अररिया: बिहार के 15 जिले बाढ़ की तबाही झेल रहे हैं. इसमें काफी ज्यादा जान-माल का नुकसान हुआ है. बिहार सरकार की ओर से पीड़ितों के लिए 6 हजार राहत राशि का एलान किया गया है. अररिया की जनता ने इसे बाढ़ पीड़ितों के लिए मजाक बताया है. लोगों का कहना है कि पैसा एकाउंट में आने के बाद 1 हजार मुखिया को और 1 हजार वार्ड सदस्य को देना होता है. इसके बाद मात्र 4 हजार बचता है, जिससे खेतों में लगे फसल के नुकसान की भरपाई भी नहीं हो सकती है. सरकार जनता को बेवकूफ बना रही है.
नदी में समाता जा रहा है गांव
बाढ़ से हुए नुकसान का जायजा लेने ईटीवी भारत अररिया जिला मुख्यालय से 7 किमी दूर सतबिहटा गांव पहुंचा. वहां की आबादी 36 हजार है. यह गांव बकरा नदी पर बसा हुआ है, जो धीरे-धीरे नदी की धार में समाता जा रहा है. जिसके कारण यहां के लोग परेशान हैं.
'6 हजार से अच्छा पैसे ना दे सरकार'
पीड़ितों का कहना है कि जिन लोगों के घरों को नुकसान हुआ है, उन्हें वापस से घर बनाने में लगभग 30-40 हजार रुपये खर्च होंगे. उसमें 6 हजार की मदद ऊंट के मुंह में जीरा है. पीड़ितों के मुताबिक 6 हजार रुपए में से मुखिया और वार्ड सदस्य को भी एक-एक हजार देना होता है. ऐसे में बचे 4 हजार से ना तो फसलों के नुकसान की भरपाई हो सकती है, ना ही घरों की मरम्मत. इससे तो अच्छा है कि सरकार पैसा ही ना दे. सरकार लोगों को सिर्फ बेवकूफ बना रही है. चुनाव के वक्त नेता वादे तो करते हैं. लेकिन, चुनाव खत्म होते ही सारे वादे भूल जाते हैं.
DM ने दिए कार्रवाई के निर्देश
जिले में इस बार कुल 40 हजार बाढ़ पीड़ितों को मुआवजे के लिए चिन्हित किया गया है. जो राशि 31 जुलाई तक सबको दे देना है. मुआवजे की राशि को लेकर शिकायत मिलने पर जिलाधिकारी ने इस मामले में कार्रवाई करने की बात कही है. उनका कहना है कि इस मामले में जांच के आदेश दे दिए गए हैं. मामला सही पाए जाने पर दोषियों पर कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं.