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जनता दरबार की दूसरी पारी का भी हो गया 1 साल, लेकिन लोगों की नहीं दूर हो रही शिकायतें

जनता दरबार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार लोगों की समस्याओं को सुन रहे हैं. लेकिन जनता दरबार पार्ट 2 में कम लोगों की शिकायतों को ही सुना जा रहा है. इससे लोग नाखुश दिख रहे हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर...

Janta Darbar
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Published : Jul 11, 2022, 10:17 PM IST

Updated : Jul 11, 2022, 10:54 PM IST

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2021 में 5 सालों के बाद जनता दरबार (Nitish Kumar Janta Darbar) की शुरुआत की थी. 12 जुलाई को पहला जनता दरबार लगा था जिसमें 146 लोग पहुंचे थे. जनता दरबार को दोबारा शुरू हुए 1 साल हो गए हैं. इसमें कोरोना के कारण भी लंबे समय तक जनता दरबार का कार्यक्रम बंद रहा. विधानसभा के कारण भी जनता दरबार नहीं चला. लेकिन 1 साल में सबसे अधिक 6 दिसंबर 2021 को 200 लोगों की मुख्यमंत्री ने शिकायतें सुनी थी. हालांकि 2006 से 2016 तक जब मुख्यमंत्री जनता दरबार लगाते थे तो औसतन 800 से 1000 लोग जनता दरबार में पहुंचते थे. एक सोमवार को तो 2200 लोगों ने मुख्यमंत्री से अपनी शिकायतें जनता दरबार में सुनाई थी. लेकिन पहले की तुलना में अब पूरी तरह से बदल चुका है. जनता दरबार से लोगों की शिकायतें दूर नहीं हो रही है. मुख्यमंत्री के निर्देश को भी अधिकारी ठेंगा दिखा रहे हैं. एक साल में ही लोगों को दोबारा जनता दरबार आनी पड़ रही है.

ये भी पढ़ें - छात्र ने CM नीतीश की बोलती बंद कर दी, कहा- 6 साल में BA करेंगे तो कैसे काम चलेगा





कैमूर से आए अखिलेश कुमार का कहना है कि मुख्यमंत्री से हम 3 साल की डिग्री 6 साल में मिलने की शिकायत लेकर गए थे. लेकिन मुख्यमंत्री ने मेरी बात को सुना ही नहीं. ऐसे लगा कि शिक्षा को लेकर कोई गंभीरता नहीं है.जिस मकसद से हम जनता दरबार आए थे कहीं से पूरा होता नहीं दिख रहा है.

''पिछले साल दिसंबर में भी हम शिकायत लेकर पहुंचे थे और उसी मामले को लेकर इस बार दोबारा आए हैं जो हम खुद भुक्तभोगी हैं. हम हाईस्कूल की जमीन बेचने के मामले को लेकर मुख्यमंत्री से शिकायत करने पहुंचे थे. पिछली बार मुख्यमंत्री ने शिक्षा मंत्री को निर्देश दिया था और शिक्षा मंत्री ने डीएम को निर्देश दिया था लेकिन उसके बाद मेरे खिलाफ वहां कार्रवाई हो गई. घर पर छापेमारी हो गई. मुझे धमकी मिलने लगा. मैं फिर से उस मामले को लेकर आज मुख्यमंत्री से मिला. मुख्यमंत्री ने पूरे मामले पर फिर से अधिकारियों को निर्देश दिया. लगता है मुख्यमंत्री चाहते हैं, लेकिन उनके अंदर जो अधिकारी हैं वह नहीं चाहते हैं कि समस्याओं का समाधान हो. या तो पैसे लेकर या पैरवी पर काम होने नहीं देते हैं.''- नवीन सिन्हा, जनता दरबार में सिवान से पहुंचे फरियादी


औरंगाबाद के रईस राम अपनी समस्या को लेकर औरंगाबाद से रविवार को ही पटना पहुंच गए. रात भर स्टेशन पर ही रहे और आज जनता दरबार के बाहर पहुंचे. इस उम्मीद से कि मुख्यमंत्री से मुलाकात होगी, लेकिन मुख्यमंत्री से नहीं मिल पाने के कारण निराश दिखे. कह रहे थे कि इस तरह के जनता दरबार का क्या मतलब, जब हम मुख्यमंत्री से मिल ही नहीं सकते हैं. जनता दरबार लगाते हैं तो यह व्यवस्था होनी चाहिए कि सब से मुलाकात हो जाए.


