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अररिया: बाढ़ पीड़ितों ने मुआवजे को बताया नाकाफी, अधिकारियों पर लगाए घूस के आरोप

गांव ने सरकार की ओर से बाढ़ पीड़ितों को मिल रही मदद को नाकाफी बताया है. उनका कहना है कि 6 हजार से पीड़ितों के नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती.

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Published : Jul 22, 2019, 12:52 PM IST

अररिया: बिहार के 15 जिले बाढ़ की तबाही झेल रहे हैं. इसमें काफी ज्यादा जान-माल का नुकसान हुआ है. बिहार सरकार की ओर से पीड़ितों के लिए 6 हजार राहत राशि का एलान किया गया है. अररिया की जनता ने इसे बाढ़ पीड़ितों के लिए मजाक बताया है. लोगों का कहना है कि पैसा एकाउंट में आने के बाद 1 हजार मुखिया को और 1 हजार वार्ड सदस्य को देना होता है. इसके बाद मात्र 4 हजार बचता है, जिससे खेतों में लगे फसल के नुकसान की भरपाई भी नहीं हो सकती है. सरकार जनता को बेवकूफ बना रही है.

पेश है रिपोर्ट

नदी में समाता जा रहा है गांव
बाढ़ से हुए नुकसान का जायजा लेने ईटीवी भारत अररिया जिला मुख्यालय से 7 किमी दूर सतबिहटा गांव पहुंचा. वहां की आबादी 36 हजार है. यह गांव बकरा नदी पर बसा हुआ है, जो धीरे-धीरे नदी की धार में समाता जा रहा है. जिसके कारण यहां के लोग परेशान हैं.

'6 हजार से अच्छा पैसे ना दे सरकार'
पीड़ितों का कहना है कि जिन लोगों के घरों को नुकसान हुआ है, उन्हें वापस से घर बनाने में लगभग 30-40 हजार रुपये खर्च होंगे. उसमें 6 हजार की मदद ऊंट के मुंह में जीरा है. पीड़ितों के मुताबिक 6 हजार रुपए में से मुखिया और वार्ड सदस्य को भी एक-एक हजार देना होता है. ऐसे में बचे 4 हजार से ना तो फसलों के नुकसान की भरपाई हो सकती है, ना ही घरों की मरम्मत. इससे तो अच्छा है कि सरकार पैसा ही ना दे. सरकार लोगों को सिर्फ बेवकूफ बना रही है. चुनाव के वक्त नेता वादे तो करते हैं. लेकिन, चुनाव खत्म होते ही सारे वादे भूल जाते हैं.

DM ने दिए कार्रवाई के निर्देश
जिले में इस बार कुल 40 हजार बाढ़ पीड़ितों को मुआवजे के लिए चिन्हित किया गया है. जो राशि 31 जुलाई तक सबको दे देना है. मुआवजे की राशि को लेकर शिकायत मिलने पर जिलाधिकारी ने इस मामले में कार्रवाई करने की बात कही है. उनका कहना है कि इस मामले में जांच के आदेश दे दिए गए हैं. मामला सही पाए जाने पर दोषियों पर कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं.

अररिया: बिहार के 15 जिले बाढ़ की तबाही झेल रहे हैं. इसमें काफी ज्यादा जान-माल का नुकसान हुआ है. बिहार सरकार की ओर से पीड़ितों के लिए 6 हजार राहत राशि का एलान किया गया है. अररिया की जनता ने इसे बाढ़ पीड़ितों के लिए मजाक बताया है. लोगों का कहना है कि पैसा एकाउंट में आने के बाद 1 हजार मुखिया को और 1 हजार वार्ड सदस्य को देना होता है. इसके बाद मात्र 4 हजार बचता है, जिससे खेतों में लगे फसल के नुकसान की भरपाई भी नहीं हो सकती है. सरकार जनता को बेवकूफ बना रही है.

पेश है रिपोर्ट

नदी में समाता जा रहा है गांव
बाढ़ से हुए नुकसान का जायजा लेने ईटीवी भारत अररिया जिला मुख्यालय से 7 किमी दूर सतबिहटा गांव पहुंचा. वहां की आबादी 36 हजार है. यह गांव बकरा नदी पर बसा हुआ है, जो धीरे-धीरे नदी की धार में समाता जा रहा है. जिसके कारण यहां के लोग परेशान हैं.

