पटना: बिहार (Bihar) में 15 दिसंबर के बाद थर्मोकोल प्लेट्स (Thermocol Plates), सिंगल यूज प्लास्टिक (Single Use Plastic) के ग्लास और ऐसे अन्य उत्पादों का विक्रय, व्यापार और इस्तेमाल पूरी तरह बंद (Plastic Glasses to be Banned in Bihar) हो जाएगा. ऐसे में इस व्यापार से जुड़ी बड़ी आबादी प्रभावित होगी. यही नहीं, जो लोग इसका इस्तेमाल करते हैं, उनके लिए भी जानना जरूरी है कि प्लास्टिक और थर्मोकोल के बंद होने के बाद उनके लिए विकल्प क्या होंगे. देखिए पटना से यह खास रिपोर्ट.
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सरकार की अधिसूचना के मुताबिक 15 दिसंबर 2021 से बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्मोकोल से बने तमाम उत्पाद के विक्रय, व्यापार और इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लग जाएगी. अगर आप 15 दिसंबर से इनका व्यापार या इस्तेमाल करते पकड़े गए तो आप को जेल हो सकती है. भारी-भरकम जुर्माना भी हो सकता है.
दरअसल, थर्मोकोल और सिंगल यूज प्लास्टिक से बने उत्पाद पर्यावरण के लिए अत्यंत नुकसानदेह हैं. मनुष्य के जीवन पर भी ये बुरा प्रभाव डाल रहे हैं. इस बारे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक घोष कहते हैं कि थर्मोकोल और सिंगल यूज प्लास्टिक के लंबे समय तक इस्तेमाल से कैंसर हो सकता है. इसके अलावा यह प्रकृति के अन्य चीजों पर भी बड़ा बुरा प्रभाव डालते हैं. इसलिए इनके इस्तेमाल को जल्द से जल्द बंद करना बहुत जरूरी है.
पटना समेत पूरे बिहार में हजारों की संख्या में रिटेलर और सैकड़ों की संख्या में थोक व्यवसाई प्लास्टिक कप प्लेट और थर्मोकोल के प्लेट और ग्लास आदि के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. पटना स्थित एक रिटेलर रितेश कुमार ने कहा कि इस बिजनेस से जुड़े करीब 70 फीसदी से ज्यादा लोग अधिक पढ़े-लिखे नहीं हैं. पहले तो सरकार को यह बताना होगा कि कौन सी चीजें हैं जिन्हें नहीं बेचनी है और कौन-कौन से प्रोडक्ट बेच सकते हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार हमें पर्याप्त मौका दें ताकि हम अपना पुराना स्टॉक क्लियर कर सकें. कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave of Corona) की आशंका से भयभीत रितेश ने कहा कि हम लोग उधारी पर ज्यादा काम करते हैं. ऐसे में एकाएक अगर सब कुछ बंद कर दिया गया तो हमारा क्या होगा.
वहीं, एक थोक व्यवसाई पंकज कुमार ने कहा कि पहले सरकार प्लास्टिक के इस्तेमाल के लिए चिप्स, तेल, घी और अन्य सामानों के लिए कोई विकल्प की व्यवस्था करें. हम बेहतर समझते हैं कि थर्मोकोल और सिंगल यूज प्लास्टिक पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है. सरकार को सबके लिए उपाय एक साथ करना चाहिए.
प्लास्टिक के व्यवसाय से जुड़े बिहार के बड़े व्यवसाई अरुण राठी बताते हैं कि बड़े शहरों में बायोडिग्रेडेबल कप (Biodegradable Cup) और प्लेट बन रहे हैं लेकिन बिहार में इसके लिए नए तरीके की मशीनें लगानी पड़ेगी. उपकरण नये होंगे और यह काफी महंगा पड़ेगा और इसे लोग शायद नहीं खरीदें. इस व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए तो आने वाला समय काफी मुश्किल भरा होने वाला है.
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Pollution Control Board) के अध्यक्ष डॉ. अशोक घोष ने कहा कि अगर हम उनके विकल्पों पर गौर करें तो हमें समय से थोड़ा पीछे जाना होगा. हमें यह समझना जरूरी है कि हम प्लास्टिक के साथ पैदा नहीं हुए. पहले हम कपड़े और जूट के झोले इस्तेमाल करते थे. पॉलिथीन बैग की जगह हम कागज से बने ठोंगे इस्तेमाल करते थे. हमें इन सब की तरफ लौटना होगा और इनके फिर से इस्तेमाल शुरू होने से बिहार के गांवों में बड़ी संख्या में कॉटेज इंडस्ट्री फिर से कायम होगी. इससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलेगा. उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ कागज, कॉटन और जूट ही नहीं बल्कि केले के थंब के रेशे भी काफी काम के हैं.