पटना: साक्षरता अभियान के तहत इन दिनों जेल में कैदियों की जिंदगी संवर रही है. दरअसल, गृह विभाग के आदेशानुसार बिहार के तमाम जेलों में निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाने का काम किया जा रहा है. राजधानी पटना के मसौढ़ी जेल में भी कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिला.
वैसै कैदी जो कि पूर्ण रूप से निरक्षर हैं, उन सभी को साक्षरता अभियान के तहत साक्षर बनाया जा रहा है. इससे जेल से छूटने के बाद वे समाज के मुख्य धारा से जुड़ सकेंगे. साथ हीं, साक्षर बनकर अपना रोजगार भी कर सकेंगे.
पढ़ाई के बाद कैदियों में खुशी
कैदियों ने ईटीवी भारत से बाचतीच के दौरान बताया कि विभिन्न कारणों की वजह से घर में उनकी पढ़ाई नहीं हो सकी. बूरे हालात ने उन्हें कैदी बना दिया. जेल में ही उन्हें पढ़ाई करने का मौका मिला है. कैदियों ने कहा कि जेल से निकलने के बाद वे अपना बिजनैस खोलेंगे या कुछ ढ़ंग का रोजगार करेंगे. साथ हीं, उन्होंने कहा कि वे लोगों के बीच जाकर बताएंगे कि साक्षर होना कितना जरूरी है, और पढ़ने के लिए लोगों को जागरुक करेंगे.
साक्षर कैदी दे रहे निरक्षर को ज्ञान
बहरहाल राजधानी पटना के मसौढ़ी जेल में चल रहे साक्षरता अभियान में कई कैदियों को पढाया जा रहा है. रोजाना सुबह और शाम एक घंटे की पढ़ाई होती है. फिलहाल जेल के साक्षर कैदी हीं अन्य निरक्षर कैदियों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं. वहीं, जेल के महिला वार्ड में महिला कैदियों को भी पढ़ाया जा रहा है.
जेलर ने जताई खुशी
वहीं, मसौढ़ी जेल के जेलर कृष्ण कुमार झा ने बताया कि साक्षरता अभियान के तहत निरक्षर पुरुष और महिलाएं साक्षर पुरुष और महिलाओं से पढ़ाई कर ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं. साक्षर पुरुष कुल 21 निरक्षर पुरुष को पढ़ा रहे हैं. उन्होंने के कहा कि एक महिला कैदी ने बड़ी अच्छी बात कही थी. महिला ने कहा था कि निरक्षर होने के कारण एक बार वह 2 घंटे तक बैंक में खड़ी रही, लेकिन किसी ने उसका पर्चा नहीं भरा. आज पढ़-लिखकर कुछ सीखने के बाद उसे बहुत अच्छा लगा.