पटना: बिहार विधानसभा की 2 सीटों पर होने वाले उपचुनाव ( By-Election In Bihar )के लिए नॉमिनेशन शुक्रवार से शुरू हो चुका है. 8 अक्टूबर नॉमिनेशन की आखिरी तारीख है, लेकिन अब तक राष्ट्रीय जनता दल ( RJD ) ने या कांग्रेस ( Congress ) ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. कुशेश्वरस्थान सीट जदयू विधायक शशिभूषण हजारी के निधन से खाली हुई है जबकि तारापुर विधानसभा सीट जदयू विधायक मेवालाल चौधरी के निधन से खाली हुई है.
एक तरफ तारापुर को लेकर राजद ने नए चेहरे पर दांव लगाने की तैयारी लगभग पूरी कर ली है. दूसरी तरफ कुशेश्वरस्थान पर भी दावा ठोका है. वहीं कांग्रेस ने एक कमेटी बनाकर अपने दावे को मजबूती से रखने का प्रयास किया है कि कांग्रेस उम्मीदवार ही कुशेश्वरस्थान से महागठबंधन का फिर से प्रत्याशी होगा.
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दरअसल, आरजेडी 2 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर इस बार कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है. विधानसभा में इस बार दलीय स्थिति को देखते हुए आरजेडी की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा सीटों पर उसके उम्मीदवार जीत हासिल करें. कांग्रेस को विधानसभा चुनाव 2020 में 71 सीटें मिली थी लेकिन महज 19 सीटों पर ही कांग्रेस के उम्मीदवार जीत हासिल कर सके. यही वजह है कि राष्ट्रीय जनता दल इस बार फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है.
राजद नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका टारगेट जीत हासिल करना है और जिसके पास बड़ा चेहरा होगा, वही महागठबंधन का प्रत्याशी कुशेश्वरस्थान में बनेगा. वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अशोक राम जदयू के प्रत्याशी शशिभूषण हजारी से करीब 6500 वोटों से हार गए थे.
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राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने बताया कि अभी नाम तय होना बाकी है, लेकिन इतना तय है कि दोनों सीटों पर महागठबंधन के मजबूत उम्मीदवार चुनाव में उतरेंगे.
'कुशेश्वरस्थान को लेकर कांग्रेस का दावा अपनी जगह है लेकिन पहली प्राथमिकता मजबूत उम्मीदवार की है जिस पर अंतिम मुहर लगना बाकी है. हमें स्ट्राइक रेट का ध्यान रखना है कि चुनाव में किसकी स्ट्राइक रेट ज्यादा है.'- शक्ति सिंह यादव, प्रवक्ता, आरजेडी
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इधर, कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्र ने कहा कि आज ही कांग्रेस की एक कमेटी कुशेश्वरस्थान उप चुनाव में उम्मीदवारी पर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. उन्होंने दावा किया कि महागठबंधन में कहीं कोई परेशानी नहीं है. दोनों पार्टियों के शीर्ष नेता दिल्ली में आपसी बातचीत पर तय करेंगे। लेकिन इतना जरूर है कि पिछले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार और जदयू उम्मीदवार के बीच जीत हार का अंतर बेहद कम रहा था.
'पिछले चुनाव के नतीजे का आकलन करें तो कांग्रेस की मजबूत दावेदारी कुशेश्वरस्थान सीट पर बनती है.' - प्रेम चंद्र मिश्र, कांग्रेस नेता
इधर, भाजपा नेता अरविंद सिंह ने कांग्रेस और राजद पर निशाना साधते हुए कहा कि लालू के कारनामों को जनता बेहद अच्छी तरह जानती है. इसलिए चुनाव में उम्मीदवार कोई भी हो, जीत एनडीए की तय है.
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'कुशेश्वरस्थान सीट पर जिस तरह का विवाद राजद और कांग्रेस के बीच है, उससे तो लगता है कि कहीं दोनों पार्टियां अपना-अपना उम्मीदवार ना उतार दें.'- अरविंद सिंह, भाजपा नेता
वहीं, तारापुर का सियासी समीकरण का बात करें तो तारापुर विधानसभा सीट पर वर्ष 2010 से ही जेडीयू का कब्जा है. वर्ष 2005 में सुनीता शर्मा और उसके बाद 2010 में नीता चौधरी और फिर 2015 और 2020 में मेवालाल चौधरी की जीत हुई. कुशवाहा बहुल तारापुर विधानसभा क्षेत्र में पिछली बार राष्ट्रीय जनता दल ने दिव्या रश्मि को मैदान में उतारा था लेकिन वे जदयू के मेवालाल चौधरी से 7225 वोटों से हार गई थी. कुशवाहा बहुल इस विधानसभा सीट पर लंबे समय से कुशवाहा उम्मीदवार ही जीत हासिल करते रहे हैं. यही वजह है कि इस बार किसी कुशवाहा को ही पार्टी अपना उम्मीदवार बनाने की तैयारी कर रही है.
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