'6 हजार से अच्छा पैसे ना दे सरकार'
पीड़ितों का कहना है कि जिन लोगों के घरों को नुकसान हुआ है, उन्हें वापस से घर बनाने में लगभग 30-40 हजार रुपये खर्च होंगे. उसमें 6 हजार की मदद ऊंट के मुंह में जीरा है. पीड़ितों के मुताबिक 6 हजार रुपए में से मुखिया और वार्ड सदस्य को भी एक-एक हजार देना होता है. ऐसे में बचे 4 हजार से ना तो फसलों के नुकसान की भरपाई हो सकती है, ना ही घरों की मरम्मत. इससे तो अच्छा है कि सरकार पैसा ही ना दे. सरकार लोगों को सिर्फ बेवकूफ बना रही है. चुनाव के वक्त नेता वादे तो करते हैं. लेकिन, चुनाव खत्म होते ही सारे वादे भूल जाते हैं.

DM ने दिए कार्रवाई के निर्देश
जिले में इस बार कुल 40 हजार बाढ़ पीड़ितों को मुआवजे के लिए चिन्हित किया गया है. जो राशि 31 जुलाई तक सबको दे देना है. मुआवजे की राशि को लेकर शिकायत मिलने पर जिलाधिकारी ने इस मामले में कार्रवाई करने की बात कही है. उनका कहना है कि इस मामले में जांच के आदेश दे दिए गए हैं. मामला सही पाए जाने पर दोषियों पर कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं.

Intro:बिहार सरकार के दुवारा बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत राशि के तौर पर छः हज़ार एलान किया गया है। जिसे अररिया की जनता ने ऊंट के मुंह में ज़ीरा वाली बात क़रार दिया है। कहा कि जिस परिवार में हज़ारो का नुकसान हुआ हो उसे छः हज़ार में क्या होगा? इतना तो खेत में लगे फ़सल के नुकसान का भरपाई भी नहीं हो सकता है। सरकार जनता को बेवकूफ बना रही है।


Body:बिहार का 15 ज़िला बाढ़ की तबाही झेल रहा है। इसमें काफ़ी ज़्यादा जान माल का नुकसान हुआ है। जिसका जायज़ा लेने Etv Bharat के ज़िला संवाददाता ने अररिया ज़िला मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर सतबिहटा गांव पहुंचे। जहां के ग्रामीण से बात करते हुए उनसे पूछा गया कि आप जिस जगह पर बसे हैं वहां की आबादी 36 हज़ार है, जिसमें कुल चार पंचायत है। यह गांव बकरा नदी पर बसा हुआ है। जो धीरे धीरे नदी के धार में समाता जा रहा है। इस गांव के लोगों ने कहा कि बाढ़ में जितना जान माल का नुकसान हुआ था या अभी हुआ है उसमें राज्य सरकार के तरफ़ से जो छः हज़ार रुपए का मुआवजा के तौर पर ऐलान किया गया है। उससे हम लोगों को क्या फ़ायदा होगा उससे कुछ नहीं होगा इससे बढ़िया सरकार पैसा न दे तो बेहतर है। पैसा एकाउंट में आने के तुरंत बाद मुख्या को एक हज़ार देना होता है उसके बाद वार्ड सदस्य को बचा चार हज़ार उससे खेत में लगे फ़सल का भी भरपाई नहीं होगा। सरकार हम लोगों को बेवकूफ बना रही है चुनाव के वक़्त वायदे किए जाते हैं फ़िर चुनाव ख़त्म वादा ख़त्म हो जाता है। ज़िले में इस बार कुल 40 हज़ार बाढ़ पीड़ित लोगों को मुआवजा के लिए चिन्हित किया गया है। जिसे 31 जुलाई तक सबको दे देना है। हालांकि जिलाधिकारी ने ऐसा शिकायत मिलने कर करवाई करने का निर्देश दिया है।


Conclusion:संबंधित विसुअल
वॉक थ्रू में लोगों से बात करते हुए।
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