पटनाः बिहार में गर्भाशय घोटाले पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई (Uterus scam hearing in Patna High Court) करते हुए सीबीआई को पार्टी बनाने का आदेश दिया है. जस्टिस अश्विनि कुमार सिंह और डॉ अंशुमान की खंडपीठ ने वेटरन फोरम द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामलें की जांच सीबीआई से कराई जा सकती है. इस मामले की अगली सुनवाई 11जुलाई 2022 को होगी.
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बीमा का लाभ लेने के चक्कर में महिला-पुरुषों का किया गया ऑपरेशनः याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि सबसे पहले ये मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष 2012 में लाया गया था. 2017 में पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका वेटरन फोरम ने दायर किया गया था. इसमें ये आरोप लगाया गया था कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (National Health Insurance Scheme) का गलत लाभ उठाने के लिए बिहार के विभिन्न अस्पतालों/डॉक्टरों ने बड़ी तादाद में बगैर महिलाओं की सहमति के ऑपरेशन कर गर्भाशय निकाल दिया. बीमा की राशि लेने के चक्कर में दर्जनों पुरुषों का भी आपरेशन कर दिया गया.
2012 में मामले पर हाईकोर्ट ने लिया था संज्ञानः इस मामला के खुलासा होने के बाद मानवाधिकार आयोग ने 30 अगस्त 2012 को स्वयं संज्ञान लिया था. आयोग ने 2015 में राज्य सरकार व अनुसन्धान एजेंसी को विस्तृत जानकारी देने को कहा था. इसमें कितने ऑपरेशन किये गए और कितनी महिलाओं की उनकी सहमति के बगैर उनके गर्भाशय निकाल दिये गए और उनकी उम्र कितनी थी. पीड़ितों को दिए गए मुआवजे का भी ब्यौरा मांगा गया था. लेकिन इसके बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई. मानवाधिकार आयोग और पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी क्षतिपूर्ति नहीं दिया गया है. साथ ही सार्वजनिक धन के वापसी के लिए भी अबतक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है.
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