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उर्दू, बांग्ला STET अभ्यर्थियों की चेतावनी- 'अविलंब संशोधित रिजल्ट जारी करे सरकार'

बिहार के उर्दू, बांग्ला एसटीईटी अभ्यर्थी अब आंदोलन के मूड में है. साल 2013 में उर्दू, बांग्ला एसटीईटी की परीक्षा आयोजित की गई थी. प्रदेश के चार लाख अभ्यर्थी एग्जाम में शामिल हुए. साल 2014 में इसका रिजल्ट प्रकाशित हुआ लेकिन रिजल्ट सवालों के घेरे में आ गया क्योंकि परीक्षा में कई प्रश्न गलत पूछे गए थे. इसके बाद विवाद शुरू हो गया.

STET अभ्यर्थियों की संशोधित रिजल्ट जारी करने की मांग
STET अभ्यर्थियों की संशोधित रिजल्ट जारी करने की मांग
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Published : Oct 5, 2021, 5:37 PM IST

पटना: बिहार के उर्दू, बांग्ला एसटीईटी अभ्यर्थी (Urdu, Bangla STET Candidates of Bihar) अब आंदोलन के मूड में है. अभ्यर्थियों की मांग है कि शिक्षा विभाग (Education Department) के निर्देशानुसार बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (Bihar School Examination Committee) अविलंब संशोधित रिजल्ट जारी करे. उर्दू, बांग्ला एसटीईटी अभ्यर्थी संघ के अध्यक्ष मुफ्ती हसन रजा ने कहा कि सरकार उर्दू, एसटीईटी अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव कर रही है.

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दरअसल, साल 2013 में उर्दू, बांग्ला एसटीईटी की परीक्षा आयोजित की गई थी. प्रदेश के चार लाख अभ्यर्थी एग्जाम में शामिल हुए. साल 2014 में इसका रिजल्ट प्रकाशित हुआ लेकिन परीक्षा परिणाम सवालों के घेरे में आ गया क्योंकि परीक्षा में कई प्रश्न गलत पूछे गए थे. इसके बाद विवाद शुरू हुआ. 2014 में ही बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने दूसरा संशोधित रिजल्ट जारी किया जिसमें 26000 अभ्यर्थी पास हुए.

देखें वीडियो

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सभी अभ्यर्थियों को पास सर्टिफिकेट मिला और पंचायत प्रखंड और जिला स्तर पर उन लोगों के नियोजन के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू हुई.
इसके बाद साल 2015 में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने तीसरा संशोधित रिजल्ट निकाला जिसमें 26000 पास अभ्यर्थियों में 12,000 फेल कर दिए गए जिसके बाद से पूरा बवाल शुरू हो गया. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का उस समय तर्क था कि गलत प्रश्नों के अंक हटा करके बाकी बचे अंकों में मार्किंग की प्रक्रिया की गई है.

इसके बाद जो 12000 अभ्यर्थी तीसरे संशोधित रिजल्ट में फेल किए गए वह इस बात को लेकर आंदोलन शुरू कर दिए कि जब एक बार उन्हें पास होने का सर्टिफिकेट मिल गया और पंचायत, प्रखंड से लेकर जिला स्तर तक स्कूलों में नियोजन के लिए आवेदन करा लिया गया फिर उसके बाद उन्हें फेल घोषित करने का शिक्षा विभाग का औचित्य क्या है.

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मामला सरकार के विभिन्न स्तरों से होते हुए मुख्यमंत्री तक पहुंचा और कोर्ट में भी मामला गया. अदालत से भी मामला अभ्यर्थियों के पक्ष में ही रहा और सरकार को उचित निर्णय लेने का अधिकार दिया गया. उर्दू, बांग्ला एसटीईटी अभ्यर्थी संघ के अध्यक्ष मुफ्ती हसन रजा ने कहा कि- 'सरकार उर्दू एसटीइटी अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव कर रही है. एक तरफ सरकार ने हिंदी एसटीईटी अभ्यर्थियों के लिए कटऑफ परसेंट 10 परसेंट कम किया और 50% मार्क्स पर रिजल्ट प्रकाशित किया.'

