बांका: जिले में बालू के अवैध कारोबार से लेकर ओवरलोडिंग का खेल जमकर खेला जा रहा है. जिसके चलते जिले में एक-एक कर सारे पुल क्षतिग्रस्त होते जा रहे हैं. इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है. कमोबेश यही स्थिति बेलहर प्रखंड के धौरी के निकट बदुआ नदी पर बने पुल का है. 2010 में 8 करोड़ 64 लाख रुपये की लागत से इस बड़े पुल का निर्माण कार्य कराया गया था.
पुल क्षतिग्रस्त हुए कई महीने बीत जाने के बाद भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है. इस पुल की अहमियत इस बात से लगाया जा सकता है कि यह कांवरिया पथ पर है और बिहार को झारखंड से जोड़ने का काम करता है. स्थानीय लोगों की माने तो बालू के बेतरतीब उठाव के चलते पुल का एक पाया धंस गया है. बेलहर के विधायक मनोज यादव ने पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव से मिलकर उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है.
बेलहर विधायक ने प्रधान सचिव से जांच कराने की मांग
बेलहर विधायक मनोज यादव ने बताया कि संवेदक और विभागीय अधिकारी की लापरवाही के चलते 8.64 करोड़ की लागत से निर्मित पुल क्षतिग्रस्त हुआ है. संवेदक को तो ठेकेदारी करना है, लेकिन विभागीय अधिकारी को देखना था कि एस्टीमेट के आधार पर काम किया जा रहा है या नहीं. सरकार के कई योजनाओं पर काम चल रहा है, लेकिन विभागीय अधिकारी सुस्त रहते हैं. क्षेत्र भ्रमण के दौरान आते जाते कोई भी विभागीय अधिकारी और इंजीनियर कार्यस्थल पर नजर नहीं आता है.
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स्थानीय पप्पू यादव ने बताया कि ग्रस्त होने का सबसे बड़ा कारण बालू का बेतरतीब उठाव है. बालू माफियाओं के द्वारा पुल के समीप से ही बालू का उठाव किया गया. जिसके चलते बारिश के पानी का तेज बहाव को झेल नहीं सका और पुल क्षतिग्रस्त हो गया. बेलहर विधायक मनोज यादव ने बताया कि संवेदक और विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते बड़ा पुल क्षतिग्रस्त हो गया. क्षतिग्रस्त पुल की जांच के लिए विभाग के प्रधान सचिव अमृत लात मीना से मिलकर जांच कराने की मांग की है. प्रधान सचिव ने आश्वासन दिया है कि इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जाएगी.
10 दिन के अंदर सौंपी जाएगी जांच रिपोर्ट
पथ प्रमंडल बांका के कार्यपालक अभियंता श्रीकांत शर्मा ने बताया कि पथ निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख के आदेश से चार सदस्य टीम गठित की गई है. जिसमें पुल निर्माण निगम के डिप्टी चीफ इंजीनियर टू, भागलपुर के सीनियर प्रोजेक्ट इंजीनियर और अधीक्षण अभियंता के साथ-साथ बांका के कार्यपालक अभियंता को शामिल किया गया है.
उन्होंने बताया कि पूरा प्रयास रहेगा कि 8.64 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित पुल के क्षतिग्रस्त होने का सटीक कारण का पता लगाया जा सके ताकि 10 दिन के अंदर इसकी जांच रिपोर्ट अभियंता प्रमुख को सौंपी जा सके. जांच में कुछ तकनीकी समस्या आती है तो हाई लेवल जांच कराने के लिए विभाग को लिखा जाएगा.