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लॉकडाउन की मार: दो वक्त के खाने को तरसे कलाकार, सरकारी मदद का इंतजार

लॉकडाउन के कारण मूर्तियां बनाने वालों और पेंटिंग्स बनाने वालों की मुसीबत बढ़ गई है. एक तो बिक्री बंद है, ऊपर से बाजार बंद रहने के कारण कला सामग्री से जुड़ी तमाम दुकानें बंद है. जिस वजह से वे कोई नई रचना तैयार नहीं कर पा रहे हैं. कई लोगों के लिए तो अब भरण-पोषण की भी समस्या खड़ी हो गई है. ऐसे में उन्हें सरकारी मदद का इंतजार है.

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Published : May 8, 2020, 1:59 PM IST

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पटना: मिट्टी एकत्र कर उसे सांचे में ढालकर मूर्ति तैयार करते मूर्तिकार... तैयार मूर्तियों को रंग-रोगन के बाद उसे सही जगह पर रखते कलाकार और खूबसूरत पेंटिंग को अंतिम रूप देते चित्रकार... सभी लोग इस लॉकडाउन के कारण परेशान हैं. एक तो डेढ़ महीने से जारी लॉकडाउन के कारण खरीदार नहीं मिल रहे हैं. ऊपर से ये चिंता सता रही है कि अगर कोरोना संकट और लॉकडाउन जल्द खत्म नहीं हुआ तो आने वाले पर्व-त्योहारों में भी मूर्तियां कैसे बिकेंगी?

राजधानी में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो मूर्ति, चित्र और दूसरी तरह की कलाकारी के जरिए अपनी आजीविका चलाते हैं.

  • पटना में अलग-अलग पर्व-त्योहारों के मौकों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने वाले करीब 25 से 30 मूर्तिकार हैं. सालों भर ये किसी न किसी तरह से इसी काम में लगे होते हैं.
  • राजधानी में होम डेकोरेशन के जरिए अपनी आजीविका चलाने वाले कलाकारों की संख्या लगभग 50 से 60 है.
  • करीब 200 ऐसे कलाकार हैं, जो वॉल पेंटिंग के माध्यम से अपना गुजारा करते हैं.
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    दीवारों पर खूबसूरत पेंटिंग

कोरोना से सब तबाह!

मूर्ति बनाने वाले अशोक कुमार दास कहते हैं कि वे पिछाले 50 बरस से इस पेशे से जुड़े हैं. लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि कोरोना के कारण धंधा पूरी तरह बंद है. दिनभर में एक भी मूर्ति नहीं बिक रही है. इनकी परेशानी सिर्फ वर्तमान हालात को लेकर ही नहीं है, चिंता भविष्य को लेकर भी है. कहते हैं कि अगर ये महामारी जल्दी खत्म नहीं हुई और लॉकडाउन बढ़ता रहा तो आने वाले पर्व-त्योहारों में मूर्तियां कौन खरीदेगा? कमाई नहीं होगी तो घर कैसे चलेगा?

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मूर्तियों के लिए मिट्टी तैयार करते मूर्तिकार

पैसे और राशन खत्म

20 सालों से फर्निश मोल्डिंग और घर की सजावट के सामान बनाने के काम से जुड़े शंकर कहते हैं बहुत मुश्किल में जी रहे हैं. पहले तो रोजाना 500 से हजार रुपए कमा भी लेते थे, लेकिन लॉकडाउन में काम ही नहीं मिल रहा. घर में राशन खत्म हो रहा है, जेब में पैसे भी नहीं बचे हैं. सरकार से ही कोई उम्मीद बची है.

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पहले की बची हुई मूर्तियां

कलाकारों पर दोहरी मार

वहीं, मशहूर चित्रकार पद्मश्री श्याम शर्मा कहते हैं कि लॉकडाउन के कारण कलाकारों पर दोहरी मार पड़ रही है. एक तो आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है, दूसरा बाजार बंद होने के कारण सामान नहीं मिल रहे हैं, जिससे वे कुछ नया बना सकें.

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मशहूर चित्रकार पद्मश्री श्याम शर्मा

सरकारी मदद जरूर मिलेगी-मंत्री

कलाकारों की परेशानी को लेकर ईटीवी भारत ने जब कला संस्कृति और युवा मामलों के मंत्री प्रमोद कुमार से बात की तो उन्होंने कहा कि इस मुश्किल दौर में परेशानी तो है. लेकिन हमारी सरकार चाहे कलाकार हो या दूसरे व्यवसाय ले जुड़े लोग, सभी को सहायता पहुंचाने की कोशिश में जुटी है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

लॉकडाउन खत्म हो और सब कुछ पहले जैसा हो जाए...

