पटना: यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट जमा नहीं करने के मामले में बिहार के 60 कॉलेजों पर गाज गिर सकती है. इन कॉलेजों पर प्राथमिकी दर्ज होने के साथ-साथ यूजीसी द्वारा संचालित कई योजनाएं भी बंद हो सकती हैं. दरअसल, वर्ष 2002 से 2017 तक की 100 करोड़ की योजनाओं का यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट अब तक जमा नहीं कराया गया है.
यूजीसी बिहार के 60 से अधिक कॉलेजों पर विभिन्न योजनाओं की राशि गबन करने की प्राथमिकी दर्ज कराने जा रहा है. इसमें सभी विश्वविद्यालयों के कॉलेज शामिल हैं. इन कॉलेजों को कई बार रिमाइंडर के बावजूद वर्ष 2002 से 2017 तक विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत लिए गए 100 करोड़ रुपए का उपयोगिता प्रमाण पत्र अब तक जमा नहीं किया है.
7 दिनों के अंदर जमा करना होगा उपयोगिता प्रमाण पत्र
यूजीसी के पूर्वी क्षेत्रीय कार्यालय से पत्र जारी करते हुए कहा गया है कि सभी कॉलेजों द्वारा 7 दिनों के अंदर उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा किया जाए नहीं तो उनके विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा. इसे लेकर सभी कॉलेजों के प्रचार को नोटिस भेजा गया है. यूजीसी ने पत्र के साथ कॉलेजों की योजनाओं की सूची भेजी है.
कॉलेजों ने यूजीसी से मांगा है समय
इस मामले में विभिन्न कॉलेजों के प्रचार्यों का कहना है कि 17 साल पुरानी योजनाओं की फाइल खोजने में काफी परेशानी हो रही है. संबंधित प्राचार्य एवं शिक्षक कर्मी भी सेवानिवृत्त हो चुके हैं या उनका तबादला हो गया है. बहरहाल ऐसी स्थिति में कार्रवाई से बचने के लिए यूजीसी से समय मांगा गया है. सबसे अधिक राशि सेमिनार, कार्यशाला, गोष्ठी, एससी-एसटी छात्रों के लिए कोचिंग सेंटर, हेल्पलाइन, सेंटर कॉमन रूम आदि पर खर्च किए गए हैं.
यूजीसी कर सकता है सभी मान्यताएं रद्द
इस सूची में मगध महिला कॉलेज, पटना साइंस कॉलेज, कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस, पटना विमेंस कॉलेज सहित पटना के अधिसंख्य कॉलेज शामिल हैं. सभी कॉलेजों को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि इस फॉर्मेट में उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देने पर उनकी मान्यता खत्म कर यूजीसी से मिलने वाली सभी सुविधाएं बंद कर दी जाएंगी.