कोरोना काल में नीतीश कुमार के जनता दरबार में कई बदलाव किए गए हैं:-

1.पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं करना होता था. सुबह में ही जनता दरबार जाकर रजिस्ट्रेशन कराते थे लोग लेकिन अब ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है.

2. जनता दरबार आने वाले लोगों का कोरोना जांच जरूरी है नेगेटिव आने पर ही इंट्री मिलती है.

3. पहले मुख्यमंत्री हर सोमवार को 800 से 1000 फरियादियों की शिकायत सुनते थे. अब 100 से 200 के बीच ही फरियाद सुन रहे हैं. पिछले दो सोमवार से तो 100 से भी कम लोगों से मिल रहे हैं.

4. मुख्यमंत्री आवास में पहले लगता था जनता दरबार अब मुख्यमंत्री सचिवालय के नजदीक नया हॉल बनाया गया है.

5. पहले मीडिया को जनता दरबार में जाने की अनुमति थी लेकिन अब मीडिया पर रोक लगा है.

निराश होकर लौट जाते हैं लोग : 2006 से 2016 तक 10 सालों में मुख्यमंत्री ने 241 जनता दरबार का कार्यक्रम किया (CM Janta Darbar In Patna) था. जिसमें 277249 मामलों का मुख्यमंत्री ने निष्पादन किया था. उस मुकाबले पिछले साल 12 जुलाई से शुरू हुए जनता दरबार कार्यक्रम में एक चौथाई से भी कम लोगों की शिकायतें मुख्यमंत्री सुन रहे हैं. इसी कारण रजिस्ट्रेशन करने वाले लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. बड़ी संख्या में लोग जनता दरबार में नहीं आने के कारण निराश होकर लौट जाते हैं.

रजिस्ट्रेशन करने वाले लोगों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी: रजिस्ट्रेशन करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हालांकि, सही आंकड़ा अभी मुख्यमंत्री कार्यालय के पास भी नहीं है. लेकिन हजारों की संख्या में लोग रजिस्ट्रेशन करा कर जनता दरबार आने का इंतजार कर रहे हैं. 12 जुलाई 2021 से जनता दरबार की शुरुआत हुई है. जनता दरबार में कुछ इस प्रकार से लोग पहुंचे हैं. जिन की शिकायतें मुख्यमंत्री ने सुनी है. 12 जुलाई, 2021 को 146 लोगों की शिकायतें सुनी गई. 8 नवंबर, 2021 को 160 शिकायतें सीएम ने सुनी. 6 दिसंबर, 2021 को 200, 21 फरवरी, 2022 को 125, 11 अप्रैल, 2022 को 132, 18 अप्रैल, 2022 को 127, 9 मई, 2022 को 133, 6 जून, 2022 को 173 और 4 जुलाई 22 को 89 शिकायतें सीएम ने सुनी और 11 जुलाई 22 को 55 शिकायतें सुनी.

1 साल में महज 1500 शिकायतें : पिछले साल मुख्यमंत्री ने कोरोना काल में ही जनता दरबार की शुरुआत की थी और कोरोना का इस पर असर साफ दिख रहा है. जहां पहले प्रतिदिन 1000 तक फरियादियों की शिकायत मुख्यमंत्री सुन लेते थे. कई सप्ताह तो 1000 से भी अधिक पहुंच जाता था लेकिन अब एक साल में मुख्यमंत्री 1500 के करीब ही कुल शिकायत सुन पाए हैं. कुछ की समस्या का समाधान हो पाया है वहीं अधिकांश अब भी समस्या के समाधान की उम्मीद लगाए हुए हैं.

