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वोट देने के लिए अमेरिका से गांव पहुंचे पति-पत्नी, बोले- देश के लिए मतदान करना जरूरी

सात समंदर पार से एक जोड़ा अपने मताधिकार का प्रयोग करने अररिया अपने गांव आया है. परिवार के दूसरे सदस्य भी दूसरे शहरों से लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने आए हैं.

विदेस से वोट देने आया परिवार
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Published : Apr 17, 2019, 9:26 PM IST

अररिया: जोकीहाट के कसर्रा गांव के रिटायर्ड टीचर धनेश्वर प्रसाद साह का घर इन दिनों खुशियों से भरा हुआ है. इनका सॉप्टवेयर इंजिनियर बेटा प्रकाश चंद्र साह पत्नी के साथ अमेरिका से वोट डालने अपने घर आए हैं. दिलचस्प बात यह है कि इस घर के जितने भी सदस्य बाहर दूसरे प्रान्तों में रहते हैं लोकतंत्र के महापर्व को मनाने अपने घर आये हैं.

अमेरिका से आया परिवार
अमेरिका से आये प्रकाश ने बताया कि देश के प्रति हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम एक अच्छी सरकार बनाएं, उसके लिए हमें वोट देना होगा यही जिम्मेदारी मुझे अमेरिका से अपने देश और गांव खींच लाई है. उनकी पत्नी मिटू कुमारी ने बताया वोट डालना एक सुखद एहसास होगा क्योंकि ये मेरा पहला मतदान है.

विदेस से वोट देने आया परिवार

मतदान नहीं तो देश की तरक्की नहीं
दूसरे बेटे देवकुन्दन ने बताया की मैं भोपाल में रहता हूं. व्यस्तता अधिक है लेकिन हम पढ़े लिखे युवा अगर मतदान से पीछे हटेंगे, तो देश कैसे तरक्की करेगा. इसलिए मैं अपनी पत्नी के साथ मतदान करने आया हूं. उनकी पत्नी काजल कहती हैं कि मेरा भी ये पहला मतदान होगा वोट डालने की बात से ही एक अलग अनुभूति का एहसास हो रहा है. महिलाओं को बढ़चढ़ कर मतदान करना चाहिए.

देश के प्रति जिम्मेदारी निभाना जरुरी
घर के बुजुर्ग और इनके पिता ने बताया मैं पेशे से शिक्षक था. अपने बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार और देश के प्रति जिम्मेदारी भी सिखाई है. यही वजह है एक बेटा अमेरिका से, दूसरा भोपाल से, तीसरा बेटा असम से सिर्फ वोट डालने अररिया अपने गांव आया है.

अररिया: जोकीहाट के कसर्रा गांव के रिटायर्ड टीचर धनेश्वर प्रसाद साह का घर इन दिनों खुशियों से भरा हुआ है. इनका सॉप्टवेयर इंजिनियर बेटा प्रकाश चंद्र साह पत्नी के साथ अमेरिका से वोट डालने अपने घर आए हैं. दिलचस्प बात यह है कि इस घर के जितने भी सदस्य बाहर दूसरे प्रान्तों में रहते हैं लोकतंत्र के महापर्व को मनाने अपने घर आये हैं.

अमेरिका से आया परिवार
अमेरिका से आये प्रकाश ने बताया कि देश के प्रति हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम एक अच्छी सरकार बनाएं, उसके लिए हमें वोट देना होगा यही जिम्मेदारी मुझे अमेरिका से अपने देश और गांव खींच लाई है. उनकी पत्नी मिटू कुमारी ने बताया वोट डालना एक सुखद एहसास होगा क्योंकि ये मेरा पहला मतदान है.

विदेस से वोट देने आया परिवार

मतदान नहीं तो देश की तरक्की नहीं
दूसरे बेटे देवकुन्दन ने बताया की मैं भोपाल में रहता हूं. व्यस्तता अधिक है लेकिन हम पढ़े लिखे युवा अगर मतदान से पीछे हटेंगे, तो देश कैसे तरक्की करेगा. इसलिए मैं अपनी पत्नी के साथ मतदान करने आया हूं. उनकी पत्नी काजल कहती हैं कि मेरा भी ये पहला मतदान होगा वोट डालने की बात से ही एक अलग अनुभूति का एहसास हो रहा है. महिलाओं को बढ़चढ़ कर मतदान करना चाहिए.

