पटना : बिहार विधान परिषद में स्थानीय कोटे से 24 सीटों पर हुए चुनाव (Bihar Legislative Council Election) में भीतरघात और बागियों ने सभी दलों का खेल बिगाड़ दिया. कहा जाता है कि आरजेडी को जहां भीतरघात के कारण वैशाली जैसी सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा, वहीं बेगूसराय सीट पर बीजेपी प्रत्याशी को अपने ही कई नेताओं का समर्थन नहीं मिल पाया.
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बागी बनकर चुनावी मैदान में उतरे लोग दलों पर भारी पड़े : दरअसल, बिहार एमएलसी चुनाव (Bihar MLC Chunav) के पूर्व ही सभी दलों ने नई रणनीति के तहत चुनाव मैदान में जाने का फैसला लिया, जिसका लाभ तो राजनीतिक दलों को जरूर हुआ, लेकिन कुछ नाखुश लोगों के कारण खामियाजा भी उठाना पड़ा. राजनीतिक दलों ने इस चुनाव में कई प्रत्याशियों को बदल दिया, जिससे वे बागी होकर चुनाव मैदान में उतर गए.
अपने बलबूते चुनाव जीतने में सक्षम : बीजेपी ने सारण सीट से पूर्व एमएलसी सच्चिदानंद राय का टिकट काटकर धर्मेन्द्र सिंह को प्रत्याशी उतार दिया, जिससे राय ने बागी तेवर अपना लिए और निर्दलीय चुनावी मैदान में उतर गए. बीजेपी प्रत्याशी के बावजूद धर्मेन्द्र को हार का मुंह देखना पड़ा जबकि सच्चिदानंद बतौर निर्दलीय जीत दर्ज कर ली.
यहां बीजेपी को हराने में बीजेपी के बड़े नेता जुटे थे : बताया जाता है कि आरजेडी के वैशाली से प्रत्याशी सुबोध राय को भी अपनों का साथ नहीं मिलने के कारण हार का मुंह देखना पड़ा. ऐसी ही स्थिति बेगूसराय में भी देखने को मिली. बीजेपी के सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के संसदीय क्षेत्र बेगूसराय में बीजेपी के प्रत्याशी रजनीश कुमार कांग्रेस के प्रत्याशी राजीव कुमार से मात खा गए. यहां भी कहा जाता है कि बीजेपी प्रत्याशी को हराने के लिए बीजेपी के ही कई कद्दावर नेता लगे हुए थे.
बागी होकर भी निर्दलीय चुनाव जीत गए : इधर, आरजेडी को नवादा में भी हार का सामना करना पड़ा. आरजेडी ने नवादा से श्रवण कुमार को प्रत्याशी बनाया जबकि आरजेडी के पूर्व विधायक राजवल्लभ यादव का भतीजा अशोक यादव बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए, जिससे समीकरण पूरी तरह बदल गया और नतीजा अशोक यादव के पक्ष में आया.
बागियों के खेल में सबसे अधिक नुकसान RJD को : आरजेडी को मधुबनी क्षेत्र में भी झटका लगा. मधुबनी से आरजेडी ने मेराज आलम को प्रत्याशी बना दिया, जिससे आरजेडी के पूर्व विधायक गुलाब यादव नाराज हो गए और अपनी पत्नी अंबिका यादव को चुनावी मैदान में उतार दिया. यहां से अंबिका चुनाव जीत गई जबकि आरजेडी प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा. वैसे, देखा जाए तो अधिक चौंकाने वाला परिणाम सहरसा-मधेपुरा-सुपौल क्षेत्र से आया जहां बिहार के मंत्री नीरज कुमार बबलू की पत्नी नूतन सिंह को हार का मुंह देखना पड़ा.
कोई मात खा गया तो किसी ने बनाया रिकॉर्ड : बेगूसराय में बीजेपी के रजनीश कुमार चुनावी मैदान में मात खा गए. उनको हराने में बीजेपी के ही कुछ कद्दावर नेता लगे हुए थे. वहीं, दरभंगा में बीजेपी उम्मीदवार सुनील चौधरी को हराने के लिए एनडीए के कुछ नेता जोड़ लगा रखा था, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी. सुनील चौधरी चुनाव जीतने में कामयाब रहे. मुजफ्फरपुर से एक बार फिर जीत हासिल करने वाले जेडीयू के दिनेश सिंह के नाम सबसे अधिक बार जीतने का रिकॉर्ड बन गया. वे चौथी बार चुनाव जीते.
24 सीटों में एनडीए ने 13 सीटों पर हासिल की जीत : बिहार एमएलसी चुनाव के नतीजों में एनडीए विपक्षी दलों पर भारी पड़ी है. गुरुवार को आए नतीजों में 24 सीटों में एनडीए ने 13 सीटों पर जीत हासिल की है. इसमें बीजेपी 7, उसकी सहयोगी जेडीयू 5 व रालोजपा एक, और आरजेडी को 6 सीटें मिलीं हैं. वहीं कांग्रेस के एक प्रत्याशी को जीत मिली है.
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