अररिया: जिले में स्कूलों की प्रयोगशाला के लिए उपकरण खरीद मामले में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की आशंका जताई जा रही है. इस मामले में बिहार सरकार के अपर सचिव के निर्देशानुसार अररिया डीएम बैधनाथ यादव ने कमेटी गठित कर जांच का आदेश दिया था. लेकिन विभागीय लापरवाही का आलम यह है कि अब तक इसकी जांच प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है. हाई स्कूल और प्लस टू स्कूल में तीन से पांच लाख की राशि दी गई है.
जिले से कुल 94 हाई स्कूल और 34 प्लस टू स्कूल को तीन से पांच लाख की राशि प्रयोगशाला के लिए उपकरण खरीदने के लिए आवंटित की गई थी. लेकिन कहीं भी प्रयोगशाला में उपकरण नहीं खरीदे गए. वहीं, पूरे मामले में जांच टीम का गठन भी किया गया. इन सब के बावजूद अभी तक जांच शुरू नहीं हुई है. मामले में शिक्षा पदाधिकारी ने ये कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि डीएम साहब जो आदेश देंगे वो होगा. जो भी दोषी पाए जाएंगे उनपर कार्रवाई होगी.
कुल 7 करोड़ रुपये की राशि
बता दें कि जिले में हाई स्कूल और प्लस टू हाई स्कूल के लिए तीन से पांच लाख की दर से कुल 7 करोड़ की राशि दी गई है. जबकि इस मामले को लेकर आप पार्टी के जिलाध्यक्ष राजेश ने बताया कि इसके लिए कमिटी गठित किए हुए तीन महीने से ज्यादा हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है. हम चाहते हैं कि इसकी जांच सही और निष्पक्ष तरीके से हो.
क्या ट्रिपल सी भूल गए हैं अधिकारी?
शिक्षा व्यवस्था के सुधार के लिए तमाम वादे करने वाली सुशासन सरकार जहां एक ओर ट्रिपल सी नीति यानी क्राइम, करप्शन और कम्युनलिज्म पर सुधार के सख्त दावे करती है. वहीं, बिहार में हर रोज कोई ना कोई मामला उनकी इस ट्रिपल सी वाली नीति को मुंह चिढ़ाता नजर आता है. ऐसे में सुशासन सरकार से सवाल ये है कि क्या उनके अधिकारी ट्रिपल सी की नीति को भूल गए हैं.