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अवैध निर्माण तोड़ने के पटना हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे - महाधिवक्ता ललित किशोर

पटना हाईकोर्ट की नई बिल्डिंग (शताब्दी भवन) एक बहुमंजिली इमारत के अवैध निर्माण को तोड़ने के पटना हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है. पटना हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में बहाल एमिकस क्यूरी (Amicus Curiae) वरीय अधिवक्ता राजेंद्र नारायण को नोटिस जारी किया है. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Aug 31, 2021, 5:28 PM IST

पटना: पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) की नई बिल्डिंग (शताब्दी भवन) के पास मजार से सटे एक बहुमंजिली इमारत के हुए अवैध निर्माण को तोड़ने के पटना हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देते हुए फिलहाल राहत दी है. जस्टिस यू यू ललित की पीठ ने राज्य सरकार की व अन्य की अपील पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में बहाल एमिकस क्यूरी (Amicus Curiae) वरीय अधिवक्ता राजेंद्र नारायण को नोटिस जारी किया है.

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जस्टिस अश्विनी कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय जजों की बेंच ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. जजों की पांच सदस्यीय बेन्च ने बहुमत के निर्णय से इस भवन निर्माण को अवैध घोषित करते हुए एक माह के भीतर तोड़ने का आदेश दिया था.

इससे पहले इस भवन के निर्माण पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से पूछा था कि क्या इसके निर्माण को लेकर पटना हाईकोर्ट और पटना नगर निगम से भी अनुमति ली गई थी? राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर (Advocate General Lalit Kishore) ने कोर्ट को बताया था कि नई बिल्डिंग से सटे मजार के करीब वक्फ बोर्ड का चार मंजिला कार्यालय बन रहा है. कार्यालय के सबसे नीचे मुसाफिर खाना बन रहा है.

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यह तिमंजिला भवन है एवं नए इमारत के निर्माण में किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई थी. इस पर जजों ने कहा था कि यह गलत तरीके से बना है. बिल्डिंग बाय लॉ की धारा 21 में स्पष्ट कहा गया है कि विधान सभा (Legislative Assembly), राजभवन (Raj Bhavan) और हाईकोर्ट (High Court) जैसे महत्वपूर्ण और सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील इमारतों से सटे कोई दूसरी बिल्डिंग नहीं बनाई जा सकती है. साथ ही ऊंचाई 10 मीटर से ज्यादा कभी नहीं हो सकती हैं. इस मामले पर नोटिस का जवाब दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई होगी.

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पटना: पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) की नई बिल्डिंग (शताब्दी भवन) के पास मजार से सटे एक बहुमंजिली इमारत के हुए अवैध निर्माण को तोड़ने के पटना हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देते हुए फिलहाल राहत दी है. जस्टिस यू यू ललित की पीठ ने राज्य सरकार की व अन्य की अपील पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में बहाल एमिकस क्यूरी (Amicus Curiae) वरीय अधिवक्ता राजेंद्र नारायण को नोटिस जारी किया है.

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जस्टिस अश्विनी कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय जजों की बेंच ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. जजों की पांच सदस्यीय बेन्च ने बहुमत के निर्णय से इस भवन निर्माण को अवैध घोषित करते हुए एक माह के भीतर तोड़ने का आदेश दिया था.

इससे पहले इस भवन के निर्माण पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से पूछा था कि क्या इसके निर्माण को लेकर पटना हाईकोर्ट और पटना नगर निगम से भी अनुमति ली गई थी? राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ललित किशोर (Advocate General Lalit Kishore) ने कोर्ट को बताया था कि नई बिल्डिंग से सटे मजार के करीब वक्फ बोर्ड का चार मंजिला कार्यालय बन रहा है. कार्यालय के सबसे नीचे मुसाफिर खाना बन रहा है.

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यह तिमंजिला भवन है एवं नए इमारत के निर्माण में किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई थी. इस पर जजों ने कहा था कि यह गलत तरीके से बना है. बिल्डिंग बाय लॉ की धारा 21 में स्पष्ट कहा गया है कि विधान सभा (Legislative Assembly), राजभवन (Raj Bhavan) और हाईकोर्ट (High Court) जैसे महत्वपूर्ण और सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील इमारतों से सटे कोई दूसरी बिल्डिंग नहीं बनाई जा सकती है. साथ ही ऊंचाई 10 मीटर से ज्यादा कभी नहीं हो सकती हैं. इस मामले पर नोटिस का जवाब दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई होगी.

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