पटना: राज्य में निवेश और उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति 2016 में बदलाव करते हुए नई उद्योग नीति बनाई है. कैबिनेट से इसे मंजूरी भी मिल गई. नई उद्योग नीति पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाते हुए कहा है कि जब भी चुनाव आता है तो सरकार नई-नई घोषणाएं करती है. इसलिए नई उद्योग नीति सिर्फ चुनावी स्टंट है. वहीं अर्थशास्त्रियों की मानें तो नीति अच्छी है. लेकिन सरकार को एक्सपर्टों से और राय लेनी चाहिए तभी बिहार में निवेशक आएंगे और लोगों को रोजगार मिल सकेगा.
विपक्ष ने बताया दिखावा
नई उद्योग नीति पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार सिर्फ चुनाव के लिए घोषणा कर रही है. क्योंकि सरकार अपनी नाकामी छुपाना चाह रही है. इसलिए सरकार की तरफ से नई-नई घोषणाएं की जा रही है. इस क्रम में हम प्रवक्ता विजय यादव ने कहा कि जब भी बिहार में चुनाव आता है तो राज्य सरकार लोगों को दिग्भ्रमित करने के लिए नई-नई घोषणा करती है. ये उद्योग नीति सिर्फ एक दिखावा है.
आरजेडी ने भी साधा निशाना
नई उद्योग नीति पर आरजेडी नेता शिवचंद्र राम ने कहा कि खोदा पहाड़ निकली चुहिया. 15 सालों में नीतीश कुमार बिहार में एक सुई की फैक्ट्री तक नहीं लगा सके और जब चुनाव आया है तो नई उद्योग नीति ला रहे हैं. ये घोषणाएं सिर्फ लोगों को भ्रमित करने के लिए ही की जा रही है.
बुद्धिजीवी वर्गों से लेनी चाहिए थी राय
नई उद्योग नीति पर अर्थशास्त्रियों की मानें तो सरकार की तरफ से लाई गई नीति अच्छी है. लेकिन अभी तक शुरू से जो उद्योग नीति बनाई गई थी उसके लिए अध्ययन का कोई मजबूत आधार सरकार ने नहीं खोजा है. सिर्फ दूसरे राज्यों को देखकर सरकार नई नीति लाती रही है. अब सरकार ने जो नई उद्योग नीति लाई है, वह अच्छी है. लेकिन, सरकार को इस नीति पर बुद्धिजीवी वर्गों से राय लेनी चाहिए. बिहार में निवेशक कैसे बढ़े और लोगों को रोजगार कैसे मिले इस पर एक्सपर्ट जो राय देते हैं, सरकार यदि उस रास्ते पर काम करेगी तो निश्चित तौर पर बिहार में उद्योग लगेंगे और लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा.
बहरहाल अब देखने वाली बात होगी कि बिहार सरकार ने जो नई उद्योग नीति लाई है, उससे प्रभावित होकर कितने उद्योगपति बाहर से आकर बिहार में निवेश करते हैं और लोगों को रोजगार देते हैं. ये तो आने वाला समय ही बताएगा.