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मोकामा पक्का लेकिन गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव की सीट पर JDU-RJD में फंसा पेंच

बिहार विधानसभा उपचुनाव 2022 (Bihar Assembly By Election 2022) को लेकर गोपालगंज सीट पर अभी भी महागठबंधन में पेंच फंसा हुआ है. दूसरी तरफ उम्मीदवार की घोषणा बीजेपी की तरफ से दोनों सीट पर हो गयी है. महागठबंधन की ओर से मोकामा सीट पर अनंत सिंह की पत्नी नीलम सिंह का चुनाव लड़ना तय है. राजद ने हरी झंडी दे दी है, और क्षेत्र में चुनाव प्रचार भी कर रही हैं. लेकिन गोपालगंज को लेकर अभी भी पेंच फंसा हुआ है. जदयू की भी इस सीट पर नजर है. पढ़ें पूरी खबर..

डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव
सीएम नीतीश कुमार
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Published : Oct 9, 2022, 11:02 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा के 2 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में गोपालगंज सीट को लेकर महागठबंधन में पेंच फंसा (Gopalganj Assembly By Election 2022) हुआ है. बीजेपी के विधायक और पूर्व मंत्री सुभाष सिंह (BJP MLA And Former Minister Subhash Singh) के असमय निधन के कारण यह सीट खाली हुआ है. बीजेपी सुभाष सिंह की पत्नी कुसुम को ही चुनाव मैदान में उतार की दी है. सुभाष सिंह की पत्नी पर जदयू की भी नजर थी, नीतीश कुमार ने अपने पार्टी के शीर्ष नेताओं को संपर्क साधने के लिए कहा था और संपर्क साधा भी गया. लेकिन सुभाष सिंह की पत्नी जदयू से चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हुईं. दूसरी तरफ अनंत सिंह को 10 साल की सजा होने के कारण मोकामा सीट की सदस्यता उनकी समाप्त हुई है और मोकामा सीट पर आरजेडी अनंत सिंह की पत्नी नीलम सिंह को चुनाव लड़ाने का फैसला ले लिया है.

ये भी पढ़ें- बिहार में उपचुनाव: गोपालगंज-मोकामा में नीतीश तेजस्वी का पहला लिटमस टेस्ट

उपचुनाव में गोपालगंज सीट पर JDU की नजर : नीलम सिंह मोकामा में प्रचार भी शुरू कर दी है. मोकामा विधानसभा सीट (Mokama Assembly Seat) मुंगेर लोकसभा से सटा हुआ है, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह 2019 में आनंद सिंह की पत्नी नीलम सिंह को मुंगेर लोकसभा से हराकर चुनाव जीते थे. हालांकि यह सीट आरजेडी कोटे की है, इसलिए इसमें कोई पेंच नहीं है. लेकिन गोपालगंज को लेकर महागठबंधन में अभी फैसला नहीं हुआ है. 2020 में कांग्रेस इस सीट पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन उस समय नीतीश कुमार एनडीए में थे, इस बार महागठबंधन में हैं. और इसलिए जदयू इस सीट पर अपनी दावेदारी कर रहा है. ऐसे में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर मंत्री तक दोनों सीट पर महागठबंधन की जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन जदयू चुनाव लड़ेगी या नहीं इस पर बोलने से बच रहे हैं. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का कहना है कि महागठबंधन के शीर्ष नेता बैठक कर फैसला ले लेंगे.

'महागठबंधन दोनों सीट पर चुनाव जीतेगा. जो वोटों का समीकरण है, वह महागठबंधन के पक्ष में है.' - संजय झा, मंत्री

'दोनों सीटों पर महागठबंधन की होगी जीत' : बीजेपी ने दोनों सीट पर उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. लेकिन महागठबंधन की तरफ से मोकामा से जरूर अनंत सिंह की पत्नी नीलम सिंह प्रचार करेंगी लेकिन नाम की घोषणा मोकामा से भी नहीं हुई है, और गोपालगंज से भी नहीं. गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव पर सस्पेंस बना हुआ है. क्योंकि इस सीट पर जदयू और आरजेडी दोनों तरफ से दावेदारी हो रही है. ऐसे 2005 से लगातार बीजेपी के सुभाष सिंह इस सीट को जीते रहे थे. हां इस बार उनकी पत्नी चुनाव लड़ रही हैं, तो सहानुभूति वोट भी उन्हें मिलेगा. लेकिन कुल मिलाकर देखें तो यहां सबसे अधिक आबादी मुस्लिमों, राजपूत, यादव और वैश्य की है.