वहीं, उर्दू एसटीइटी अभ्यर्थियों को 60% मार्क्स पर रिजल्ट जारी किया गया. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा उर्दू, बांग्ला एसटीईटी 2013 का तीसरा संशोधित रिजल्ट जो प्रकाशित हुआ उसमें उन लोगों की मांग रही थी कि कटऑफ परसेंट 60% के बजाय 5% और कम किया जाए. हसन रजा ने बताया कि साल 2019 में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने 5% कट ऑफ कम करके रिजल्ट प्रकाशित करने का निर्णय लिया. 2 साल से अधिक समय हो गया है और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने रिजल्ट अब तक प्रकाशित नहीं किया है.

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'कई अभ्यर्थियों के सरकारी नौकरी की उम्र की सीमा भी अब खत्म हो रही है क्योंकि यह लड़ाई 7 साल से चल रही है. ऐसे में अब उर्दू एसटीईटी अभ्यर्थी आंदोलन के मूड में है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति अविलंब रिजल्ट प्रकाशित नहीं करती है तो पूरे बिहार में उर्दू, बांग्ला एसटीईटी अभ्यर्थी उग्र आंदोलन करेंगे. इसके साथ ही सरकारी कार्यक्रमों में भी जाकर अपना विरोध जताएंगे.' : मुफ्ती हसन रजा, अध्यक्ष, उर्दू, बांग्ला एसटीईटी अभ्यर्थी संघ

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दरअसल, साल 2013 में उर्दू, बांग्ला एसटीईटी की परीक्षा आयोजित की गई थी. प्रदेश के चार लाख अभ्यर्थी एग्जाम में शामिल हुए. साल 2014 में इसका रिजल्ट प्रकाशित हुआ लेकिन परीक्षा परिणाम सवालों के घेरे में आ गया क्योंकि परीक्षा में कई प्रश्न गलत पूछे गए थे. इसके बाद विवाद शुरू हुआ. 2014 में ही बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने दूसरा संशोधित रिजल्ट जारी किया जिसमें 26000 अभ्यर्थी पास हुए.

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सभी अभ्यर्थियों को पास सर्टिफिकेट मिला और पंचायत प्रखंड और जिला स्तर पर उन लोगों के नियोजन के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू हुई.
इसके बाद साल 2015 में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने तीसरा संशोधित रिजल्ट निकाला जिसमें 26000 पास अभ्यर्थियों में 12,000 फेल कर दिए गए जिसके बाद से पूरा बवाल शुरू हो गया. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का उस समय तर्क था कि गलत प्रश्नों के अंक हटा करके बाकी बचे अंकों में मार्किंग की प्रक्रिया की गई है.

इसके बाद जो 12000 अभ्यर्थी तीसरे संशोधित रिजल्ट में फेल किए गए वह इस बात को लेकर आंदोलन शुरू कर दिए कि जब एक बार उन्हें पास होने का सर्टिफिकेट मिल गया और पंचायत, प्रखंड से लेकर जिला स्तर तक स्कूलों में नियोजन के लिए आवेदन करा लिया गया फिर उसके बाद उन्हें फेल घोषित करने का शिक्षा विभाग का औचित्य क्या है.

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मामला सरकार के विभिन्न स्तरों से होते हुए मुख्यमंत्री तक पहुंचा और कोर्ट में भी मामला गया. अदालत से भी मामला अभ्यर्थियों के पक्ष में ही रहा और सरकार को उचित निर्णय लेने का अधिकार दिया गया. उर्दू, बांग्ला एसटीईटी अभ्यर्थी संघ के अध्यक्ष मुफ्ती हसन रजा ने कहा कि- 'सरकार उर्दू एसटीइटी अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव कर रही है. एक तरफ सरकार ने हिंदी एसटीईटी अभ्यर्थियों के लिए कटऑफ परसेंट 10 परसेंट कम किया और 50% मार्क्स पर रिजल्ट प्रकाशित किया.'

वहीं, उर्दू एसटीइटी अभ्यर्थियों को 60% मार्क्स पर रिजल्ट जारी किया गया. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा उर्दू, बांग्ला एसटीईटी 2013 का तीसरा संशोधित रिजल्ट जो प्रकाशित हुआ उसमें उन लोगों की मांग रही थी कि कटऑफ परसेंट 60% के बजाय 5% और कम किया जाए. हसन रजा ने बताया कि साल 2019 में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने 5% कट ऑफ कम करके रिजल्ट प्रकाशित करने का निर्णय लिया. 2 साल से अधिक समय हो गया है और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने रिजल्ट अब तक प्रकाशित नहीं किया है.

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