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..तो JDU में 'दो नाव' की सवारी नहीं कर सकेंगे ललन सिंह! RCP खेमा ने बनायी रणनीति

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के लिए मुसीबत आ सकती है. यह कोई और नहीं बल्कि उनकी पार्टी के नेता ही खड़े कर सकते हैं. क्या है पूरा माजरा आगे पढ़ें इस रिपोर्ट में...

Lalan Singh
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Published : Jun 13, 2022, 6:33 PM IST

Updated : Jun 13, 2022, 7:03 PM IST

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने जदयू में एक व्यक्ति एक पद की व्यवस्था कायम कर रखी है. हालांकि बीच-बीच में इसका उल्लंघन भी होता रहा है. खुद मुख्यमंत्री रहते हुए नीतीश कुमार राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने रहे. बाद में उसी आधार पर राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी भी छोड़ दी. फिलहाल ललन सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष (JDU President Lalan Singh) के साथ-साथ लोकसभा में संसदीय दल के नेता पद की कुर्सी भी संभाले हुए (Lalan Singh Holds Two Post In JDU) हैं. अब इसको लेकर चर्चा शुरू है. आरसीपी सिंह का खेमा आने वाले दिनों में इसे मुद्दा बनाने की तैयारी कर रहा है. नीतीश कुमार के लिए भी ललन सिंह का बचाव करना आसान नहीं होगा. ऐसे में ललन सिंह को आने वाले दिनों में एक पद छोड़ना मजबूरी हो जाएगा.

ये भी पढ़ें - बिहार NDA में सब ठीक है! ललन सिंह बोले- कोई दिक्कत नहीं, जातीय जनगणना पर कही ये बात



मुद्दा बनाने की तैयारी में आरसीपी सिंह खेमा : एक व्यक्ति एक पद को लेकर जदयू में पहले भी मुद्दा बनता रहा है. आरसीपी सिंह राष्ट्रीय रहते हुए जब केंद्र में मंत्रिमंडल में शामिल हुए तो इसी आधार पर उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा था. लेकिन अब ललन सिंह के पास दो-दो महत्वपूर्ण पद हैं और पार्टी के अंदर इस को लेकर चर्चा शुरू है. खासकर आरसीपी सिंह खेमा इसे मुद्दा बनाने की तैयारी कर रहा है. इंतजार आरसीपी सिंह के केंद्र में मंत्री पद से हटने का हो रहा है. जदयू के नेता फिलहाल इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.

''जदयू में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है यह तो दिख रहा है. नीतीश कुमार ने तो खुद मुख्यमंत्री रहते लंबे समय तक राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भी अपने पास रखे रहा. जब विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं हुआ तो आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया. आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बने तो राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को बना दिया. पार्टी के अंदर यह मुद्दा उठेगा, जब आरसीपी सिंह 6 जुलाई के बाद बेरोजगार हो जाएंगे. राज्यसभा का कार्यकाल जब समाप्त होगा तो उनकी तरफ से इसे मुहिम बनाया जा सकता है. तब नीतीश कुमार के लिए मुश्किल बढ़ सकती है.''- अरुण पांडे, वरिष्ठ पत्रकार सह राजनीतिक विशेषज्ञ

गेंद को दूसरे के पाले में डालते दिखे जदयू के नेता : जदयू के प्रवक्ता और सांसद एक व्यक्ति एक पद मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. इसे राष्ट्रीय नेतृत्व का मामला बता रहे हैं. प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि यह मेरे क्षेत्र में ही नहीं आता है. तो वहीं सांसद चंदेश्वर सिंह चंद्रवंशी का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व ने ही तय किया है तो आगे भी वही तय करेगा.


क्या बोले उपेंद्र कुशवाहा : संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा इस मामले में खुलकर बोलने से बचते हैं. इतना ही कहते हैं कि आखिर किनको आपत्ति हो रही है क्योंकि 1 साल से राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हुए हैं ललन सिंह, ऐसा नहीं है कि अभी बने हैं. आरसीपी सिंह का खेमा भी इस मामले में फिलहाल समने आकर बोलने से बच रहा है.

..तो ललन सिंह को एक पद त्यागना होगा! : वैसे गौर से देखें तो आरसीपी सिंह पर विरोधी खेमा अब तक हावी रहा है. लेकिन अब राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के लिए दो-दो पद रखना आसान नहीं होगा. पार्टी के अंदर मांग तेज हुई तो एक पद छोड़ना तय माना जा रहा है. क्योंकि नीतीश कुमार भी इसके पक्षधर रहे हैं कि एक व्यक्ति एक पद होना चाहिए. ऐसे में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष या फिर लोकसभा में संसदीय दल के नेता पद किसी और को पार्टी के लिए बनाना मजबूरी हो जाएगा.

