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अररिया में कैदियों की बनाई माला से होती है मां काली की पूजा, 40 साल से चली आ रही परंपरा, आप जानते हैं क्या?

Maa Khadgeshwari Kali अररिया के ऐतिहासिक मां खड़गेश्वरी काली मंदिर में पिछले 40 सालों से एक अनोखी परंपरा चली आ रही है. दरअसल, यहां कैदियों द्वारा बनाई गई फूल माला से होती है मां काली की पूजा होती है. आखिर इस अनोखी परंपरा के पीछे की कहानी क्या है. यहां यही जानने की कोशिस की गई है. पढ़ें पूरी खबर..

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 5, 2023, 6:35 AM IST

देखें रिपोर्ट

अररिया : बिहार के अररिया में मां खड़गेश्वरी काली मंदिर में कैदियों की बनाई माला से काली पूजा होती है. ऐसा कम ही सुनने को मिलता है कि किसी मंदिर में जेल के कैदी की फूलों से पूजा होती है. यह परंपरा पिछले 40 वर्षों से भी अधिक समय से चली आ रही है. कैदियों की फूल की माला से सिर्फ मां खड़गेश्वरी काली मंदिर ही नहीं बल्कि पुराना जेल परिसर स्थित मां दुर्गा की पूजा भी होती है.

मां काली और दुर्गा दोनों चढ़ाई जाती है माला : अररिया के मां खड़गेश्वरी काली मंदिर व पुराने मंडल कारा दुर्गा मंदिर में रोजाना कैदियों द्वारा बनाई गई माला से ही पूजा होती है. पिछले लगभग 40 वर्षों से कारा में बंद विचाराधीन बंदी फूल की माला बनाते हैं. इस परंपरा की चर्चा जिले में ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में है. इस अनोखी परंपरा की जानकारी मां खड़गेश्वरी महाकाली के साधक सरोजानंद उर्फ नानू बाबा ने दी. उन्होंने बताया कि ये सिलसिला काफी पुरानी है.

"पिछले 40 वर्षों से जेल के कैदियों के हाथों बनाई गई फूल की माला भेजी जाती है. उसी फूल की माला से मां काली की पूजा शुरू होती है." - सरोजानंद उर्फ नानू बाबा, मां काली के साधक, अररिया

झूठे केस से मुक्ति के लिए एक कैदी ने शुरू की थी परंपरा : वहीं नानू बाबा के सहयोगी हेमंत कुमार हीरा ने बताया कि ऐसी अनोखी परंपरा अररिया में ही नहीं है. सुनने में आया है कि देवघर में भी ऐसी परंपरा है. बताया कि जेल के कैदी काफी भक्ति भाव से फूलों की माला बनाते हैं. उन्होंने बताया कि नानू बाबा से मिली जानकारी के अनुसार कोई व्यक्ति झूठे केस में जेल चला गया था. जेल जाने के बाद उसने श्रद्धा मन से मां खड़गेश्वरी से मनोकामना की के मुझे मुक्ति दिला दे.

"कैदी ने जेलर से अनुरोध किया कि मैं जेल के अंदर से फूल की माला बना कर महाकाली को चढ़ाना चाहता हूं. जेलर ने उसके अनुरोध को सुना और उसके हाथों की बनाई माला को उसी दिन से काली मंदिर भेजना शुरू कर दिया. उसी दिन के बाद से ये सिलसिला आजतक जारी है." - हेमंत कुमार हीरा, नानू बाबा के सहायक, अररिया

1985 से भी पहले से यह परंपरा है जारी : जेल के रिटायर्ड कर्मी मनोज ठाकुर ने बताया कि जेल के अंदर बंद कैदियों के द्वारा फूल की माला बनाकर मंदिर में भेजने की परंपरा काफी पुरानी है. 1985 में मैं जेल की नौकरी में आया था. लेकिन उसके पहले से जेल में बंद कैदी फूलों की माला बनाकर जेल परिसर स्थित दुर्गा मंदिर और महाकाली मंदिर में भेजा करते थे. इसके पीछे की आस्था थी कि हमारा कल्याण हो. मनोज ठाकुर ने बताया कि 2017 तक इसी उपकारा से फूल की माला भेजी जाती थी. लेकिन उसके बाद ये जेल आरएस ओपी क्षेत्र में बने नए जेल में शिफ्ट हो गया.