मंत्री का आश्वासन जरूर इन लोगों में थोड़ी उम्मीद जगाती है, लेकिन ये लॉकडाउन जितना अधिक आगे बढ़ेगा जाहिर तौर पर इनके लिए मुसीबत और बढ़ती जाएगी. क्योंकि मुआवजा इनकी जिंदगी में रंग भरने के लिए पर्याप्त साबित नहीं हो सकता. वैसे भी सरकारी मदद कब और कितनी मिलेगी, इसकी कोई निश्चित मियाद नहीं है.

पटना: मिट्टी एकत्र कर उसे सांचे में ढालकर मूर्ति तैयार करते मूर्तिकार... तैयार मूर्तियों को रंग-रोगन के बाद उसे सही जगह पर रखते कलाकार और खूबसूरत पेंटिंग को अंतिम रूप देते चित्रकार... सभी लोग इस लॉकडाउन के कारण परेशान हैं. एक तो डेढ़ महीने से जारी लॉकडाउन के कारण खरीदार नहीं मिल रहे हैं. ऊपर से ये चिंता सता रही है कि अगर कोरोना संकट और लॉकडाउन जल्द खत्म नहीं हुआ तो आने वाले पर्व-त्योहारों में भी मूर्तियां कैसे बिकेंगी?

राजधानी में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो मूर्ति, चित्र और दूसरी तरह की कलाकारी के जरिए अपनी आजीविका चलाते हैं.

  • पटना में अलग-अलग पर्व-त्योहारों के मौकों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने वाले करीब 25 से 30 मूर्तिकार हैं. सालों भर ये किसी न किसी तरह से इसी काम में लगे होते हैं.
  • राजधानी में होम डेकोरेशन के जरिए अपनी आजीविका चलाने वाले कलाकारों की संख्या लगभग 50 से 60 है.
  • करीब 200 ऐसे कलाकार हैं, जो वॉल पेंटिंग के माध्यम से अपना गुजारा करते हैं.
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    दीवारों पर खूबसूरत पेंटिंग

कोरोना से सब तबाह!

मूर्ति बनाने वाले अशोक कुमार दास कहते हैं कि वे पिछाले 50 बरस से इस पेशे से जुड़े हैं. लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि कोरोना के कारण धंधा पूरी तरह बंद है. दिनभर में एक भी मूर्ति नहीं बिक रही है. इनकी परेशानी सिर्फ वर्तमान हालात को लेकर ही नहीं है, चिंता भविष्य को लेकर भी है. कहते हैं कि अगर ये महामारी जल्दी खत्म नहीं हुई और लॉकडाउन बढ़ता रहा तो आने वाले पर्व-त्योहारों में मूर्तियां कौन खरीदेगा? कमाई नहीं होगी तो घर कैसे चलेगा?

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मूर्तियों के लिए मिट्टी तैयार करते मूर्तिकार

पैसे और राशन खत्म

20 सालों से फर्निश मोल्डिंग और घर की सजावट के सामान बनाने के काम से जुड़े शंकर कहते हैं बहुत मुश्किल में जी रहे हैं. पहले तो रोजाना 500 से हजार रुपए कमा भी लेते थे, लेकिन लॉकडाउन में काम ही नहीं मिल रहा. घर में राशन खत्म हो रहा है, जेब में पैसे भी नहीं बचे हैं. सरकार से ही कोई उम्मीद बची है.

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पहले की बची हुई मूर्तियां

कलाकारों पर दोहरी मार

वहीं, मशहूर चित्रकार पद्मश्री श्याम शर्मा कहते हैं कि लॉकडाउन के कारण कलाकारों पर दोहरी मार पड़ रही है. एक तो आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है, दूसरा बाजार बंद होने के कारण सामान नहीं मिल रहे हैं, जिससे वे कुछ नया बना सकें.

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मशहूर चित्रकार पद्मश्री श्याम शर्मा

सरकारी मदद जरूर मिलेगी-मंत्री

कलाकारों की परेशानी को लेकर ईटीवी भारत ने जब कला संस्कृति और युवा मामलों के मंत्री प्रमोद कुमार से बात की तो उन्होंने कहा कि इस मुश्किल दौर में परेशानी तो है. लेकिन हमारी सरकार चाहे कलाकार हो या दूसरे व्यवसाय ले जुड़े लोग, सभी को सहायता पहुंचाने की कोशिश में जुटी है.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

लॉकडाउन खत्म हो और सब कुछ पहले जैसा हो जाए...

मंत्री का आश्वासन जरूर इन लोगों में थोड़ी उम्मीद जगाती है, लेकिन ये लॉकडाउन जितना अधिक आगे बढ़ेगा जाहिर तौर पर इनके लिए मुसीबत और बढ़ती जाएगी. क्योंकि मुआवजा इनकी जिंदगी में रंग भरने के लिए पर्याप्त साबित नहीं हो सकता. वैसे भी सरकारी मदद कब और कितनी मिलेगी, इसकी कोई निश्चित मियाद नहीं है.

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