पटना: बिहार विधानसभा चुनाव का परिणाम अपेक्षा के अनुरुप नहीं रहने के बाद जदयू (JDU) के नेता सूबे में पार्टी की पकड़ मजबूत बनाने की कवायद में जुट गये हैं. नेताओं का जिलों का दौरा हो रहा है. अन्य कई तरह के कार्यक्रम हो रहे हैं जिससे जनता से सीधा संवाद स्थापित किया जा सके. इसी बीच पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर भीतर ही रार शुरू हो गयी थी. खेमेबाजी हो रही थी.
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आखिरकार हाल ही में केंद्रीय मंत्री बने आरसीपी सिंह से राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी ललन सिंह को सौंपी गयी. उसके बाद से जदयू की लड़ाई धीरे-धीरे बंद कमरे से निकलकर पटना की सड़कों पर आ रही है. पोस्टर वार शुरु हो गया है. ललन सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए तो 24 घंटे के भीतर वे उपेंद्र कुशवाहा से मिलकर उनका कुशलक्षेम पूछने पहुंच गये.
बता दें कि आरसीपी सिंह (RCP Singh) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते समय उपेंद्र कुशवाहा लगातार इस मुद्दे को उठाते रहते थे. अब राष्ट्रीय नेतृत्व में बदलाव के बाद ललन सिंह (Lalan Singh) और उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) में मंत्रणा जदयू में एक अलग राजनीति की ओर इशारा करता है. समझा जा रहा है कि आरसीपी के अध्यक्ष रहते पार्टी का एक धड़ा नाराज था. बात यहीं नहीं थमी. इसका एक और रूप देखने को मिला. केंद्रीय मंत्री बने आरसीपी सिंह पटना आने वाले हैं.
आरसीपी सिंह के आगमन को देखते हुए उनके समर्थकों ने स्वागत के लिए पोस्टर लगाया गया. सबसे गौर करने वाली बात यह है कि उस पोस्टर से पार्टी के नये अध्यक्ष ललन सिंह गायब रहे. आरसीपी सिंह के स्वागत में लगे पोस्टर में से ललन सिंह (Lalan Singh) और उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) का फोटो गायब कर दिया गया था. यह पोस्टर पार्टी कार्यालय के ठीक बाहर दीवाल पर लगाया गया था. इसी को लेकर विवाद शुरू हो गया है. हालांकि अब यह पोस्टर हटा दिया गया है.
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यही बात राजनीतिक पंडितों को खटक रही है. अब सवाल यह उठ रहा है कि जिस तरीके से जदयू में पोस्टर वार मचा है, इसकी वजह क्या है? 2005 में नीतीश कुमार जब बिहार की गद्दी पर बैठे थे तब उन्होंने कहा था कि हमें खबरों में छपने और अखबारों में फोटो लगवाने का कोई बहुत मतलब नहीं है.
इन सिद्धांतों पर चलने वाली जदयू आज पोस्टर वार पर क्यों उतर आयी है. इसके साथ ही पोस्टर बड़े नेताओं की तस्वीर क्यों गायब हो रही है. अब नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को सोचना पड़ेगा क्योंकि एक ओर विपक्ष बिहार में सुशासन पर सवाल उठा रहा है तो दूसरी ओर पार्टी के भीतर भी सब कुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है.