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2021 में 5 सालों के बाद जनता दरबार (Nitish Kumar Janta Darbar) की शुरुआत की थी. 12 जुलाई को पहला जनता दरबार लगा था जिसमें 146 लोग पहुंचे थे. जनता दरबार को दोबारा शुरू हुए 1 साल हो गए हैं. इसमें कोरोना के कारण भी लंबे समय तक जनता दरबार का कार्यक्रम बंद रहा. विधानसभा के कारण भी जनता दरबार नहीं चला. लेकिन 1 साल में सबसे अधिक 6 दिसंबर 2021 को 200 लोगों की मुख्यमंत्री ने शिकायतें सुनी थी. हालांकि 2006 से 2016 तक जब मुख्यमंत्री जनता दरबार लगाते थे तो औसतन 800 से 1000 लोग जनता दरबार में पहुंचते थे. एक सोमवार को तो 2200 लोगों ने मुख्यमंत्री से अपनी शिकायतें जनता दरबार में सुनाई थी. लेकिन पहले की तुलना में अब पूरी तरह से बदल चुका है. जनता दरबार से लोगों की शिकायतें दूर नहीं हो रही है. मुख्यमंत्री के निर्देश को भी अधिकारी ठेंगा दिखा रहे हैं. एक साल में ही लोगों को दोबारा जनता दरबार आनी पड़ रही है.

ये भी पढ़ें - छात्र ने CM नीतीश की बोलती बंद कर दी, कहा- 6 साल में BA करेंगे तो कैसे काम चलेगा





कैमूर से आए अखिलेश कुमार का कहना है कि मुख्यमंत्री से हम 3 साल की डिग्री 6 साल में मिलने की शिकायत लेकर गए थे. लेकिन मुख्यमंत्री ने मेरी बात को सुना ही नहीं. ऐसे लगा कि शिक्षा को लेकर कोई गंभीरता नहीं है.जिस मकसद से हम जनता दरबार आए थे कहीं से पूरा होता नहीं दिख रहा है.

''पिछले साल दिसंबर में भी हम शिकायत लेकर पहुंचे थे और उसी मामले को लेकर इस बार दोबारा आए हैं जो हम खुद भुक्तभोगी हैं. हम हाईस्कूल की जमीन बेचने के मामले को लेकर मुख्यमंत्री से शिकायत करने पहुंचे थे. पिछली बार मुख्यमंत्री ने शिक्षा मंत्री को निर्देश दिया था और शिक्षा मंत्री ने डीएम को निर्देश दिया था लेकिन उसके बाद मेरे खिलाफ वहां कार्रवाई हो गई. घर पर छापेमारी हो गई. मुझे धमकी मिलने लगा. मैं फिर से उस मामले को लेकर आज मुख्यमंत्री से मिला. मुख्यमंत्री ने पूरे मामले पर फिर से अधिकारियों को निर्देश दिया. लगता है मुख्यमंत्री चाहते हैं, लेकिन उनके अंदर जो अधिकारी हैं वह नहीं चाहते हैं कि समस्याओं का समाधान हो. या तो पैसे लेकर या पैरवी पर काम होने नहीं देते हैं.''- नवीन सिन्हा, जनता दरबार में सिवान से पहुंचे फरियादी


औरंगाबाद के रईस राम अपनी समस्या को लेकर औरंगाबाद से रविवार को ही पटना पहुंच गए. रात भर स्टेशन पर ही रहे और आज जनता दरबार के बाहर पहुंचे. इस उम्मीद से कि मुख्यमंत्री से मुलाकात होगी, लेकिन मुख्यमंत्री से नहीं मिल पाने के कारण निराश दिखे. कह रहे थे कि इस तरह के जनता दरबार का क्या मतलब, जब हम मुख्यमंत्री से मिल ही नहीं सकते हैं. जनता दरबार लगाते हैं तो यह व्यवस्था होनी चाहिए कि सब से मुलाकात हो जाए.


