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बिहार चुनाव: पुराने दिनों को फिर से लौटने नहीं देना चाहते अरवल के मतदाता

अरवल विधानसभा क्षेत्र में चुनाव के पहले चरण में ही मतदान होना है. यहां 28 अक्तूबर को लोग अपना वोट डालेंगे. क्या है इस सीट का गणित, जानें पूरा समीकरण

बिहार चुनाव
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Published : Oct 24, 2020, 3:27 PM IST

Updated : Oct 24, 2020, 4:02 PM IST

अरवल: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार अभियान तेज हो गया है. बिहार में नक्सलवाद के लिए बदनाम रहे अरवल विधानसभा क्षेत्र में एक बार फिर चुनावी रण में राजनीतिक योद्धा उतरे हुए हैं और सत्ता तक पहुंचने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं.

इस चुनाव में अरवल विधानसभा क्षेत्र में मुख्य मुकाबला महागठबंधन की ओर से चुनावी मैदान में उतरे भाकपा (माले) के महानंद प्रसाद और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन समर्थित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दीपक शर्मा के बीच माना जा रहा है, हालांकि वामपंथी दल के प्रत्याशी को भीतरघात का भी डर सता रहा है.

2010-2015 के नतीजे
पिछले विधानसभा चुनाव में राजद के रविंद्र सिंह ने भाजपा के चितरंजन कुमार को 17,810 वोटों के भारी अंतर से हराया था. राजद के रविंद्र कुमार साल 2015 में इस सीट पर लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए थे. पहली बार रविंद्र सिंह यहां से 1995 में जनता दल के टिकट पर जीते थे जबकि 2010 में चितरंजन कुमार यहां के विधायक बने थे.

अरवल में त्रिकोणीय मुकाबला
इस बार महागठबंधन में यह सीट भाकपा (माले) के हिस्से चली गई, जिससे राजद के कार्यकर्ता नाराज बताए जा रहे हैं. इधर, रालोसपा के सुभाष चंद यादव और जन अधिकार पार्टी के अभिषेक रंजन भी मैदान में पूरी ताकत झोंककर मुकाबले को त्रिकोणात्मक बनाने में जुटे हुए हैं. कहा जा रहा है कि राजद अपने वोटों को वामपंथी दल में 'शिफ्ट' करवा सकेंगे, इसमें संदेह है.

नक्सलवाद के लिए बदनाम अरवल
अरवल विधानसभा क्षेत्र नक्सलवाद के लिए बदनाम रहा है. अरवल से सटा जिला औरंगाबाद और जहानाबाद है जो नक्सलवाद का दंश झेल चुके हैं. अब स्थिति पहले से बहुत सुधरी है और घटनाओं में कमी आई है, जिसे मुद्दा बनाकर सत्ताधारी पार्टी चुनावी मैदान में हैं.

रविदास, यादव, कुर्मी, भूमिहार और पासवान वोटर
अरवल विधानसभा क्षेत्र में अरवल, कलेर प्रखंड के अलावे करपी प्रखंड के कई ग्राम पंचायतें हैं. करीब 2.53 लाख वाले इस विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण की बात करें तो रविदास, यादव, कुर्मी, भूमिहार और पासवान जाति के मतदाताओं की संख्या यहां अधिक है, जो चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं.

"भाजपा और भाकपा (माले) में कांटे की टक्कर है और मतदाता बंटे हुए हैं. मतदाता क्षेत्र के विकास और शांति व्यवस्था को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं. अरवल के लोग पुराने दिन को कभी लौटने नहीं देना चाह रहे हैं, इस लिहाज से सत्ताधारी पार्टी का पलड़ा भारी है." - प्रोफेसर बृजकिशोर पाठक, निवासी अरवल

"इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट पड़ेगा. मोदी का मुद्दा किसी क्षेत्र में गौण नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि स्थानीय मुद्दे हैं, लेकिन राष्ट्रीय मुद्दा भी यहां हावी है." - एस पी पाठक, पूर्व सैनिक

क्षेत्र में समर्थकों के साथ प्रचार करते बीजेपी प्रत्याशी
क्षेत्र में समर्थकों के साथ प्रचार करते बीजेपी प्रत्याशी दीपक शर्मा

इधर, बीजेपी प्रत्याशी दीपक शर्मा के समर्थक 'अरवल का बेटा, अरवल की बात' नारे के साथ लोगों तक पहुंच रहे हैं.

"समर्थन मिल रहा है. अरवल के लोग क्षेत्र में शांति चाहते हैं और ऐसे दल के प्रत्याशी को विजयी बनाना चाहते हैं, जो स्थनीय हो और विकास कर सके. अरवल के लोग अब पुराने दिनों को भूल जाना चाहते हैं." - दीपक शर्मा, बीजेपी प्रत्याशी

''अभी मतदाता तय नहीं कर पाए हैं कि वोट किसे दिया जाएगा. बीजेपी और वामपंथी दल में कांटे की टक्कर है और जातीय समीकरण इस चुनाव में उलझा हुआ है." - रामचंद्र पासवान, तेलपा

अरवल में 28 अक्टूबर को मतदान
बिहार विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण में 28 अक्टूबर को अरवल में मतदान होना है. इस बार चुनाव 3 चरणों में होंगे और 10 नवंबर को इलेक्शन के नतीजे आ जाएंगे.

