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अरवल: धनतेरस के रंग में सराबोर नजर आए लोग, खरीदारी के दौरान उड़ी सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां - धनतेरस

गुरुवार को धनतेरस को लेकर अरवल के बाजारों में काफी भीड़ देखने को मिली. इस दौरान लोगों ने जमकर खरीदारी की और कोरोना के नियमों को ताक पर रखा.

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Published : Nov 12, 2020, 10:36 PM IST

अरवल: बिहार में कोरोना संक्रमण की रफ्तार पर ब्रेक नहीं लगा है. बावजूद लोग सतर्क नहीं नजर आ रहे हैं. गुरुवार को धनतेरस पर्व को लेकर जिले के बाजारों में भारी भीड़ देखी गई. खरीद-बिक्री को लेकर गहमागहमी का माहौल देखा गया.

धनतेरस को लेकर दुकान काफी पहले ही सज गए थे. लेकिन भीड़ नहीं देखी जा रही थी. गुरुवार को ही ज्यादा भीड़ देखने को मिली. खासकर पीतल के बर्तन, झाड़ू और सोने-चांदी की दुकानों पर भीड़ देखी गई. लोग बगैर मास्क और सोशल डिस्टेंस रखे खरीदारी करते नजर आए.

क्यों मनाया जाता है धनतेरस?
धनतेरस का पर्व कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को मनाया जाता है. यह पर्व धन और आरोग्य से जुड़ा हुआ है. स्थिति को धन के लिए कुबेर और आरोग्य के लिए धनवंतरी की पूजा की जाती है. परंपरा और मान्यता के अनुकूल इस दिन मूल्यवान धातु, नए बर्तन और आभूषण खरीदारी करते हैं. पंडित उमेश मिश्र ने बताया कि इस दिन शीशे के बर्तन नहीं खरीदने चाहिए. धनतेरस के दिन सोने-चांदी की कोई चीज या नए बर्तन खरीदने को अत्यंत शुभ माना गया है. वहीं दुकानदार धनतेरस के दिन किसी को भी उधार देने से बचते हैं. इस दिन अपने घर से लक्ष्मी का प्रवाह बाहर ना होने की मान्यता को लेकर वर्जित रहते हैं.

दुकानदारों के चेहरों पर रौनक
बता दें कि जिले के सभी स्थानीय बाजारों में सुबह से लेकर देर शाम तक महिला-पुरुष और युवक-युवतियों की भीड़ उमड़ी. दुकानदार काफी व्यस्त और खुश नजर आए. कोरोना और लॉकडाउन के कारण व्यापार काफी मंदा चल रहा था. मौके पर एक भी ग्राहक को मास्क पहने नहीं देखा गया. दुकानों पर इतनी भीड़ थी कि पैर रखने तक की जगह नहीं मिल रही थी. इस संबंध में दुकानदारों से पूछने पर बताया गया कि ग्राहक मानने को तैयार नहीं हैं. अगर मास्क की बात करें तो उल्टा जवाब दे रहे हैं.

अरवल: बिहार में कोरोना संक्रमण की रफ्तार पर ब्रेक नहीं लगा है. बावजूद लोग सतर्क नहीं नजर आ रहे हैं. गुरुवार को धनतेरस पर्व को लेकर जिले के बाजारों में भारी भीड़ देखी गई. खरीद-बिक्री को लेकर गहमागहमी का माहौल देखा गया.

धनतेरस को लेकर दुकान काफी पहले ही सज गए थे. लेकिन भीड़ नहीं देखी जा रही थी. गुरुवार को ही ज्यादा भीड़ देखने को मिली. खासकर पीतल के बर्तन, झाड़ू और सोने-चांदी की दुकानों पर भीड़ देखी गई. लोग बगैर मास्क और सोशल डिस्टेंस रखे खरीदारी करते नजर आए.

क्यों मनाया जाता है धनतेरस?
धनतेरस का पर्व कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को मनाया जाता है. यह पर्व धन और आरोग्य से जुड़ा हुआ है. स्थिति को धन के लिए कुबेर और आरोग्य के लिए धनवंतरी की पूजा की जाती है. परंपरा और मान्यता के अनुकूल इस दिन मूल्यवान धातु, नए बर्तन और आभूषण खरीदारी करते हैं. पंडित उमेश मिश्र ने बताया कि इस दिन शीशे के बर्तन नहीं खरीदने चाहिए. धनतेरस के दिन सोने-चांदी की कोई चीज या नए बर्तन खरीदने को अत्यंत शुभ माना गया है. वहीं दुकानदार धनतेरस के दिन किसी को भी उधार देने से बचते हैं. इस दिन अपने घर से लक्ष्मी का प्रवाह बाहर ना होने की मान्यता को लेकर वर्जित रहते हैं.

दुकानदारों के चेहरों पर रौनक
बता दें कि जिले के सभी स्थानीय बाजारों में सुबह से लेकर देर शाम तक महिला-पुरुष और युवक-युवतियों की भीड़ उमड़ी. दुकानदार काफी व्यस्त और खुश नजर आए. कोरोना और लॉकडाउन के कारण व्यापार काफी मंदा चल रहा था. मौके पर एक भी ग्राहक को मास्क पहने नहीं देखा गया. दुकानों पर इतनी भीड़ थी कि पैर रखने तक की जगह नहीं मिल रही थी. इस संबंध में दुकानदारों से पूछने पर बताया गया कि ग्राहक मानने को तैयार नहीं हैं. अगर मास्क की बात करें तो उल्टा जवाब दे रहे हैं.

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