कोरोना काल में नीतीश कुमार के जनता दरबार में कई बदलाव किए गए हैं:-

1.पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं करना होता था. सुबह में ही जनता दरबार जाकर रजिस्ट्रेशन कराते थे लोग लेकिन अब ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है.

2. जनता दरबार आने वाले लोगों का कोरोना जांच जरूरी है नेगेटिव आने पर ही इंट्री मिलती है.

3. पहले मुख्यमंत्री हर सोमवार को 800 से 1000 फरियादियों की शिकायत सुनते थे. अब 100 से 200 के बीच ही फरियाद सुन रहे हैं. पिछले दो सोमवार से तो 100 से भी कम लोगों से मिल रहे हैं.

4. मुख्यमंत्री आवास में पहले लगता था जनता दरबार अब मुख्यमंत्री सचिवालय के नजदीक नया हॉल बनाया गया है.

5. पहले मीडिया को जनता दरबार में जाने की अनुमति थी लेकिन अब मीडिया पर रोक लगा है.

निराश होकर लौट जाते हैं लोग : 2006 से 2016 तक 10 सालों में मुख्यमंत्री ने 241 जनता दरबार का कार्यक्रम किया (CM Janta Darbar In Patna) था. जिसमें 277249 मामलों का मुख्यमंत्री ने निष्पादन किया था. उस मुकाबले पिछले साल 12 जुलाई से शुरू हुए जनता दरबार कार्यक्रम में एक चौथाई से भी कम लोगों की शिकायतें मुख्यमंत्री सुन रहे हैं. इसी कारण रजिस्ट्रेशन करने वाले लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. बड़ी संख्या में लोग जनता दरबार में नहीं आने के कारण निराश होकर लौट जाते हैं.

रजिस्ट्रेशन करने वाले लोगों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी: रजिस्ट्रेशन करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हालांकि, सही आंकड़ा अभी मुख्यमंत्री कार्यालय के पास भी नहीं है. लेकिन हजारों की संख्या में लोग रजिस्ट्रेशन करा कर जनता दरबार आने का इंतजार कर रहे हैं. 12 जुलाई 2021 से जनता दरबार की शुरुआत हुई है. जनता दरबार में कुछ इस प्रकार से लोग पहुंचे हैं. जिन की शिकायतें मुख्यमंत्री ने सुनी है. 12 जुलाई, 2021 को 146 लोगों की शिकायतें सुनी गई. 8 नवंबर, 2021 को 160 शिकायतें सीएम ने सुनी. 6 दिसंबर, 2021 को 200, 21 फरवरी, 2022 को 125, 11 अप्रैल, 2022 को 132, 18 अप्रैल, 2022 को 127, 9 मई, 2022 को 133, 6 जून, 2022 को 173 और 4 जुलाई 22 को 89 शिकायतें सीएम ने सुनी और 11 जुलाई 22 को 55 शिकायतें सुनी.

1 साल में महज 1500 शिकायतें : पिछले साल मुख्यमंत्री ने कोरोना काल में ही जनता दरबार की शुरुआत की थी और कोरोना का इस पर असर साफ दिख रहा है. जहां पहले प्रतिदिन 1000 तक फरियादियों की शिकायत मुख्यमंत्री सुन लेते थे. कई सप्ताह तो 1000 से भी अधिक पहुंच जाता था लेकिन अब एक साल में मुख्यमंत्री 1500 के करीब ही कुल शिकायत सुन पाए हैं. कुछ की समस्या का समाधान हो पाया है वहीं अधिकांश अब भी समस्या के समाधान की उम्मीद लगाए हुए हैं.

Last Updated : Jul 11, 2022, 10:54 PM IST
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