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पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने जदयू में एक व्यक्ति एक पद की व्यवस्था कायम कर रखी है. हालांकि बीच-बीच में इसका उल्लंघन भी होता रहा है. खुद मुख्यमंत्री रहते हुए नीतीश कुमार राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने रहे. बाद में उसी आधार पर राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी भी छोड़ दी. फिलहाल ललन सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष (JDU President Lalan Singh) के साथ-साथ लोकसभा में संसदीय दल के नेता पद की कुर्सी भी संभाले हुए (Lalan Singh Holds Two Post In JDU) हैं. अब इसको लेकर चर्चा शुरू है. आरसीपी सिंह का खेमा आने वाले दिनों में इसे मुद्दा बनाने की तैयारी कर रहा है. नीतीश कुमार के लिए भी ललन सिंह का बचाव करना आसान नहीं होगा. ऐसे में ललन सिंह को आने वाले दिनों में एक पद छोड़ना मजबूरी हो जाएगा.

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मुद्दा बनाने की तैयारी में आरसीपी सिंह खेमा : एक व्यक्ति एक पद को लेकर जदयू में पहले भी मुद्दा बनता रहा है. आरसीपी सिंह राष्ट्रीय रहते हुए जब केंद्र में मंत्रिमंडल में शामिल हुए तो इसी आधार पर उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा था. लेकिन अब ललन सिंह के पास दो-दो महत्वपूर्ण पद हैं और पार्टी के अंदर इस को लेकर चर्चा शुरू है. खासकर आरसीपी सिंह खेमा इसे मुद्दा बनाने की तैयारी कर रहा है. इंतजार आरसीपी सिंह के केंद्र में मंत्री पद से हटने का हो रहा है. जदयू के नेता फिलहाल इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.

''जदयू में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है यह तो दिख रहा है. नीतीश कुमार ने तो खुद मुख्यमंत्री रहते लंबे समय तक राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भी अपने पास रखे रहा. जब विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं हुआ तो आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया. आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बने तो राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को बना दिया. पार्टी के अंदर यह मुद्दा उठेगा, जब आरसीपी सिंह 6 जुलाई के बाद बेरोजगार हो जाएंगे. राज्यसभा का कार्यकाल जब समाप्त होगा तो उनकी तरफ से इसे मुहिम बनाया जा सकता है. तब नीतीश कुमार के लिए मुश्किल बढ़ सकती है.''- अरुण पांडे, वरिष्ठ पत्रकार सह राजनीतिक विशेषज्ञ

गेंद को दूसरे के पाले में डालते दिखे जदयू के नेता : जदयू के प्रवक्ता और सांसद एक व्यक्ति एक पद मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. इसे राष्ट्रीय नेतृत्व का मामला बता रहे हैं. प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि यह मेरे क्षेत्र में ही नहीं आता है. तो वहीं सांसद चंदेश्वर सिंह चंद्रवंशी का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व ने ही तय किया है तो आगे भी वही तय करेगा.


क्या बोले उपेंद्र कुशवाहा : संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा इस मामले में खुलकर बोलने से बचते हैं. इतना ही कहते हैं कि आखिर किनको आपत्ति हो रही है क्योंकि 1 साल से राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हुए हैं ललन सिंह, ऐसा नहीं है कि अभी बने हैं. आरसीपी सिंह का खेमा भी इस मामले में फिलहाल समने आकर बोलने से बच रहा है.

..तो ललन सिंह को एक पद त्यागना होगा! : वैसे गौर से देखें तो आरसीपी सिंह पर विरोधी खेमा अब तक हावी रहा है. लेकिन अब राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के लिए दो-दो पद रखना आसान नहीं होगा. पार्टी के अंदर मांग तेज हुई तो एक पद छोड़ना तय माना जा रहा है. क्योंकि नीतीश कुमार भी इसके पक्षधर रहे हैं कि एक व्यक्ति एक पद होना चाहिए. ऐसे में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष या फिर लोकसभा में संसदीय दल के नेता पद किसी और को पार्टी के लिए बनाना मजबूरी हो जाएगा.

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Last Updated : Jun 13, 2022, 7:03 PM IST
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