पटना: राजधानी पटना में एनआईटी (NIT in Patna) में पिछले शैक्षणिक सत्र 2021-22 में हिंदी मीडियम में तकनीकी शिक्षा की पढ़ाई शुरू (Technical Education in Hindi Medium) हुई. जुलाई 2021 में नए सत्र में नामांकन के क्रम में 100 से अधिक छात्रों ने हिंदी मीडियम में तकनीकी शिक्षा हासिल करने को लेकर अपनी रूचि दिखाई. लेकिन, 1 साल के अंदर ही 80 फीसदी से अधिक छात्र हिंदी मीडियम से इंग्लिश मीडियम में शिफ्ट कर गए. अभी के समय स्थिति यह है कि 20 से 22 की संख्या में ही मात्र ऐसे छात्र बचे हैं, जो हिंदी मीडियम में तकनीकी शिक्षा हासिल कर रहे हैं.
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पटना NIT में हिंदी मीडियम से पढ़ने वाले कम छात्र: पटना एनआईटी में जब तकनीकी शिक्षा की पढ़ाई शुरू की गई, तब शिक्षकों ने छात्रों को स्टडी मैटेरियल्स हिंदी में उपलब्ध कराना शुरू किया, लेकिन धीरे-धीरे हिंदी मीडियम से छात्र इंग्लिश मीडियम में शिफ्ट हो गए. और इसके पीछे वजह बताते हुए पटना एनआईटी के प्रथम वर्ष के छात्र अभिषेक कुमार कैमरे के सामने ना आने की शर्त पर बताते हैं, कि उन्होंने हिंदी मीडियम से तकनीकी शिक्षा हासिल करने के लिए शुरू में अपनी दिलचस्पी दिखाई थी, हिंदी मीडियम में ही उन्होंने तकनीकी शिक्षा की पढ़ाई शुरू की. ऐसा इसलिए क्योंकि वह शुरू से बिहार बोर्ड में हिंदी मीडियम से ही पढ़े हैं. लेकिन अब अपना मोड ऑफ स्टडी बदल दिए हैं और इसे बदल कर इंग्लिश मीडियम में आ गए हैं.
'इसके पीछे वजह यह है कि उन्हें डर है, कि जब वह डिग्री लेकर के कॉलेज से निकले तो, उनका कहीं कैंपस प्लेसमेंट ही ना हो. अभिषेक ने बताया कि कैंपस प्लेसमेंट में अधिकांश मल्टीनेशनल कंपनियां आती है, जो अंग्रेजी में ही इंटरव्यू आयोजित करती हैं. और यदि उन्हें पता चलता है, कि छात्र ने हिंदी मीडियम में पढ़ाई की है, तो संभव है कि वो अपने प्लेसमेंट प्रक्रिया में उन्हें मौका ही ना दें.' - अभिषेक कुमार, एनआईटी के प्रथम वर्ष के छात्र
'उन्होंने इस बार जुलाई 2021 में नए सत्र के छात्रों को हिंदी मीडियम में पठन-पाठन का मौका दिया. शुरू में 100 से अधिक छात्रों ने हिंदी मीडियम को स्वीकार किया था, लेकिन एग्जाम आते-आते उनकी संख्या काफी कम रह गई है. और अभी इस समय स्थिति ऐसी है, कि 20 से 25 की संख्या में ही ऐसे छात्र हैं, जो हिंदी मीडियम में तकनीकी शिक्षा हासिल कर रहे हैं. और वह भी एक से दो सब्जेक्ट में ही हिंदी मीडियम में पढ़ाई कर रहे हैं. यह दो विषय मैनेजमेंट और ह्यूमैनिटीज है. छात्र बाकी विषयों को हिंदी में इसलिए नहीं पढ़ना चाह रहे हैं, कि उन्हें यह भय है, कि जब वह आगे पढ़ते हुए फाइनल ईयर तक जाएंगे, तो कैंपस प्लेसमेंट में परेशानी हो सकती है. छात्रों की इस भय को वह नहीं दूर कर पा रहे हैं.' - प्रोफेसर प्रदीप कुमार जैन, निदेशक, एनआईटी पटना
प्लेसमेंट के डर से हिंदी से अंग्रेजी में पढ़ रहे छात्र: पटना एनआईटी के डायरेक्टर प्रदीप कुमार जैन (Patna NIT Director Pradeep Kumar Jain) ने बताया कि कैंपस प्लेसमेंट में जो कंपनियां आती हैं, उनके ऊपर कोई कंट्रोल उनका नहीं रहता है. कैंपस प्लेसमेंट को लेकर के जो इंस्ट्रक्शन मीडियम है, वह आज भी इंग्लिश ही है. और आजकल हिंग्लिश का प्रयोग हो रहा है. जो कंपनियां कैंपस प्लेसमेंट के लिए आती हैं, उनके जो अधिकारी आते हैं, यह उनके ऊपर डिपेंड करता है, कि वह प्लेसमेंट के लिए बच्चों में क्या ढूंढते हैं. बच्चे अभी सुरक्षित क्षेत्र में रहना चाहते हैं. इसीलिए वह इंग्लिश मीडियम की तरफ जा रहे हैं, बजाए हिंदी मीडियम के. अधिकांश मल्टीनेशनल कंपनियों के कैंपस प्लेसमेंट की पूरी प्रक्रिया अंग्रेजी में ही होती है. और गूगल, फेसबुक, अमेजन जैसी कंपनियां वैसे कैंडिडेट्स को अधिक मौका देती हैं, जिनका इंग्लिश कम्युनिकेशन बेहतर होता है.
प्लेसमेंट के लिए इंग्लिश कम्युनिकेशन जरूरी: उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में यदि हिंदी मीडियम से पढ़ने वाले बच्चों का कैंपस प्लेसमेंट होता है, तो संभव है कि आने वाले दिनों में हिंदी मीडियम में तकनीकी शिक्षा हासिल करने के लिए छात्रों का रिस्पांस बढ़े. उन्होंने कहा कि वह यह नहीं कह सकते कि हिंदी मीडियम से तकनीकी शिक्षा पढ़ने वाले छात्र किसी मामले में इंग्लिश मीडियम में पढ़ने वाले छात्र से कमतर होंगे, लेकिन हिंदी में तकनीकी शिक्षा हासिल करने को लेकर के छात्रों के मन में जो भय है, यह समय के साथ ही दूर हो सकता है.
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