देश के प्रति जिम्मेदारी निभाना जरुरी
घर के बुजुर्ग और इनके पिता ने बताया मैं पेशे से शिक्षक था. अपने बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार और देश के प्रति जिम्मेदारी भी सिखाई है. यही वजह है एक बेटा अमेरिका से, दूसरा भोपाल से, तीसरा बेटा असम से सिर्फ वोट डालने अररिया अपने गांव आया है.

Intro:( खबर पॉवर डाइरेक्टर से गई है )
अपने वोट को इतना महत्वपूर्ण समझा एक भारतीय नागरिक ने जो सात समंदर पार से सिर्फ वोट डालने अपने गांव आया एक जोड़ा । कहना है एक एक वोट से ही बनती है सरकार एक अच्छी स्वच्छ सरकार बनानी है तो अपने वोट का जरूर प्रयोग करना होगा । अमरीका के कलफोर्नियां में सॉफ्ट वेयर इंजीनियर है प्रकाश चंद्र साह ।


Body:जोकीहाट के कसर्रा गांव के रिटायर्ड टीचर धनेश्वर प्रसाद साह का घर इनदिनों खुशियों से भरा हुआ है । वजह है कि इनका सॉप्टवेयर इंजिनियर बेटा प्रकाश चंद्र साह पत्नी मिटू के साथ अमेरिका से वोट डालने अपने घर आया है । हमारे संवाददाता मुर्शिद रज़ा जब उनके घर पहुंचे तो पता चला कि इस घर के जितने सदस्य बाहर दूसरे प्रान्तों में रहते हैं इस महापर्व को मनाने अपने घर आये हैं । जब हमने गांव आने के कारण की जानकारी ली तो पता चला ये परिवार अपने देश के प्रति कितने जिम्मेदार हैं । अमेरिका से आये प्रकाश ने बताया कि देश के प्रति हमारी जिम्मेदारी बनती है कि एक अच्छा और साफसुथरा सरकार हम बनाएं उसके लिए हमें वोट देना होगा यही जिम्मेदारी मुझे अमेरिका से अपने देश और गांव खींच लाई है । वहीं उनकी पत्नी मिटू कुमारी ने बताया मेरा वोट डालना एक सुखद एहसास होगा क्योंकि ये मेरा पहला मतदान है । दूसरे बेटे देवकुन्दन ने बताया की मैं भोपाल में रहता हूँ व्यस्तता अधिक है लेकिन हम पढ़े लिखे युवा अगर मतदान से पीछे हटेंगे तो देश कैसे तरक्की करेगा इसलिए मैं अपनी पत्नी के साथ मतदान करने आया हूँ । उनकी पत्नी काजल कुमारी ने बताया कि मेरा भी ये पहला मतदान होगा वोट डालने की बात से ही एक अलग अनुभूति का एहसास होरहा है । महिलाओं को बढ़चढ़ कर मतदान करना चाहये । इस घर के बुजुर्ग और इनके पिता ने बताया मैं पेसे से शिक्षक था लेकिन बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार और देश के प्रति जिम्मेदारी भी सिखाई है । यही वजह है एक बेटा अमेरिका से दूसरा भोपाल से तीसरा जो डॉक्टर है वो आसाम से सिर्फ वोट डालने अररिया अपने गांव आया है ।
बाइट - प्रकाशचंद्र साह, अमरीका से आया ।
बाइट - मिटू कुमारी, पत्नी, प्रकाश ।
बाइट - देवकुन्दन साह, भोपाल से आया ।
बाइट - काजल कुमारी, पत्नी, देवकुन्दन ।
बाइट - धनेश्वर प्रसाद साह, पिता ।
वाक थ्रू मुर्शिद रज़ा


Conclusion:वोट डालना हमारा मौलिक अधिकार है । इस महत्व को ये परिवार बखूबी समझता है यही कारण है कि अपने देश ही नहीं विदेश से भी वोट डालने अपने घर आये हैं ये लोग ।
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