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अरवल: सोन नदी तट पर लगा मेला, लोगों की उमड़ी भीड़

जनकपुर घाट पर मकर संक्रांति के मौके पर नजारा देखते ही बन रहा था. कोहरे और ठंड के बीच भी लोग सोन नदी में डुबकी लगाने के लिए इकट्ठा हुए.

आस्था का मेला
आस्था का मेला
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Published : Jan 15, 2021, 2:17 PM IST

अरवल: जिले में मकर संक्रांति का त्यौहार धूम-धाम से मनाया गया. कड़ाके की ठंड और कोहरे में भी आस्था भारी पड़ी. आस्था की डुबकी लगाने के लिए सुबह से ही लोग नदी-तालाबों पर इकट्ठा हो गए थे. हालांकि, कई लोग अपने-अपने घरों में ही स्नान कर पूजा अर्चना के साथ-साथ भगवान के सामने दही-चूड़ा का भोग लगाया.

सोन नदी तट पर लगा मेला
स्थानीय सोन नदी तट पर पूरे दिन मेला लगा रहा और तरह-तरह की दुकानें सजी हुई थी. इस अवसर पर असहाय और पीड़ित लोगों के बीच में चूड़ा तिलकुट के साथ-साथ अन्य प्रकार के अन्न का भी दान किया गया. जनकपुर घाट पर नजारा देखते ही बन रहा था. कोहरे और ठंड के बीच भी लोग सोन नदी में डुबकी लगाने के लिए इकट्ठे हुए. वहीं, जिले के बैदराबाद, प्रसादी इंग्लिश बलिदाद परासी, मेहंदीया और उसरी कलेर करपी कुर्था किंजर के अलावे अन्य बाजारों में मकर संक्रांति पर तिलकुट और गुड़ की खरीदारी की गई.

पतंगबाजी का उठा रहे आनंद
पंडित उमेश मिश्र ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व महाभारत काल से मनाया जा रहा है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और इस दिन सरोवर में डुबकी लगाने के बाद तिल गुड़ खाने से कई तरह की बीमारियों से मुक्ति मिलती है. मकर सक्रांति के अवसर पर गांव हो या शहर सभी स्थानों पर लोग पतंगबाजी का भी आनंद उठाते देखे गए.

अरवल: जिले में मकर संक्रांति का त्यौहार धूम-धाम से मनाया गया. कड़ाके की ठंड और कोहरे में भी आस्था भारी पड़ी. आस्था की डुबकी लगाने के लिए सुबह से ही लोग नदी-तालाबों पर इकट्ठा हो गए थे. हालांकि, कई लोग अपने-अपने घरों में ही स्नान कर पूजा अर्चना के साथ-साथ भगवान के सामने दही-चूड़ा का भोग लगाया.

सोन नदी तट पर लगा मेला
स्थानीय सोन नदी तट पर पूरे दिन मेला लगा रहा और तरह-तरह की दुकानें सजी हुई थी. इस अवसर पर असहाय और पीड़ित लोगों के बीच में चूड़ा तिलकुट के साथ-साथ अन्य प्रकार के अन्न का भी दान किया गया. जनकपुर घाट पर नजारा देखते ही बन रहा था. कोहरे और ठंड के बीच भी लोग सोन नदी में डुबकी लगाने के लिए इकट्ठे हुए. वहीं, जिले के बैदराबाद, प्रसादी इंग्लिश बलिदाद परासी, मेहंदीया और उसरी कलेर करपी कुर्था किंजर के अलावे अन्य बाजारों में मकर संक्रांति पर तिलकुट और गुड़ की खरीदारी की गई.

पतंगबाजी का उठा रहे आनंद
पंडित उमेश मिश्र ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व महाभारत काल से मनाया जा रहा है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और इस दिन सरोवर में डुबकी लगाने के बाद तिल गुड़ खाने से कई तरह की बीमारियों से मुक्ति मिलती है. मकर सक्रांति के अवसर पर गांव हो या शहर सभी स्थानों पर लोग पतंगबाजी का भी आनंद उठाते देखे गए.

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