अरवल: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार अभियान तेज हो गया है. बिहार में नक्सलवाद के लिए बदनाम रहे अरवल विधानसभा क्षेत्र में एक बार फिर चुनावी रण में राजनीतिक योद्धा उतरे हुए हैं और सत्ता तक पहुंचने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं.

इस चुनाव में अरवल विधानसभा क्षेत्र में मुख्य मुकाबला महागठबंधन की ओर से चुनावी मैदान में उतरे भाकपा (माले) के महानंद प्रसाद और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन समर्थित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दीपक शर्मा के बीच माना जा रहा है, हालांकि वामपंथी दल के प्रत्याशी को भीतरघात का भी डर सता रहा है.

2010-2015 के नतीजे
पिछले विधानसभा चुनाव में राजद के रविंद्र सिंह ने भाजपा के चितरंजन कुमार को 17,810 वोटों के भारी अंतर से हराया था. राजद के रविंद्र कुमार साल 2015 में इस सीट पर लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए थे. पहली बार रविंद्र सिंह यहां से 1995 में जनता दल के टिकट पर जीते थे जबकि 2010 में चितरंजन कुमार यहां के विधायक बने थे.

अरवल में त्रिकोणीय मुकाबला
इस बार महागठबंधन में यह सीट भाकपा (माले) के हिस्से चली गई, जिससे राजद के कार्यकर्ता नाराज बताए जा रहे हैं. इधर, रालोसपा के सुभाष चंद यादव और जन अधिकार पार्टी के अभिषेक रंजन भी मैदान में पूरी ताकत झोंककर मुकाबले को त्रिकोणात्मक बनाने में जुटे हुए हैं. कहा जा रहा है कि राजद अपने वोटों को वामपंथी दल में 'शिफ्ट' करवा सकेंगे, इसमें संदेह है.

नक्सलवाद के लिए बदनाम अरवल
अरवल विधानसभा क्षेत्र नक्सलवाद के लिए बदनाम रहा है. अरवल से सटा जिला औरंगाबाद और जहानाबाद है जो नक्सलवाद का दंश झेल चुके हैं. अब स्थिति पहले से बहुत सुधरी है और घटनाओं में कमी आई है, जिसे मुद्दा बनाकर सत्ताधारी पार्टी चुनावी मैदान में हैं.

रविदास, यादव, कुर्मी, भूमिहार और पासवान वोटर
अरवल विधानसभा क्षेत्र में अरवल, कलेर प्रखंड के अलावे करपी प्रखंड के कई ग्राम पंचायतें हैं. करीब 2.53 लाख वाले इस विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण की बात करें तो रविदास, यादव, कुर्मी, भूमिहार और पासवान जाति के मतदाताओं की संख्या यहां अधिक है, जो चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं.

"भाजपा और भाकपा (माले) में कांटे की टक्कर है और मतदाता बंटे हुए हैं. मतदाता क्षेत्र के विकास और शांति व्यवस्था को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं. अरवल के लोग पुराने दिन को कभी लौटने नहीं देना चाह रहे हैं, इस लिहाज से सत्ताधारी पार्टी का पलड़ा भारी है." - प्रोफेसर बृजकिशोर पाठक, निवासी अरवल

"इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट पड़ेगा. मोदी का मुद्दा किसी क्षेत्र में गौण नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि स्थानीय मुद्दे हैं, लेकिन राष्ट्रीय मुद्दा भी यहां हावी है." - एस पी पाठक, पूर्व सैनिक

क्षेत्र में समर्थकों के साथ प्रचार करते बीजेपी प्रत्याशी
क्षेत्र में समर्थकों के साथ प्रचार करते बीजेपी प्रत्याशी दीपक शर्मा

इधर, बीजेपी प्रत्याशी दीपक शर्मा के समर्थक 'अरवल का बेटा, अरवल की बात' नारे के साथ लोगों तक पहुंच रहे हैं.

"समर्थन मिल रहा है. अरवल के लोग क्षेत्र में शांति चाहते हैं और ऐसे दल के प्रत्याशी को विजयी बनाना चाहते हैं, जो स्थनीय हो और विकास कर सके. अरवल के लोग अब पुराने दिनों को भूल जाना चाहते हैं." - दीपक शर्मा, बीजेपी प्रत्याशी

''अभी मतदाता तय नहीं कर पाए हैं कि वोट किसे दिया जाएगा. बीजेपी और वामपंथी दल में कांटे की टक्कर है और जातीय समीकरण इस चुनाव में उलझा हुआ है." - रामचंद्र पासवान, तेलपा

अरवल में 28 अक्टूबर को मतदान
बिहार विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण में 28 अक्टूबर को अरवल में मतदान होना है. इस बार चुनाव 3 चरणों में होंगे और 10 नवंबर को इलेक्शन के नतीजे आ जाएंगे.

Last Updated : Oct 24, 2020, 4:02 PM IST
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