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कालाजार के खात्मे को लेकर अभियान शुरू, 4 प्रखंड के 12 गांव बीमारी से प्रभावित - भुरभुरी स्वास्थ्य उपकेंद्र

बांका में शनिवार को बौंसी प्रखंड अंतर्गत रौताबरण गांव के भुरभुरी स्वास्थ्य उपकेंद्र से कालाजार के खिलाफ अभियान की शुरूआत हुई. इसके तहत छिड़काव कर्मियों ने गांव के सभी घरों में सिंथेटिक पैराथायराइड का छिड़काव किया.

कालाजार के खात्मे को लेकर अभियान शुरू
कालाजार के खात्मे को लेकर अभियान शुरू
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Published : Mar 6, 2021, 4:32 PM IST

बांका: जिले में शनिवार को बौंसी प्रखंड अंतर्गत रौताबरण गांव के भुरभुरी स्वास्थ्य उपकेंद्र से कालाजार(Black fever)के खिलाफ अभियान की शुरूआत हुई. इसके तहत छिड़काव कर्मियों ने गांव के सभी घरों में सिंथेटिक पैराथायराइड का छिड़काव किया. इसे लेकर छिड़काव करने वाले कर्मियों को पहले ही प्रशिक्षण दिया जा चुका है.

"कालाजार की समाप्ति को लेकर स्वास्थ्य विभाग सजग है. जिले का बहुत ही कम क्षेत्र कालाजार से प्रभावित हैं और उन जगहों पर भी छिड़काव कर्मी अभियान के तहत सिंथेटिक पैराथायराइड का छिड़काव कर रहे हैं. उम्मीद है कि जल्द ही जिला पूरी तरह से कालाजार से मुक्त हो जाएगा."- डॉ वीके यादव, जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल पदाधिकारी

पढ़े: कैमूर: नगर परिषद का फॉगिंग मशीन खराब, कालाजार और मलेरिया को लेकर लोगों में दहशत

चार प्रखंड के 12 गांव हैं प्रभावित
जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल पदाधिकारी डॉ वीके यादव ने बताया कि बांका जिला कालाजार मुक्त होने की ओर है. जिले के चार प्रखंड के 12 गांव ही अब कालाजार से प्रभावित हैं, जिसमें बौसी, धोरैया, बाराहाट और बांका सदर प्रखंड के गांव शामिल हैं, जहां अभियान के तहत छिड़काव कर्मी सिंथेटिक पैराथायराइड का छिड़काव करेंगे.

"इस बार घर के अंदर की पूरी दीवार में छिड़काव कराया जा रहा है. पहले दीवार की ऊंचाई की 6 फीट की दूरी तक छिड़काव किया जाता था, लेकिन इस बार पूरी दीवार में छिड़काव कराया जा रहा है, इसलिए प्रभावित गांव के लोग पहले से तैयारी रखें."- मानस नायक, डीपीओ, केयर इंडिया

लिश्मैनिया डोनोवानी परजीवी के कारण फैलती है बीमारी
डॉ. वीके यादव ने बताया कि यह बीमारी लिश्मैनिया डोनोवानी परजीवी के कारण होती है. कालाजार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलने वाली बीमारी है. यदि व्यक्ति को दो सप्ताह से बुखार और तिल्ली और जिगर बढ़ गया हो तो यह कालाजार के लक्षण हो सकते हैं. साथ ही मरीज को भूख न लगना, कमजोरी और वजन में कमी की शिकायत होती है. यदि इलाज में देरी होती है तो हाथ, पैर और पेट की त्वचा काली हो जाती है. इसके अलावा बाल और त्वचा की परत भी सूखकर झड़ती हैं.

पढ़े: कालाजार से बचाव के लिए किया जा रहा दवाओं का छिड़काव

लापरवाही से जा सकती है जान
डॉ. यादव ने बताया कि कालाजार के संभावित लक्षण दिखने पर क्षेत्र की आशा से तुरंत संपर्क करना चाहिए और रोगी को किसी नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि कालाजार के इलाज में लापरवाही से मरीज की जान भी जा सकती है.

बांका: जिले में शनिवार को बौंसी प्रखंड अंतर्गत रौताबरण गांव के भुरभुरी स्वास्थ्य उपकेंद्र से कालाजार(Black fever)के खिलाफ अभियान की शुरूआत हुई. इसके तहत छिड़काव कर्मियों ने गांव के सभी घरों में सिंथेटिक पैराथायराइड का छिड़काव किया. इसे लेकर छिड़काव करने वाले कर्मियों को पहले ही प्रशिक्षण दिया जा चुका है.

"कालाजार की समाप्ति को लेकर स्वास्थ्य विभाग सजग है. जिले का बहुत ही कम क्षेत्र कालाजार से प्रभावित हैं और उन जगहों पर भी छिड़काव कर्मी अभियान के तहत सिंथेटिक पैराथायराइड का छिड़काव कर रहे हैं. उम्मीद है कि जल्द ही जिला पूरी तरह से कालाजार से मुक्त हो जाएगा."- डॉ वीके यादव, जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल पदाधिकारी

पढ़े: कैमूर: नगर परिषद का फॉगिंग मशीन खराब, कालाजार और मलेरिया को लेकर लोगों में दहशत

चार प्रखंड के 12 गांव हैं प्रभावित
जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल पदाधिकारी डॉ वीके यादव ने बताया कि बांका जिला कालाजार मुक्त होने की ओर है. जिले के चार प्रखंड के 12 गांव ही अब कालाजार से प्रभावित हैं, जिसमें बौसी, धोरैया, बाराहाट और बांका सदर प्रखंड के गांव शामिल हैं, जहां अभियान के तहत छिड़काव कर्मी सिंथेटिक पैराथायराइड का छिड़काव करेंगे.

"इस बार घर के अंदर की पूरी दीवार में छिड़काव कराया जा रहा है. पहले दीवार की ऊंचाई की 6 फीट की दूरी तक छिड़काव किया जाता था, लेकिन इस बार पूरी दीवार में छिड़काव कराया जा रहा है, इसलिए प्रभावित गांव के लोग पहले से तैयारी रखें."- मानस नायक, डीपीओ, केयर इंडिया

लिश्मैनिया डोनोवानी परजीवी के कारण फैलती है बीमारी
डॉ. वीके यादव ने बताया कि यह बीमारी लिश्मैनिया डोनोवानी परजीवी के कारण होती है. कालाजार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलने वाली बीमारी है. यदि व्यक्ति को दो सप्ताह से बुखार और तिल्ली और जिगर बढ़ गया हो तो यह कालाजार के लक्षण हो सकते हैं. साथ ही मरीज को भूख न लगना, कमजोरी और वजन में कमी की शिकायत होती है. यदि इलाज में देरी होती है तो हाथ, पैर और पेट की त्वचा काली हो जाती है. इसके अलावा बाल और त्वचा की परत भी सूखकर झड़ती हैं.

पढ़े: कालाजार से बचाव के लिए किया जा रहा दवाओं का छिड़काव

लापरवाही से जा सकती है जान
डॉ. यादव ने बताया कि कालाजार के संभावित लक्षण दिखने पर क्षेत्र की आशा से तुरंत संपर्क करना चाहिए और रोगी को किसी नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि कालाजार के इलाज में लापरवाही से मरीज की जान भी जा सकती है.

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