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कल से शुरू हो रही शारदीय नवरात्रि, जानें शुभ मूहुर्त - शारदीय नवरात्रि

नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है. कलश स्थापना को घटस्थापना भी कहा जाता है. नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है. घटस्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है.

शारदीय नवरात्र
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Published : Sep 28, 2019, 6:44 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 10:03 PM IST

पटना: रविवार से नवरात्रि पूजा की शुरुआत हो रही है. इस दौरान पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है. शारदीय नवरात्रि को मुख्य नवरात्रि माना जाता है. 29 सितंबर से दुर्गा पूजा का पहला दिन शुरू हो रहा है और 7 अक्टूबर को नवमी की पूजा होगी. इसके बाद 8 अक्टूबर को देवी का विसर्जन होगा.

इस बार हैं दो-दो योग
मां सिद्धेश्वरी मंदिर के पुजारी का कहना है कि मां दुर्गा इस बार स्वार्थसिद्धि और अमृत सिद्धि योग में हाथी पर सवार होकर पधार रही हैं. 9 दिनों तक मां लोगों के बीच रहेंगी, उसके बाद वह घोड़े पर विदा हो जाएंगी. घटस्थापना प्रतिपदा तिथि रविवार को स्वार्थ सिद्धि एवं अमृत सिद्धि योग में होगी. पुजारी ने बताया कि 29 सितंबर, 2 अक्टूबर और 7 अक्टूबर के दिन 2-2 योग रहेंगे. इन योगों में नवरात्रि पूजा काफी शुभ रहेगी.

patna
मां दुर्गा के नौ रूप

ऐसे करें देवी का आह्वान
नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है. कलश स्थापना को घटस्थापना भी कहा जाता है. नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है. घटस्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है. इसके लिए भक्त सुबह स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहन कर पूजा का संकल्प लें. फिर मिट्टी की वेदी पर जौ कलश की स्थापना करें. गंगाजल रखें ईश्वर कुल देवी की प्रतिमा या फिर लाल कपड़े में लिपटे नारियल को रखें और पूजा करें.

patna
मंदिर में विराजमान मां सिद्धेश्वरी

पूरे 9 दिनों तक होगी पूजा
नवरात्रि 9 दिनों का होता है और दशमी के दिन देवी के विसर्जन के साथ नवरात्रि का समापन होता है. लेकिन ऐसा हो पाना दुर्लभ संयोग माना जाता है, क्योंकि कई बार का दो दिन की पूजा क्षय हो जाने से नवरात्र के दिन कम हो जाते हैं, लेकिन इस बार पूरे 9 दिनों की पूजा होगी और दसवें दिन देवी की विदाई होगी.

patna
मां सिद्धेश्वरी

नवरात्र में इन नौ देवियों का पूजन

  1. पहले दिन- मां शैलपुत्री
  2. दूसरे दिन- मां ब्रह्मचारिणी
  3. तीसरे दिन- मां चंद्रघंटा
  4. चौथे दिन- मां कूष्मांडा
  5. पांचवे दिन- मां स्कंदमाता
  6. छठवें दिन- मां कात्यानी
  7. सातवें दिन- मां कालरात्रि
  8. आठवें दिन- मां महागौरी
  9. नवमी दिन- मां सिद्धि दात्री

शुभ मूहुर्त का समय

  • शुभ समय सुबह 6.01 से 7:24 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त 11:33 से 12:20 तक
    पुजारी, मां सिद्धेश्वरी मंदिर

किस दिन कौन सा योग

  • 29 सितंबर- सर्वार्थसिद्धि व अमृत सिद्धि योग
  • 1 अक्टूबर- रवि योग
  • 2 अक्टूबर- रवि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग
  • 3 अक्टूबर- सर्वार्थसिद्धि योग
  • 4 अक्टूबर- रवि योग
  • 6 अक्टूबर- सर्वार्थ सिद्धि योग
  • 7 अक्टूबर- सर्वार्थसिद्धि योग व रवि योग
  • ये सभी योग व्यापार और खरीदारी के लिए शुभ हैं.

मंत्र

  • ऊँ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:
  • वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
  • वन्दे वांछित लाभाय चन्द्राद्र्वकृतशेखराम्। वृषारूढ़ा शूलधरां यशस्विनीम्॥
  • या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ मां

पटना: रविवार से नवरात्रि पूजा की शुरुआत हो रही है. इस दौरान पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है. शारदीय नवरात्रि को मुख्य नवरात्रि माना जाता है. 29 सितंबर से दुर्गा पूजा का पहला दिन शुरू हो रहा है और 7 अक्टूबर को नवमी की पूजा होगी. इसके बाद 8 अक्टूबर को देवी का विसर्जन होगा.

इस बार हैं दो-दो योग
मां सिद्धेश्वरी मंदिर के पुजारी का कहना है कि मां दुर्गा इस बार स्वार्थसिद्धि और अमृत सिद्धि योग में हाथी पर सवार होकर पधार रही हैं. 9 दिनों तक मां लोगों के बीच रहेंगी, उसके बाद वह घोड़े पर विदा हो जाएंगी. घटस्थापना प्रतिपदा तिथि रविवार को स्वार्थ सिद्धि एवं अमृत सिद्धि योग में होगी. पुजारी ने बताया कि 29 सितंबर, 2 अक्टूबर और 7 अक्टूबर के दिन 2-2 योग रहेंगे. इन योगों में नवरात्रि पूजा काफी शुभ रहेगी.