बीजेपी ने गोपालगंज सीट पर महिला प्रत्याशी को उतारा : पिछली बार बसपा की टिकट पर लालू प्रसाद यादव के साले साधु यादव भी चुनाव लड़े थे, और उन्होंने 40 हजार वोट काटा था. यहां तक कि कांग्रेस के उम्मीदवार आसिफ गफूर जो महागठबंधन से चुनाव लड़े थे, जमानत तक नहीं बचा सके. पहले आरजेडी के टिकट पर रियाजुल हक राजू चुनाव लड़ते रहे हैं, और दूसरे स्थान पर आते रहें. लालू यादव के साले साधु यादव 1995 में यहां से विधायक बने थे. लेकिन उसके बाद आरजेडी के टिकट पर यहां कोई जीत नहीं पाया. जबकि यह क्षेत्र लालू यादव का गृह क्षेत्र है. अभी हाल ही में तेजस्वी यादव ने भी मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की है.

गोपालगंज सीट परर सबकी नजर : आरजेडी के तरफ से कई नाम चर्चा में भी हैं. लालू यादव चाहते हैं कि यह सीट आरजेडी को मिले, और यदि नीतीश कुमार तैयार हो जाते हैं, तो दोनों सीट पर आरजेडी के उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सकते हैं. लेकिन उम्मीदवार का फैसला 10 अक्टूबर के बाद ही होने की संभावना है. क्योंकि दिल्ली में राजद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक चल रही है, जो 10 अक्टूबर को समाप्त होगा. गौरतलब है कि बिहार विधानसभा के 2 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने पहले ही घोषणा कर दी थी. 14 अक्टूबर तक नामांकन का अंतिम दिन है. स्कूटनी की तिथि 15 अक्टूबर है. नाम वापस लेने की अंतिम तिथि 17 अक्टूबर है. 3 नवंबर को चुनाव होना है. वहीं, मतगणना 6 नवंबर को होगी.

3 नवंबर को है चुनाव : महागठबंधन खेमे के लिए गोपालगंज चुनौती भरा है. क्योंकि चुनाव राजद लड़े या जदयू, साधु यादव से लेकर रियाजुल हक राजू यदि चुनाव लड़ते हैं, जिसकी चर्चा हो रही है, तो ें तो मुश्किल हो जाएगी. क्योंकि साधु यादव से लेकर रियाजुल हक राजू महागठबंधन का ही वोट काटेंगे और इसका लाभ बीजेपी उम्मीदवार को मिलेगा. ऐसे भी बीजेपी उम्मीदवार सुभाष सिंह की पत्नी कुसुम को सहानुभूति वोट का भी लाभ मिलने वाला है. और वोटों का समीकरण भी बीजेपी के पक्ष में पहले से रहा है. कुल मिलाकर देखें तो गोपालगंज में बीजेपी फिलहाल मजबूत दिख रही है, तो वहीं मोकामा में आरजेडी मजबूत स्थिति में है.

गोपालगंज और मोकामा में उपचुनाव : गौरतलब है कि बिहार में मोकामा विधानसभा सीट से आरजेडी विधायक रहे अनंत सिंह के सजायाफ्ता घोषित होने के बाद उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई थी, जिसके बाद मोकामा विधानसभा की सीट खाली हो गई थी. वहीं गोपालगंज में प्रदेश के पूर्व सहकारिता मंत्री रहे सुभाष सिंह की बीमारी से मौत हो जाने के कारण सीट खाली हुई थी. बिहार के 2 विधानसभा सीटों में मोकामा (178) और गोपालगंज (101) पर विधानसभा का उपचुनाव होगा. दोनों सीटों पर भाजपा और महागठबंधन के उम्मीदवार ताल ठोकेंगे. मोकामा की सीट बाहुबली अनंत सिंह की सदस्यता रद्द होने के बाद खाली हुई है. जबकि गोपालगंज की सीट यहां से जीत दर्ज किये भाजपा नेता सुभाष सिंह के निधन के बाद खाली है. दोनों खेमा दोनों सीटों पर जीत के लिए ताकत झोंकेगी. इस बीच चिराग पासवान की एंट्री ने चुनाव को दिलचस्प बना दिया है.

