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सदर अस्पताल में रेबीज को लेकर लोगों को किया गया जागरूक, डॉक्टरों ने बताये बीमारी की रोकथाम के उपाय - Sadar Hospital of Araria

साल में सिर्फ एक बार 80 रूपए की एक सूई लगवाने से कुत्ते में रेबीज की समस्या खत्म हो जाती है. अगर कुत्ता काटने के एक सप्ताह बाद मर जाता है, तो समझ जाएं कि कुत्ता में रेबीज था. जिसके बाद मरीज को उचित उपचार लेना चाहिये.

विश्व रेबीज दिवस
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Published : Sep 30, 2019, 1:31 PM IST

अररिया: विश्व रेबीज दिवस के मौके पर जिला के सदर अस्पताल में जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया. सर्जन अजय कुमार ने बताया कि इस बीमारी की रोकथाम के लिए मरीज को रेबीज की सूई दी जाती है. यह कुत्ता, चमगादड़, सियार, बंदर जंगली बिल्ली के काटने से होता है. इन जानवरों के काटने के तुरंत बाद सबसे पहले जख्म को डिटर्जेंट पाउडर से 15 से 20 मिनट तक धोएं और बीटाडीन क्रीम लगाएं. इन जानवरों के काटने के 24 घंटे के अंदर रेबीज का पहला सूई लेना जरूरी है.

araria
ईटीवी भारत से बातचीत करते डॉक्टर

मरीजों पर खतरा बना रहता है
डॉ. अजय कुमार ने कहा कि साल में सिर्फ एक बार पालतू कुत्ते को 80 रूपए की सूई लगवाने से कुत्ते में रेबीज की समस्या खत्म हो जाती है. अगर कुत्ता काटने के एक सप्ताह बाद मर जाता है, तो समझ जाएं कि कुत्ते को रेबीज था. कुत्ते के काटने के बाद मरीज को 5 सूई लेनी चाहिए. 70% पालतू कुत्तों को रेबीज की सूई दी जाए तो 99% रेबीज पर काबू पाया जा सकता है. अगर समय पर मरीज को रेबीज की सूई नहीं दी गई तो मरीजों में खतरा बना रहता है.

विश्व रेबीज दिवस के मौके पर डॉ. अजय कुमार ने लोगों को किया जागरूक

कुत्ता के काटने से रेबीज फैल जाता है
डॉक्टर ने बताया कि लोगों की आम धारणा होती है कि अगर कुत्ता किसी गाय को काट ले तो उस गाय का दूध पीने से रेबीज फैल जाता है. लेकिन दूध के माध्यम से रेबीज नहीं फैलता, क्योंकि लोग दूध को उबालकर ही पीते हैं. तेज बुखार, शरीर मे अकड़न, पानी देख कर डर लगना रेबीज वाले कुत्ते के काटने के लक्षण हैं.

अररिया: विश्व रेबीज दिवस के मौके पर जिला के सदर अस्पताल में जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया. सर्जन अजय कुमार ने बताया कि इस बीमारी की रोकथाम के लिए मरीज को रेबीज की सूई दी जाती है. यह कुत्ता, चमगादड़, सियार, बंदर जंगली बिल्ली के काटने से होता है. इन जानवरों के काटने के तुरंत बाद सबसे पहले जख्म को डिटर्जेंट पाउडर से 15 से 20 मिनट तक धोएं और बीटाडीन क्रीम लगाएं. इन जानवरों के काटने के 24 घंटे के अंदर रेबीज का पहला सूई लेना जरूरी है.

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ईटीवी भारत से बातचीत करते डॉक्टर

मरीजों पर खतरा बना रहता है
डॉ. अजय कुमार ने कहा कि साल में सिर्फ एक बार पालतू कुत्ते को 80 रूपए की सूई लगवाने से कुत्ते में रेबीज की समस्या खत्म हो जाती है. अगर कुत्ता काटने के एक सप्ताह बाद मर जाता है, तो समझ जाएं कि कुत्ते को रेबीज था. कुत्ते के काटने के बाद मरीज को 5 सूई लेनी चाहिए. 70% पालतू कुत्तों को रेबीज की सूई दी जाए तो 99% रेबीज पर काबू पाया जा सकता है. अगर समय पर मरीज को रेबीज की सूई नहीं दी गई तो मरीजों में खतरा बना रहता है.