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मां दुर्गा के नौ रूप

ऐसे करें देवी का आह्वान
नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है. कलश स्थापना को घटस्थापना भी कहा जाता है. नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है. घटस्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है. इसके लिए भक्त सुबह स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहन कर पूजा का संकल्प लें. फिर मिट्टी की वेदी पर जौ कलश की स्थापना करें. गंगाजल रखें ईश्वर कुल देवी की प्रतिमा या फिर लाल कपड़े में लिपटे नारियल को रखें और पूजा करें.

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मंदिर में विराजमान मां सिद्धेश्वरी

पूरे 9 दिनों तक होगी पूजा
नवरात्रि 9 दिनों का होता है और दशमी के दिन देवी के विसर्जन के साथ नवरात्रि का समापन होता है. लेकिन ऐसा हो पाना दुर्लभ संयोग माना जाता है, क्योंकि कई बार का दो दिन की पूजा क्षय हो जाने से नवरात्र के दिन कम हो जाते हैं, लेकिन इस बार पूरे 9 दिनों की पूजा होगी और दसवें दिन देवी की विदाई होगी.

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मां सिद्धेश्वरी

नवरात्र में इन नौ देवियों का पूजन

  1. पहले दिन- मां शैलपुत्री
  2. दूसरे दिन- मां ब्रह्मचारिणी
  3. तीसरे दिन- मां चंद्रघंटा
  4. चौथे दिन- मां कूष्मांडा
  5. पांचवे दिन- मां स्कंदमाता
  6. छठवें दिन- मां कात्यानी
  7. सातवें दिन- मां कालरात्रि
  8. आठवें दिन- मां महागौरी
  9. नवमी दिन- मां सिद्धि दात्री

शुभ मूहुर्त का समय

  • शुभ समय सुबह 6.01 से 7:24 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त 11:33 से 12:20 तक
    पुजारी, मां सिद्धेश्वरी मंदिर

किस दिन कौन सा योग

  • 29 सितंबर- सर्वार्थसिद्धि व अमृत सिद्धि योग
  • 1 अक्टूबर- रवि योग
  • 2 अक्टूबर- रवि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग
  • 3 अक्टूबर- सर्वार्थसिद्धि योग
  • 4 अक्टूबर- रवि योग
  • 6 अक्टूबर- सर्वार्थ सिद्धि योग
  • 7 अक्टूबर- सर्वार्थसिद्धि योग व रवि योग
  • ये सभी योग व्यापार और खरीदारी के लिए शुभ हैं.

मंत्र

  • ऊँ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:
  • वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
  • वन्दे वांछित लाभाय चन्द्राद्र्वकृतशेखराम्। वृषारूढ़ा शूलधरां यशस्विनीम्॥
  • या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ मां
Intro: शारदीय नवरात्रि कल से,
मां का आगमन इस बार हाथी पर विदाई घोड़े पर


Body:रविवार से शुरू हो रहे हैं नवरात्रि पूजा, इस दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है, शारदीय नवरात्रि को मुख्य नवरात्रि माना जाता है, मां दुर्गा इस बार स्वार्थसिद्धि और अमृत सिद्धि योग में हाथी पर सवार होकर रविवार को पधारेगें की फिर 9 दिन बाद घोड़े पर विदा होगी, घटस्थापना प्रतिपदा तिथि रविवार को स्वार्थ सिद्धि एवं अमृत सिद्धि योग में होगी, मां सिद्धेश्वरी मंदिर के पुजारी ने बताया कि 29 सितंबर, 2 अक्टूबर और 7 अक्टूबर के दिन 2-2 योग रहेंगे इन लोगों में नवरात्रि पूजा काफी शुभ रहेगी,


Conclusion:नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है, कलश स्थापना को घटस्थापना भी कहा जाता है, नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है, घटस्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है, सुबह स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पूजा का संकल्प ले, मिट्टी की वेदी पर जौ कलश की स्थापना करें, गंगाजल रखें ईश्वर कुल देवी की प्रतिमा या फिर लाल कपड़े में लिपटे नारियल को रखें और पूजन करें।


नवरात्रि 9 दिनों का होता है और दशमी के दिन देवी विसर्जन के साथ नवरात्रि का समापन होता है, लेकिन ऐसा हो पाना दुर्लभ संयोग माना जाता है, क्योंकि कई बार का दो दिन की पुजा जक हो जाने से नवरात्र के दिन कम हो जाते हैं, लेकिन इस बार पूरे 9 दिनों की पूजा होगी और दसवें दिन देवी की विदाई होगी, यानी 29 सितंबर से आरंभ होकर 7 अक्टूबर को नवमी की पूजा होगी और 8 को देवी विसर्जन होगा




नवरात्र में इन नौ देवियों का पूजन

पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कूष्मांडा, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यानी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी, नवमी दिन सिद्धि दात्री


शुभ समय सुबह 6.01 से 7:24 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त 11:33 से 12:20 तक

बाईट:-आचार्य शशि,महासिद्धेश्वरी मंदिर, पटना
Last Updated : Sep 28, 2019, 10:03 PM IST
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