पटना: बिहार विधानसभा के 2 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में गोपालगंज सीट को लेकर महागठबंधन में पेंच फंसा (Gopalganj Assembly By Election 2022) हुआ है. बीजेपी के विधायक और पूर्व मंत्री सुभाष सिंह (BJP MLA And Former Minister Subhash Singh) के असमय निधन के कारण यह सीट खाली हुआ है. बीजेपी सुभाष सिंह की पत्नी कुसुम को ही चुनाव मैदान में उतार की दी है. सुभाष सिंह की पत्नी पर जदयू की भी नजर थी, नीतीश कुमार ने अपने पार्टी के शीर्ष नेताओं को संपर्क साधने के लिए कहा था और संपर्क साधा भी गया. लेकिन सुभाष सिंह की पत्नी जदयू से चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं हुईं. दूसरी तरफ अनंत सिंह को 10 साल की सजा होने के कारण मोकामा सीट की सदस्यता उनकी समाप्त हुई है और मोकामा सीट पर आरजेडी अनंत सिंह की पत्नी नीलम सिंह को चुनाव लड़ाने का फैसला ले लिया है.

ये भी पढ़ें- बिहार में उपचुनाव: गोपालगंज-मोकामा में नीतीश तेजस्वी का पहला लिटमस टेस्ट

उपचुनाव में गोपालगंज सीट पर JDU की नजर : नीलम सिंह मोकामा में प्रचार भी शुरू कर दी है. मोकामा विधानसभा सीट (Mokama Assembly Seat) मुंगेर लोकसभा से सटा हुआ है, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह 2019 में आनंद सिंह की पत्नी नीलम सिंह को मुंगेर लोकसभा से हराकर चुनाव जीते थे. हालांकि यह सीट आरजेडी कोटे की है, इसलिए इसमें कोई पेंच नहीं है. लेकिन गोपालगंज को लेकर महागठबंधन में अभी फैसला नहीं हुआ है. 2020 में कांग्रेस इस सीट पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन उस समय नीतीश कुमार एनडीए में थे, इस बार महागठबंधन में हैं. और इसलिए जदयू इस सीट पर अपनी दावेदारी कर रहा है. ऐसे में जदयू के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर मंत्री तक दोनों सीट पर महागठबंधन की जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन जदयू चुनाव लड़ेगी या नहीं इस पर बोलने से बच रहे हैं. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का कहना है कि महागठबंधन के शीर्ष नेता बैठक कर फैसला ले लेंगे.

'महागठबंधन दोनों सीट पर चुनाव जीतेगा. जो वोटों का समीकरण है, वह महागठबंधन के पक्ष में है.' - संजय झा, मंत्री

'दोनों सीटों पर महागठबंधन की होगी जीत' : बीजेपी ने दोनों सीट पर उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. लेकिन महागठबंधन की तरफ से मोकामा से जरूर अनंत सिंह की पत्नी नीलम सिंह प्रचार करेंगी लेकिन नाम की घोषणा मोकामा से भी नहीं हुई है, और गोपालगंज से भी नहीं. गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव पर सस्पेंस बना हुआ है. क्योंकि इस सीट पर जदयू और आरजेडी दोनों तरफ से दावेदारी हो रही है. ऐसे 2005 से लगातार बीजेपी के सुभाष सिंह इस सीट को जीते रहे थे. हां इस बार उनकी पत्नी चुनाव लड़ रही हैं, तो सहानुभूति वोट भी उन्हें मिलेगा. लेकिन कुल मिलाकर देखें तो यहां सबसे अधिक आबादी मुस्लिमों, राजपूत, यादव और वैश्य की है.

