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बिहार में चावल के भूसी से होगा एथेनॉल का उत्पादन, किसानों को होगा डबल फायदा: धर्मेंद्र प्रधान

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Published : Oct 30, 2020, 1:01 AM IST

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि किसानों के बेहतरी के लिए एक हजार एफपीओ बनाने की योजना है. इस पर लगभग एक लाख करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे. बिहार के किसान चावल और गन्ने से इस्तेमाल का उत्पादन करेंगे. चावल के भूसी और गन्ने से एथेनॉल बनाने का काम किया जाएगा. जिससे किसानों को डबल फायदा होगा.

पटना
पटना

पटना: भारतीय जनता पार्टी मिशन 2020 को फतह करने के लिए पूरी जोर आजमाइश कर रही है. भाजपा नेता केंद्र सरकार की उपलब्धियों का बखान कर रहे हैं. इन सब के बीच खास बात यह है कि बीजेपी नीतीश सरकार की उपलब्धियों की चर्चा चुनाव में करने से बच रही है.

'बिहार के किसानों की चिंता कर रहे नरेंद्र मोदी'
केंद्र सरकार के उपलब्धियों का बखान करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि किसानों के बेहतरी के लिए एक हजार एफपीओ बनाने की योजना है. इस पर लगभग एक लाख करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे. बिहार के किसान चावल और गन्ने से इस्तेमाल का उत्पादन करेंगे. चावल के भूसी और गन्ने से सरकार एथेनॉल बनाने का काम में लाएगी. इससे केंद्र सरकार एक लाख करोड़ रुपये की बचत होगी. धर्मेंद्र प्रधान ने आगे कहा कि पेट्रोल की कीमतों में इजाफा नहीं हो रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम होने पर सरकार समय-समय पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी करती है.

देखें रिपोर्ट

केंद्र सरकार की उपलब्धियों को गिना रहे बीजेपी नेता
बीजेपी इस बार के चुनाव में बिहार सरकार की उपलब्धियों के बजाए, केंद्र सरकार की उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं. भाजपा नेता नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए कार्यों के बारे में जनता के बीच जोर-शोर से प्रचार प्रसार कर रहे हैं. बीजेपी के नेता नीतीश सरकार के सबसे अहम सात निश्चय योजना और शराबबंदी पर चर्चा करने से बचते नजर आ रही है. मतलब साफ है नीतीश कुमार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी को देखते हुए बीजेपी चुनाव में ज्यादा से ज्यादा पीएम मोदी के नाम और केंद्र सरकार के विकास कार्यों को लेकर जनता के बीच में है. जिसका फायदा बीजेपी को होता भी दिखा रहा है.

2005 में बनी थी नीतीश सरकार
बता दें कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बीजेपी-जेडीयू की 2005 में पहली सरकार बनी तो उस समय केंद्र में यूपीए की सरकार थी. केंद्र की यूपीए सरकार में आरजेडी अहम सहयोगी थी और लालू यादव रेल मंत्री थे. यूपीए की केंद्र में 2014 तक सरकार रही और 2015 के विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार कांग्रेस-आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव लड़े और सरकार बनाई थी. महागठबंधन की सरकार में तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बने थे. हालांकि, 18 महीने के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होकर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ हाथ मिला लिया था.

पटना: भारतीय जनता पार्टी मिशन 2020 को फतह करने के लिए पूरी जोर आजमाइश कर रही है. भाजपा नेता केंद्र सरकार की उपलब्धियों का बखान कर रहे हैं. इन सब के बीच खास बात यह है कि बीजेपी नीतीश सरकार की उपलब्धियों की चर्चा चुनाव में करने से बच रही है.

'बिहार के किसानों की चिंता कर रहे नरेंद्र मोदी'
केंद्र सरकार के उपलब्धियों का बखान करते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि किसानों के बेहतरी के लिए एक हजार एफपीओ बनाने की योजना है. इस पर लगभग एक लाख करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे. बिहार के किसान चावल और गन्ने से इस्तेमाल का उत्पादन करेंगे. चावल के भूसी और गन्ने से सरकार एथेनॉल बनाने का काम में लाएगी. इससे केंद्र सरकार एक लाख करोड़ रुपये की बचत होगी. धर्मेंद्र प्रधान ने आगे कहा कि पेट्रोल की कीमतों में इजाफा नहीं हो रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम होने पर सरकार समय-समय पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी करती है.

देखें रिपोर्ट

केंद्र सरकार की उपलब्धियों को गिना रहे बीजेपी नेता
बीजेपी इस बार के चुनाव में बिहार सरकार की उपलब्धियों के बजाए, केंद्र सरकार की उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं. भाजपा नेता नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए कार्यों के बारे में जनता के बीच जोर-शोर से प्रचार प्रसार कर रहे हैं. बीजेपी के नेता नीतीश सरकार के सबसे अहम सात निश्चय योजना और शराबबंदी पर चर्चा करने से बचते नजर आ रही है. मतलब साफ है नीतीश कुमार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी को देखते हुए बीजेपी चुनाव में ज्यादा से ज्यादा पीएम मोदी के नाम और केंद्र सरकार के विकास कार्यों को लेकर जनता के बीच में है. जिसका फायदा बीजेपी को होता भी दिखा रहा है.

2005 में बनी थी नीतीश सरकार
बता दें कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बीजेपी-जेडीयू की 2005 में पहली सरकार बनी तो उस समय केंद्र में यूपीए की सरकार थी. केंद्र की यूपीए सरकार में आरजेडी अहम सहयोगी थी और लालू यादव रेल मंत्री थे. यूपीए की केंद्र में 2014 तक सरकार रही और 2015 के विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार कांग्रेस-आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव लड़े और सरकार बनाई थी. महागठबंधन की सरकार में तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बने थे. हालांकि, 18 महीने के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होकर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ हाथ मिला लिया था.

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