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आस्था कहें या अंधविश्वास: संतान सुख के लिए बछड़े का कान काटकर खुला छोड़ देते हैं लोग, सालों पुरानी है परंपरा

पटना के मसौढ़ी में महाशिवरात्रि के पर्व पर वीर मेला (Veer fair is organized on in Masaudhi of Patna) लगता है. जहां संतान सुख की प्राप्ति के लिए आज भी महाशिवरात्रि पूजा के दूसरे दिन वीर मेला में बछड़े का कान काट कर छोड़ने की परंपरा है. बकरी की बलि देने की भी परंपरा है.

मसौढ़ी में महाशिवरात्रि के पर्व पर वीर मेला लगता है
मसौढ़ी में महाशिवरात्रि के पर्व पर वीर मेला लगता है
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Published : Mar 2, 2022, 10:16 PM IST

Updated : Mar 2, 2022, 10:31 PM IST

पटना: राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी के ग्रामीण इलाके में तकरीबन हजारों साल से लगने वाले महाशिवरात्रि के पर्व पर वीर मेला लगता (Veer Fair is Held on Festival of Mahashivratri) है. जहां संतान सुख की प्राप्ति के लिए आज भी बछड़े का कान काटकर छोड़ने की परंपरा है, जो अभी भी चली आ रही है. इसे आस्था कहे या अंधविश्वास लेकिन तकरीबन 2 हजार सालों से यह परंपरा आज भी चली आ रही है. बिहार के कोने-कोने से लोग संतान सुख की प्राप्ति के लिए मन्नतें मांगने के लिए वीर ओरियारा मेले में आते हैं. अपनी-अपनी मुराद पूरी होने के लिए मन्नत मांगते हैं.

ये भी पढ़ें- Mahashivratri 2022: बाबा बिटेश्वर नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़, जलाभिषेक के लिए भक्तों की लंबी कतार

आस्था या अंधविश्वास: महाशिवरात्रि पर्व के बाद आज दूसरे दिन अमावस्या है और आज के दिन कहा जाता है कि भगवान भोले से जो भी मन्नत मांगी जाती है. वह पूरी होती है. ऐसे में बिहार के कोने-कोने से धनरूआ स्थित वीर में महाशिवरात्रि पर्व पर लगने वाले मेले में श्रद्धालु आते हैं. मन्नत मांगते है. हजारों लोग वैसे आते हैं जिनकी मन्नते पूरी हो गई होती है. वह मुंडन कराने आते हैं.

'2000 सालों से चली आ रही है परंपरा': 'तकरीबन 2000 सालों से यह परंपरा चलती आ रही है. जिस किसी श्रद्धालु को संतान सुख की प्राप्ति की मुराद पूरी करनी होती है. वह अपने साथ एक भैंस या गाय के बछड़े को लाते हैं. पूरे विधि विधान के साथ पूरा पूजा करते हुए उनका कान काट कर उन्हें छोड़ दिया जाता है. कई श्रद्धालु बकरी लेकर आते हैं. उनकी बलि देते हैं. यह परंपरा 2000 सालों से चली आ रही है.' - सुरेंद्र पांडेय, पुजारी

गाय के बछड़े का कान काट कर छोड़ने की परंपरा: मंदिर के पुजारी सुरेंद्र पांडे और विशेश्वर पांडे ने कहा कि अभी 2 दिनों में 700 लोगों का मुंडन हो चुका है. तकरीबन 80 लोग गाय के बछड़े को कान काट कर छोड़ने की परंपरा विधि विधान से पूरा किए हैं. इसे आस्था कहे या अंधविश्वास आज भी गांव में प्राचीन परंपरा चल रही है. धनरूआ के वीर ओरियारा में महाशिवरात्रि पर्व पर लगने वाला मेला का आयोजन भव्य रूप में होता है.

करोना काल के बाद इस बार मेले में लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ पड़ी है. महाशिवरात्रि पर्व पर मन्नतें मांगने वाले के लोगों की बहुत भीड़ होती है. कहा जाता है कि यह मंदिर कई पौराणिक मान्यताओं की है जहां पर आज भी संतान सुख की प्राप्ति के लिए मन्नत मांगने श्रद्धालु आते हैं. गाय के बछड़े और भैंस के बछड़े को कान काट कर छोड़ते हैं. मन्नते पूरी होने पर मुंडन करवाते हैं.

ये भी पढ़ें- मसौढ़ी में आस्था का जनसैलाब, कलश यात्रा में 5 हजार से अधिक महिला श्रद्धालु हुईं शामिल

ये भी पढ़ें- शिव आराधना का पर्व महाशिवरात्रि पर बन रहा पंचग्रही योग, जानें पूजा का मुहूर्त

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आस्था या अंधविश्वास: महाशिवरात्रि पर्व के बाद आज दूसरे दिन अमावस्या है और आज के दिन कहा जाता है कि भगवान भोले से जो भी मन्नत मांगी जाती है. वह पूरी होती है. ऐसे में बिहार के कोने-कोने से धनरूआ स्थित वीर में महाशिवरात्रि पर्व पर लगने वाले मेले में श्रद्धालु आते हैं. मन्नत मांगते है. हजारों लोग वैसे आते हैं जिनकी मन्नते पूरी हो गई होती है. वह मुंडन कराने आते हैं.

'2000 सालों से चली आ रही है परंपरा': 'तकरीबन 2000 सालों से यह परंपरा चलती आ रही है. जिस किसी श्रद्धालु को संतान सुख की प्राप्ति की मुराद पूरी करनी होती है. वह अपने साथ एक भैंस या गाय के बछड़े को लाते हैं. पूरे विधि विधान के साथ पूरा पूजा करते हुए उनका कान काट कर उन्हें छोड़ दिया जाता है. कई श्रद्धालु बकरी लेकर आते हैं. उनकी बलि देते हैं. यह परंपरा 2000 सालों से चली आ रही है.' - सुरेंद्र पांडेय, पुजारी

गाय के बछड़े का कान काट कर छोड़ने की परंपरा: मंदिर के पुजारी सुरेंद्र पांडे और विशेश्वर पांडे ने कहा कि अभी 2 दिनों में 700 लोगों का मुंडन हो चुका है. तकरीबन 80 लोग गाय के बछड़े को कान काट कर छोड़ने की परंपरा विधि विधान से पूरा किए हैं. इसे आस्था कहे या अंधविश्वास आज भी गांव में प्राचीन परंपरा चल रही है. धनरूआ के वीर ओरियारा में महाशिवरात्रि पर्व पर लगने वाला मेला का आयोजन भव्य रूप में होता है.

करोना काल के बाद इस बार मेले में लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ पड़ी है. महाशिवरात्रि पर्व पर मन्नतें मांगने वाले के लोगों की बहुत भीड़ होती है. कहा जाता है कि यह मंदिर कई पौराणिक मान्यताओं की है जहां पर आज भी संतान सुख की प्राप्ति के लिए मन्नत मांगने श्रद्धालु आते हैं. गाय के बछड़े और भैंस के बछड़े को कान काट कर छोड़ते हैं. मन्नते पूरी होने पर मुंडन करवाते हैं.

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Last Updated : Mar 2, 2022, 10:31 PM IST
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