विश्व रेबीज दिवस के मौके पर डॉ. अजय कुमार ने लोगों को किया जागरूक

कुत्ता के काटने से रेबीज फैल जाता है
डॉक्टर ने बताया कि लोगों की आम धारणा होती है कि अगर कुत्ता किसी गाय को काट ले तो उस गाय का दूध पीने से रेबीज फैल जाता है. लेकिन दूध के माध्यम से रेबीज नहीं फैलता, क्योंकि लोग दूध को उबालकर ही पीते हैं. तेज बुखार, शरीर मे अकड़न, पानी देख कर डर लगना रेबीज वाले कुत्ते के काटने के लक्षण हैं.

Intro:कुत्ता काटने के तुरंत बाद सबसे पहले ज़ख्म को डिटर्जेंट पाउडर से 15 से 20 मिनट साफ़ से धोएं और बीटाडीन क्रीम लगाएं, उसके 24 घंटे के अंदर रेबीज़ का पहला सूई लेना ज़रूरी है। डॉ. अजय कुमार ने प्रेस वार्ता कर बताया। अररिया सदर अस्पताल के सीएस कार्यालय में लोगों में जागरूकता लाने के लिए जानकारी दिया। एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के बारे में जानकारी दिया।


Body:अररिया सदर अस्पताल के सिविल सर्जन कार्यालय में विश्व रेबीज़ दिवस के मौक़े पर डॉ. अजय कुमार ने प्रेस वार्ता कर बताया कि रेबीज़ लाइलाज बीमारी है, बीमारी के रोकथाम के लिए ही मरीज़ को रेबीज़ की सूई दी जाती है। यह कुत्ता, चमगादड़, सियार, बंदर जंगली बिल्ली के काटने से होता है। इन जानवरों के काटने के तुरंत बाद सबसे पहले ज़ख्म को डिटर्जेंट पाउडर से 15 से 20 मिनट साफ़ से धोएं और बीटाडीन क्रीम लगाएं, उसके 24 घंटे के अंदर रेबीज़ का पहला सूई लेना ज़रूरी है। लोग पालतू कुत्ते को सिर्फ़ 80 रूपए की एक सूई वर्ष में एक बार देने से उस कुत्ते में रेबीज़ की मात्रा ख़त्म हो जाती है। अगर कुत्ता काटने के एक सप्ताह बाद मर जाता है तो समझ जाएं कि कुत्ता में रेबीज़ था। इस अनुसार मरीज़ को पांच सूई लेना चाहिए। 70% पालतू कुत्ते में रेबीज़ की सूई दी जाए तो 99% रेबीज़ पर क़ाबू पाया जा सकता है। अगर समय पर मरीज़ को रेबीज की सूई नहीं दी जाए तो पांच साल के बाद मरीजों में ख़तरा बना रहता है। सबसे बड़ी बात यह है कि कुत्ता के काटने के बाद लोग उसको मार देते हैं। लोगों की मानसिकता यह होती है कि कुत्ता अगर गाय को काट ले तो उस गाय का दूध जितने लोग पीते हैं उसमें रेबीज़ नहीं पाया जाता है, क्योंकि अनुमान लोग दूध को उबालकर ही पीते हैं। कुत्ता काटने के लक्षण तेज़ बुखार, शरीर मे अकड़न, पानी देख कर डर लगता है। कुत्ता काटने पर गर्भवती महिलाओं को भी रेबीज़ की सूई दी जा सकती है। इस मौक़े पर डॉ. मोइज, डॉ. ललन कुमार, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद इत्यादि लोग मौजूद थे।


Conclusion:संबंधित विसुअल वॉइस ओवर के साथ
बाइट डॉ. अजय कुमार डीवीबीसीओ
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