तो हवाई अड्डे पर भवन के अवशेष और दिशा सूचक खंबा ही बचा हुआ है. लगातार बालू ढुलाई को लेकर लगातार ट्रकों की आवाजाही के चलते हवाई अड्डे का नामोनिशान मिट गया है. इस हवाई अड्डे पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी दो बार आ चुकी हैं. इसके अलावा चौधरी चरण सिंह से लेकर दर्जनों नेता यहां आ चुके हैं. 1938-39 में सादपुर के सदानंद सिंह के वंशजों ने हवाई अड्डा के लिए अपनी जमीन दान दी थी. 1971 की लड़ाई में इस हवाई अड्डे को विकल्प के तौर पर रखा गया था.
मंत्री ने दिया मुक्त कराने का आश्वासन
मामले पर बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामनारायण मंडल ने बताया कि हवाई अड्डे की जमीन को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराने के लिए केन्द्राधिकारी को निर्देशित किया जाएगा. साथ ही राजस्व विभाग के अधिकारियों और स्थानीय डीएम को कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाएगा.हवाई अड्डा केंद्र सरकार के अधीन आता है. इसको लेकर ऊपर से कुछ जानकारी प्राप्त नहीं हुई है.