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अररिया: विभिन्न समस्याओं को लेकर हुआ सेमिनार का आयोजन, तय की गई विधायकों की जिम्मेदारी

सीमांचल के जिलों की समस्याओं को लेकर एक सेमिनार का आयोजन किया गया. जहां सीमांचल के 5 विधायकों ने कार्यक्रम में भाग लिया और अपने विचार प्रकट किए.

Araria
विधायकों की बैठक
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Published : Jan 11, 2021, 8:33 AM IST

अररिया: सीमांचल की समस्याओं को लेकर विधायकों की क्या जिम्मीदरी है? इसको लेकर एक सेमिनार सह स्वागत समारोह का आयोजन किया गया. रविवार को एक स्थानीय होटल के सभागार में सीमांचल के जिलों से कई विधायक ने भाग लिया. सीमांचल प्रगतिशील मोर्चा ने इस कार्यक्रम का आयोजन कर विधायक की उनके क्षेत्रों की समस्याओं के प्रति उनकी जिम्मेदारी तय की गई.

मुख्य रूप से इन समस्यों पर हुई चर्चा

  • क्षेत्र में हर साल आने वाली बाढ़ का स्थायी समाधान.
  • कृषि उपज का लाभकारी सुनिश्चित कराना है.
  • कृषि आधारित उद्योग स्थापित करना.
  • पलायन को रोकने के लिए रोजगार का सृजन हो
  • स्वास्थ्य सुविधा बेहतर की जाए.
  • अपग्रेड विद्यालयों में शिक्षकों की व्यवस्था की जाए.
    Araria
    बैठक में शामिल लोग

इन महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर कार्यक्रम में आये बुद्धिजीवियों ने अपने विचारों से विधायकों को अवगत कराया. सीमांचल की इन समस्याओं का स्थाई समाधान के लिए सकारात्मक प्रयास करने की जिम्मेदारी तय की. समारोह में विधायक आबिदुर रहमान, अख्तरुल ईमान, शाहनवाज आलम, अंजर नईम, इजहार अशरफी ने पहुंच कर अपने अपने विचार प्रकट किए. कई विधायकों ने इस महत्वपूर्ण समस्याओं पर स्थानीय बुद्धिजीवियों के साथ आम जन को इसमें अपनी भागीदारी करने की अपील की.

पढ़ें: 2020 की 'टीस' को इस तरह भरना चाहता है पटना नगर निगम

'वर्तमान सरकार की साजिश है कि सीमांचल में बदलाव नहीं आए. इसकी खास वजह शिक्षा में दिखती है. स्कूल भवन तो बन रहे हैं, लेकिन शिक्षा समाप्त हो रही है. स्कूलों को अपग्रेड कर हाई स्कूल बनाया गया है. लेकिन वहां शिक्षक नदारद हैं. ये ही हाल स्वास्थ्य विभाग का भी है.'- अख्तरुल ईमान, विधायक

सीमांचल के लिए बाढ़ बना अभिशाप

विधायक ने कहा बाढ़ सीमांचल का अभिशाप है. हर साल इन इलाकों में अरबों का नुकसान होता है. लेकिन आज तक किसी सरकार ने इन मुद्दों पर गंभीरता से काम नहीं किया है. इस मुद्दे पर सभी पार्टियों को अपना झंडा समेट कर काम करें तो समाधान जरूर निकलेगा. वहीं, बाढ़ की समस्या के स्थायी समाधान को लेकर मरहूम तस्लीम उद्दीन ने महानंद बेसिन प्रोजेक्ट लाया था, लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण वो भी ठंडे बस्ते में चला गया. इसलिए इन समस्याओं पर स्थानीय लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी. तभी सीमांचल में बदलाव आ सकता है.

अररिया: सीमांचल की समस्याओं को लेकर विधायकों की क्या जिम्मीदरी है? इसको लेकर एक सेमिनार सह स्वागत समारोह का आयोजन किया गया. रविवार को एक स्थानीय होटल के सभागार में सीमांचल के जिलों से कई विधायक ने भाग लिया. सीमांचल प्रगतिशील मोर्चा ने इस कार्यक्रम का आयोजन कर विधायक की उनके क्षेत्रों की समस्याओं के प्रति उनकी जिम्मेदारी तय की गई.

मुख्य रूप से इन समस्यों पर हुई चर्चा

  • क्षेत्र में हर साल आने वाली बाढ़ का स्थायी समाधान.
  • कृषि उपज का लाभकारी सुनिश्चित कराना है.
  • कृषि आधारित उद्योग स्थापित करना.
  • पलायन को रोकने के लिए रोजगार का सृजन हो
  • स्वास्थ्य सुविधा बेहतर की जाए.
  • अपग्रेड विद्यालयों में शिक्षकों की व्यवस्था की जाए.
    Araria
    बैठक में शामिल लोग

इन महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर कार्यक्रम में आये बुद्धिजीवियों ने अपने विचारों से विधायकों को अवगत कराया. सीमांचल की इन समस्याओं का स्थाई समाधान के लिए सकारात्मक प्रयास करने की जिम्मेदारी तय की. समारोह में विधायक आबिदुर रहमान, अख्तरुल ईमान, शाहनवाज आलम, अंजर नईम, इजहार अशरफी ने पहुंच कर अपने अपने विचार प्रकट किए. कई विधायकों ने इस महत्वपूर्ण समस्याओं पर स्थानीय बुद्धिजीवियों के साथ आम जन को इसमें अपनी भागीदारी करने की अपील की.

पढ़ें: 2020 की 'टीस' को इस तरह भरना चाहता है पटना नगर निगम

'वर्तमान सरकार की साजिश है कि सीमांचल में बदलाव नहीं आए. इसकी खास वजह शिक्षा में दिखती है. स्कूल भवन तो बन रहे हैं, लेकिन शिक्षा समाप्त हो रही है. स्कूलों को अपग्रेड कर हाई स्कूल बनाया गया है. लेकिन वहां शिक्षक नदारद हैं. ये ही हाल स्वास्थ्य विभाग का भी है.'- अख्तरुल ईमान, विधायक

सीमांचल के लिए बाढ़ बना अभिशाप

विधायक ने कहा बाढ़ सीमांचल का अभिशाप है. हर साल इन इलाकों में अरबों का नुकसान होता है. लेकिन आज तक किसी सरकार ने इन मुद्दों पर गंभीरता से काम नहीं किया है. इस मुद्दे पर सभी पार्टियों को अपना झंडा समेट कर काम करें तो समाधान जरूर निकलेगा. वहीं, बाढ़ की समस्या के स्थायी समाधान को लेकर मरहूम तस्लीम उद्दीन ने महानंद बेसिन प्रोजेक्ट लाया था, लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण वो भी ठंडे बस्ते में चला गया. इसलिए इन समस्याओं पर स्थानीय लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी. तभी सीमांचल में बदलाव आ सकता है.

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