पटना: डिप्टी सीएम सुशील मोदी का सीएम नीतीश कुमार को लेकर शुरू से ही सॉफ्ट कॉर्नर रहा है. सुमो हमेशा पार्टी लाइन के विरोध के बावजूद नीतीश कुमार के पक्ष में ही फैसला लेते रहे हैं. अब एक बार फिर से डिप्टी सीएम नीतीश के पक्ष में मजबूती से खड़े होते दिख रहे हैं. उनकी इस मंशा पर अब विशेषज्ञ भी सवाल खड़ा कर रहे हैं.
मोदी और शाह के समर्थकों के निशाने पर सुमो
कभी नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताने वाले सुशील मोदी पार्टी में हमेशा से नरेंद्र मोदी और अमित शाह के समर्थकों के निशाने पर रहे हैं. नरेंद्र मोदी को पीएम उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से ही नीतीश कुमार ने एनडीए से नाता तोड़ लिया था हालांकि वे आरजेडी के साथ महागठबंधन में तालमेल नहीं बना सके और फिर से एनडीए के साथ जुड़ गए. इसके पीछे भी सुशील मोदी का बड़ा हाथ माना जाता है. बिहार के विकास में भी नीतीश और सुशील मोदी की जोड़ी की खूब चर्चा होती है, लेकिन एक कदम आगे बढ़कर हमेशा नीतीश की तारीफ करने के कारण सुमो की आलोचना भी होती रही है.
सुशील मोदी ने बताया नीतीश को कैप्टन
बिहार में 2020 में विधानसभा चुनाव है. बीजेपी के कई नेता चाहते हैं इस बार मुख्यमंत्री पार्टी की ओर से हो, और इस सिलसिले में कई नेताओं ने बयान भी दिए है. एमएलसी संजय पासवान ने तो नीतीश से बतौर सीएम बिहार को सुशील मोदी के हवाले करने की मांग कर डाली. इस पर काफी बवाल भी मचा था. इसी के बाद सुशील मोदी ने ट्वीट कर एक बार फिर से नीतीश कुमार को 2020 में भी कैप्टन बने रहने की बात कह दी.
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सुमो की मंशा पर उठ रहे सवाल
अब इसको लेकर विशेषज्ञ सुशील मोदी की मंशा पर सवाल खड़ा कर रहे हैं. ए एन सिन्हा इंस्टिट्यूट के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर कहते है कि सुमो को लगता है कि अगर कोई नया मुख्यमंत्री बन गया तो उनकी डिप्टी सीएम वाली कुर्सी भी छीन सकती है. इसीलिए नीतीश कुमार को सीएम बनाने की बात कहते नजर आ रहे है.
'खुद ही खुद को अयोग्य बनाया'
पूर्व मंत्री वृषिण पटेल कहते हैं कि सुशील मोदी ने सीएम पद के लिए खुद ही खुद को अयोग्य बना लिया है. उन्हें लगता है कि नीतीश के सीएम ना रहने पर उनका राजनीतिक भविष्य खत्म हो जाएगा. यही वजह है कि वे लगातार नीतीश का साथ देते नजर आ रहे हैं.
2005 से नीतीश सीएम की कुर्सी पर काबिज
बता दें कि बिहार में 2005 से नीतीश कुमार सीएम की कुर्सी पर काबिज हैं. सुशील मोदी भी बीच के कुछ सालों को छोड़कर लगातार डिप्टी सीएम रहे हैं. 2015 में नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ विधानसभा का चुनाव लड़ा था. नीतीश तो सीएम बन गए लेकिन सुशील मोदी सीएम बनते बनते रह गए और डिप्टी सीएम भी नहीं बन पाए थे.