"अब उसी मंडल कारा से फूल की माला दोनों मंदिर में भेजी जाती है. फूल की माला मंदिर तक पहुंचने के लिए जेल प्रशासन की ओर से दो सुरक्षा कर्मी को जिम्मेदारी दी गई है. जो शाम के समय जेल से फूल की माला को दुर्गा मंदिर और मां खड़गेश्वरी महाकाली मंदिर पहुंचाते हैं. तब इन मंदिर में पूजा शुरू होती है."- मनोज ठाकुर, रिटायर्ड जेल कर्मी, अररिया

ये भी पढ़ें : मधुबनी: धूमधाम से की जा रही मां काली की पूजा-अर्चना, सज गए पूजा पंडाल

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अररिया : बिहार के अररिया में मां खड़गेश्वरी काली मंदिर में कैदियों की बनाई माला से काली पूजा होती है. ऐसा कम ही सुनने को मिलता है कि किसी मंदिर में जेल के कैदी की फूलों से पूजा होती है. यह परंपरा पिछले 40 वर्षों से भी अधिक समय से चली आ रही है. कैदियों की फूल की माला से सिर्फ मां खड़गेश्वरी काली मंदिर ही नहीं बल्कि पुराना जेल परिसर स्थित मां दुर्गा की पूजा भी होती है.

मां काली और दुर्गा दोनों चढ़ाई जाती है माला : अररिया के मां खड़गेश्वरी काली मंदिर व पुराने मंडल कारा दुर्गा मंदिर में रोजाना कैदियों द्वारा बनाई गई माला से ही पूजा होती है. पिछले लगभग 40 वर्षों से कारा में बंद विचाराधीन बंदी फूल की माला बनाते हैं. इस परंपरा की चर्चा जिले में ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में है. इस अनोखी परंपरा की जानकारी मां खड़गेश्वरी महाकाली के साधक सरोजानंद उर्फ नानू बाबा ने दी. उन्होंने बताया कि ये सिलसिला काफी पुरानी है.

"पिछले 40 वर्षों से जेल के कैदियों के हाथों बनाई गई फूल की माला भेजी जाती है. उसी फूल की माला से मां काली की पूजा शुरू होती है." - सरोजानंद उर्फ नानू बाबा, मां काली के साधक, अररिया

झूठे केस से मुक्ति के लिए एक कैदी ने शुरू की थी परंपरा : वहीं नानू बाबा के सहयोगी हेमंत कुमार हीरा ने बताया कि ऐसी अनोखी परंपरा अररिया में ही नहीं है. सुनने में आया है कि देवघर में भी ऐसी परंपरा है. बताया कि जेल के कैदी काफी भक्ति भाव से फूलों की माला बनाते हैं. उन्होंने बताया कि नानू बाबा से मिली जानकारी के अनुसार कोई व्यक्ति झूठे केस में जेल चला गया था. जेल जाने के बाद उसने श्रद्धा मन से मां खड़गेश्वरी से मनोकामना की के मुझे मुक्ति दिला दे.

"कैदी ने जेलर से अनुरोध किया कि मैं जेल के अंदर से फूल की माला बना कर महाकाली को चढ़ाना चाहता हूं. जेलर ने उसके अनुरोध को सुना और उसके हाथों की बनाई माला को उसी दिन से काली मंदिर भेजना शुरू कर दिया. उसी दिन के बाद से ये सिलसिला आजतक जारी है." - हेमंत कुमार हीरा, नानू बाबा के सहायक, अररिया

1985 से भी पहले से यह परंपरा है जारी : जेल के रिटायर्ड कर्मी मनोज ठाकुर ने बताया कि जेल के अंदर बंद कैदियों के द्वारा फूल की माला बनाकर मंदिर में भेजने की परंपरा काफी पुरानी है. 1985 में मैं जेल की नौकरी में आया था. लेकिन उसके पहले से जेल में बंद कैदी फूलों की माला बनाकर जेल परिसर स्थित दुर्गा मंदिर और महाकाली मंदिर में भेजा करते थे. इसके पीछे की आस्था थी कि हमारा कल्याण हो. मनोज ठाकुर ने बताया कि 2017 तक इसी उपकारा से फूल की माला भेजी जाती थी. लेकिन उसके बाद ये जेल आरएस ओपी क्षेत्र में बने नए जेल में शिफ्ट हो गया.

"अब उसी मंडल कारा से फूल की माला दोनों मंदिर में भेजी जाती है. फूल की माला मंदिर तक पहुंचने के लिए जेल प्रशासन की ओर से दो सुरक्षा कर्मी को जिम्मेदारी दी गई है. जो शाम के समय जेल से फूल की माला को दुर्गा मंदिर और मां खड़गेश्वरी महाकाली मंदिर पहुंचाते हैं. तब इन मंदिर में पूजा शुरू होती है."- मनोज ठाकुर, रिटायर्ड जेल कर्मी, अररिया

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