पटनाः लेखक दया प्रकाश सिन्हा के सम्राट अशोक पर विवादित बयान (Controversial statement on Samrat Ashoka) देने के बाद से बिहार की राजनीति में उबाल आ गया है. इधर, खबर आ रही है कि बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने दया प्रकाश सिन्हा (Padma Shri Daya Prakash Sinha) के खिलाफ पटना के कोतवाली थाने में मामल दर्ज करवाया है.
गौरतलब है कि पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा ने सम्राट अशोक पर विवादित बयान (Controversial Statement on Emperor Ashoka) दिया था, जिस पर विवाद पैदा हो गया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा था कि सम्राट अशोक क्रूर, कामुक और बदसूरत थे. उन्होंने अशोक को भाई का हत्यारा बताकर उनकी तुलना क्रूर औरंगजेब से कर दी. उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक बेहद बदसूरत और कामुक थे. देश के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्यक्रमों में सम्राट अशोक के उजले पक्ष को ही शामिल किया गया है, जबकि उनकी असलियत इससे अलग भी थी. श्रीलंका के तीन बौद्ध ग्रंथों का उन्होंने हवाला देकर ये बयान दिया था.
बता दें कि जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (JDU President Lalan Singh) ने लेखक दया शंकर पर हमला बोला था और तमाम पुरस्कार वापस करने की मांग प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से की है. ललन सिंह ने ट्वीट कर लिखा था कि 'वृहत अखंड भारत के एकमात्र चक्रवर्ती सम्राट "प्रियदर्शी अशोक मौर्य" का स्वर्णिम काल मानवता व लोकसमता के लिए विश्वभर में जाना जाता है. सम्राट अशोक बिहार व भारत के अमिट प्रतीक थे और हैं.'
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ललन सिंह ने लिखा- 'सम्राट अशोक मौर्य और बिहार के साथ कोई खिलवाड़ करे, सच्चे भारतीय कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे.सम्राट अशोक के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति किसी सम्मान के लायक नहीं. लेखक का पद्मश्री व सभी अन्य पुरस्कार रदद् हो व इन्हें भाजपा निष्कासित करे.'
वहीं, जेडीयू संसदीय बोर्ड के प्रमुख व पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा (JDU National Parliamentry Board President Upendra Kushwaha) ने ट्वीट कर लिखा- ‘वृहत अखंड भारत के निर्माता चक्रवर्ती सम्राट प्रियदर्शी अशोक महान के लिए एक पार्टी विशेष के पदाधिकारी द्वारा अभद्रतापूर्वक अपशब्दों का इस्तेमा ल अति निंदनीय है. पार्टी और सरकार से उस व्यक्ति के विरुद्ध कार्रवाई की मांग करता हूं.’
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इसके बाद बीजेपी की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल (BJP State President Sanjay Jaiswal) ने मोर्चा संभाला और बिना नाम लिये ललन सिंह एवं उपेन्द्र कुशवाहा की जमकर खरी-खोटी सुनाई थी. डॉ संजय जायसवाल ने आज कहा कि कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों के लिए नकारात्मक प्रचार भी मेवा देने वाला पेड़ है. पर मुझे आश्चर्य तब होता है जब कुछ समझदार राजनैतिक कार्यकर्ता भी इनके जाल में फंस कर अपना प्रचार में लग जाते हैं वह यह भी नहीं सोचते कि इससे समाज को कितना नुकसान हो रहा है.
संजय जायसवाल ने आगे कहा, अगर इन्हें भरपेट मेवा न दिया जाए तो इन्हें उस पेड़ की जड़ में मट्ठा डालने से भी परहेज नहीं होता. यही वजह है कि बुद्धिजीवियों द्वारा इन्हें ‘राजनीतिक भस्मासुर’ की संज्ञा दी जाती है. बिहार में भी एनडीए सरकार की मजबूती और अनुशासन के कारण कुछ खास नेताओं को मनमुताबिक मेवा नहीं मिल रहा है. यही वजह है कि यह लोग किसी न किसी मुद्दे पर लगभग रोजाना ही अलग-अलग विषयों पर एनडीए को बदनाम करने के अपने एकसूत्री एजेंडे पर कार्यरत रहते हैं.
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