बीजेपी ने गोपालगंज सीट पर महिला प्रत्याशी को उतारा : पिछली बार बसपा की टिकट पर लालू प्रसाद यादव के साले साधु यादव भी चुनाव लड़े थे, और उन्होंने 40 हजार वोट काटा था. यहां तक कि कांग्रेस के उम्मीदवार आसिफ गफूर जो महागठबंधन से चुनाव लड़े थे, जमानत तक नहीं बचा सके. पहले आरजेडी के टिकट पर रियाजुल हक राजू चुनाव लड़ते रहे हैं, और दूसरे स्थान पर आते रहें. लालू यादव के साले साधु यादव 1995 में यहां से विधायक बने थे. लेकिन उसके बाद आरजेडी के टिकट पर यहां कोई जीत नहीं पाया. जबकि यह क्षेत्र लालू यादव का गृह क्षेत्र है. अभी हाल ही में तेजस्वी यादव ने भी मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की है.

गोपालगंज सीट परर सबकी नजर : आरजेडी के तरफ से कई नाम चर्चा में भी हैं. लालू यादव चाहते हैं कि यह सीट आरजेडी को मिले, और यदि नीतीश कुमार तैयार हो जाते हैं, तो दोनों सीट पर आरजेडी के उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सकते हैं. लेकिन उम्मीदवार का फैसला 10 अक्टूबर के बाद ही होने की संभावना है. क्योंकि दिल्ली में राजद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक चल रही है, जो 10 अक्टूबर को समाप्त होगा. गौरतलब है कि बिहार विधानसभा के 2 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने पहले ही घोषणा कर दी थी. 14 अक्टूबर तक नामांकन का अंतिम दिन है. स्कूटनी की तिथि 15 अक्टूबर है. नाम वापस लेने की अंतिम तिथि 17 अक्टूबर है. 3 नवंबर को चुनाव होना है. वहीं, मतगणना 6 नवंबर को होगी.

3 नवंबर को है चुनाव : महागठबंधन खेमे के लिए गोपालगंज चुनौती भरा है. क्योंकि चुनाव राजद लड़े या जदयू, साधु यादव से लेकर रियाजुल हक राजू यदि चुनाव लड़ते हैं, जिसकी चर्चा हो रही है, तो ें तो मुश्किल हो जाएगी. क्योंकि साधु यादव से लेकर रियाजुल हक राजू महागठबंधन का ही वोट काटेंगे और इसका लाभ बीजेपी उम्मीदवार को मिलेगा. ऐसे भी बीजेपी उम्मीदवार सुभाष सिंह की पत्नी कुसुम को सहानुभूति वोट का भी लाभ मिलने वाला है. और वोटों का समीकरण भी बीजेपी के पक्ष में पहले से रहा है. कुल मिलाकर देखें तो गोपालगंज में बीजेपी फिलहाल मजबूत दिख रही है, तो वहीं मोकामा में आरजेडी मजबूत स्थिति में है.

गोपालगंज और मोकामा में उपचुनाव : गौरतलब है कि बिहार में मोकामा विधानसभा सीट से आरजेडी विधायक रहे अनंत सिंह के सजायाफ्ता घोषित होने के बाद उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई थी, जिसके बाद मोकामा विधानसभा की सीट खाली हो गई थी. वहीं गोपालगंज में प्रदेश के पूर्व सहकारिता मंत्री रहे सुभाष सिंह की बीमारी से मौत हो जाने के कारण सीट खाली हुई थी. बिहार के 2 विधानसभा सीटों में मोकामा (178) और गोपालगंज (101) पर विधानसभा का उपचुनाव होगा. दोनों सीटों पर भाजपा और महागठबंधन के उम्मीदवार ताल ठोकेंगे. मोकामा की सीट बाहुबली अनंत सिंह की सदस्यता रद्द होने के बाद खाली हुई है. जबकि गोपालगंज की सीट यहां से जीत दर्ज किये भाजपा नेता सुभाष सिंह के निधन के बाद खाली है. दोनों खेमा दोनों सीटों पर जीत के लिए ताकत झोंकेगी. इस बीच चिराग पासवान की एंट्री ने चुनाव को दिलचस्प बना दिया है.

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