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जमुई: नक्सलियों के गढ़ में मतदान का क्रेज, वोट डालने के लिए 20 KM का सफर किया तय - Bihar Election 2020

बिहार के महापर्व 2020 में पहले चरण में लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. जमुई में 20 किलोमीटर का उबड़-खाबड़ रास्तों का सफर तय करके ग्रामीण लोग मतदान करने पैदल या ट्रैक्टर से मतदान केंद्र पहुंचे. गुरमाहा, चोरमारा और जमुनिया टाड़ के मतदाताओं ने आजादी के बाद 1952 से अब तक सिर्फ तीन बार ही मतदान किया था.

नक्सलियों के गढ़ में मतदान
नक्सलियों के गढ़ में मतदान
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Published : Oct 29, 2020, 8:48 AM IST

Updated : Oct 29, 2020, 9:28 AM IST

जमुई: लोकतंत्र के महापर्व को लेकर नेतागण जनमानस के सामने लुभावने वादे करते हैं. लेकिन इससे इतर जमुई विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में एक भी माननीय मतदाता से मिलने आज तक नहीं पहुंचे. बावजूद इसके बिहार के महासमर में मतदाताओं का जज्बा देखते ही बन रहा है. जमुई में बरहट जंगल के चोरमारा, गुरमाहा, मुशहरी टाड़, जमुनिया टाड़ के मतदाता पैदल या ट्रैक्टर से वोट डालने पहुंचे.

नक्सलियों के गढ़ में मतदान
नक्सल प्रभावित होने के कारण प्रशासन ने मतदान केंद्र 160 को बरहट प्रखंड के कोईबा में शिफ्ट कर दिया गया. जिसकी दूरी करीब 20 किलोमीटर है. यहां के लोग पैदल या ट्रैक्टरों के माध्यम से 5 पहाड़ों से 20 किलोमीटर तक उबड़-खाबड़ पथरीले रास्ते से होते हुए मतदान करने के लिए मतदान केंद्र में पहुंचे. बुधवार को बिहार विधानसभा चुनाव के मतदान के दिन ईटीवी भारत की टीम उक्त गांव में पहुंची.

मतदान के लिए  20 किलोमीटर का सफर
मतदान के लिए 20 किलोमीटर का सफर

1952 के बाद चौथी बार मतदान
गुरमाहा चोरमारा एवं जमुनिया टाड़ के मतदाताओं ने आजादी के बाद साल 1952 से अब तक महज तीन बार वोट डाला है. चौथी बार मतदान करने के लिए सभी ने बुधवार को 20 किलोमीटर की दूरी तय की. जमुनिया टाड़ के मतदाताओं ने बताया कि एक प्रत्याशी द्वारा ट्रैक्टर मुहैया कराने के बाद कुछ लोग मतदान केंद्र पहुंचे. कुछ लोगों ने पैदल रास्ता तय किया तो कुछ लोग सायकल से मतदान केंद्र पहुंचे.

मतदान के लिए जाते ग्रामीण
मतदान के लिए जाते ग्रामीण

20 साल से रहा नक्सलियों का गढ़
पिछले 20 सालों से गुरमाहा, चोरमारा, मुश्हरि टाड़ और जमुनिया टाड़ नक्सली संगठन का गढ़ा रहा है. इसलिए पिछले 20 सालों से मतदाता नक्सलियों के मतदान बहिष्कार के कारण वोट देने नहीं जाते थे. पहली बार इस इलाके के मतदाताओं ने 2010 में मतदान किया. इसके बाद 2014 के लोकसभा, 2015 के विधानसभा चुनाव में मतदान किया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ग्रामीणों में दिखा आक्रोश
विकास और मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर इन गांवों की कई महिलाओं ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा उस इलाके में पानी नहीं दिया गया. नीतीश सरकार के खिलाफ इन लोगों में गुस्सा देखा गया.

जमुई: लोकतंत्र के महापर्व को लेकर नेतागण जनमानस के सामने लुभावने वादे करते हैं. लेकिन इससे इतर जमुई विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में एक भी माननीय मतदाता से मिलने आज तक नहीं पहुंचे. बावजूद इसके बिहार के महासमर में मतदाताओं का जज्बा देखते ही बन रहा है. जमुई में बरहट जंगल के चोरमारा, गुरमाहा, मुशहरी टाड़, जमुनिया टाड़ के मतदाता पैदल या ट्रैक्टर से वोट डालने पहुंचे.

नक्सलियों के गढ़ में मतदान
नक्सल प्रभावित होने के कारण प्रशासन ने मतदान केंद्र 160 को बरहट प्रखंड के कोईबा में शिफ्ट कर दिया गया. जिसकी दूरी करीब 20 किलोमीटर है. यहां के लोग पैदल या ट्रैक्टरों के माध्यम से 5 पहाड़ों से 20 किलोमीटर तक उबड़-खाबड़ पथरीले रास्ते से होते हुए मतदान करने के लिए मतदान केंद्र में पहुंचे. बुधवार को बिहार विधानसभा चुनाव के मतदान के दिन ईटीवी भारत की टीम उक्त गांव में पहुंची.

मतदान के लिए  20 किलोमीटर का सफर
मतदान के लिए 20 किलोमीटर का सफर

1952 के बाद चौथी बार मतदान
गुरमाहा चोरमारा एवं जमुनिया टाड़ के मतदाताओं ने आजादी के बाद साल 1952 से अब तक महज तीन बार वोट डाला है. चौथी बार मतदान करने के लिए सभी ने बुधवार को 20 किलोमीटर की दूरी तय की. जमुनिया टाड़ के मतदाताओं ने बताया कि एक प्रत्याशी द्वारा ट्रैक्टर मुहैया कराने के बाद कुछ लोग मतदान केंद्र पहुंचे. कुछ लोगों ने पैदल रास्ता तय किया तो कुछ लोग सायकल से मतदान केंद्र पहुंचे.

मतदान के लिए जाते ग्रामीण
मतदान के लिए जाते ग्रामीण

20 साल से रहा नक्सलियों का गढ़
पिछले 20 सालों से गुरमाहा, चोरमारा, मुश्हरि टाड़ और जमुनिया टाड़ नक्सली संगठन का गढ़ा रहा है. इसलिए पिछले 20 सालों से मतदाता नक्सलियों के मतदान बहिष्कार के कारण वोट देने नहीं जाते थे. पहली बार इस इलाके के मतदाताओं ने 2010 में मतदान किया. इसके बाद 2014 के लोकसभा, 2015 के विधानसभा चुनाव में मतदान किया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ग्रामीणों में दिखा आक्रोश
विकास और मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर इन गांवों की कई महिलाओं ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा उस इलाके में पानी नहीं दिया गया. नीतीश सरकार के खिलाफ इन लोगों में गुस्सा देखा गया.

Last Updated : Oct 29, 2020, 9:28 AM IST
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