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जीतन राम मांझी से दलित नेताओं की मुलाकात के बाद प्रदेश में बढ़ी राजनीति सुगबुगाहट - विधानसभा चुनाव

जीतन राम मांझी ने जब से महागठबंधन से अलग होकर विधानसभा चुनाव लड़ने का संकेत दिया है, तब से कई दलित नेताओं ने मांझी से मुलाकात की है. इसके बाद प्रदेश में राजनीति की नई सुगबुगाहट देखने को मिल रही है.

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Published : Nov 11, 2019, 8:15 PM IST

पटना: हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी इन दिनों महागठबंधन से नाराज दिख रहे हैं. इस दौरान मांझी की दलित नेताओं से हो रही मुलाकात से प्रदेश में राजनीति की नई सुगबुगाहट शुरू होती नजर आ रही है. दलित नेताओं से मांझी की मुलाकात पर कांग्रेस, आरजेडी और हम के नेता अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

कई दलित नेताओं ने की मुलाकात
2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से राजनीति गर्म होती दिख रही है. 2 दिन पहले जीतन राम मांझी ने महागठबंधन से अलग होकर विधानसभा चुनाव लड़ने का संकेत दिया था. उसके बाद से लगातार दलित नेता मांझी से संपर्क करने में लगे हुए हैं. बीजेपी के दलित नेता संजय पासवान के साथ-साथ बीजेपी के ही रामप्रीत पासवान ने भी मांझी से मुलाकात की. वहीं, वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी जीतन राम मांझी से मुलाकात कर राजनीति में नई दिशा का संकेत दिया है.

patna
दलित नेताओं के साथ मांझी की मुलाकात

राजनीति में सुगबुगाहट
जीतन राम मांझी के साथ दलित नेताओं की मुलाकात को कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने महागठबंधन के लिए फायदे की बात कही. राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने इन मुलाकातों को व्यक्तिगत मुलाकात बताया. वहीं, हम प्रवक्ता विजय यादव ने प्रदेश में तीसरे मोर्चे की शुरुआत करने की बात कही. उनका कहना है कि यदि महागठबंधन में कोर्डिनेशन कमिटी नहीं बनती है, तो हम पार्टी महागठबंधन से अलग होकर दलित और मुस्लिम नेताओं के साथ एक नए मोर्चे की शुरुआत करेंगे.

पेश है रिपोर्ट

बहरहाल, मांझी की नाराजगी को लेकर महागठबंधन में कोई नेता परेशान नहीं दिख रहा है. महागठबंधन के नेता सबकुछ ठीक होने का दावा कर रहे हैं. बड़ा सवाल यह है कि जब सबकुछ ठीक है तो सिर्फ दलित नेता ही मांझी से मिलने क्यों जा रहे हैं?

पटना: हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी इन दिनों महागठबंधन से नाराज दिख रहे हैं. इस दौरान मांझी की दलित नेताओं से हो रही मुलाकात से प्रदेश में राजनीति की नई सुगबुगाहट शुरू होती नजर आ रही है. दलित नेताओं से मांझी की मुलाकात पर कांग्रेस, आरजेडी और हम के नेता अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

कई दलित नेताओं ने की मुलाकात
2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर अभी से राजनीति गर्म होती दिख रही है. 2 दिन पहले जीतन राम मांझी ने महागठबंधन से अलग होकर विधानसभा चुनाव लड़ने का संकेत दिया था. उसके बाद से लगातार दलित नेता मांझी से संपर्क करने में लगे हुए हैं. बीजेपी के दलित नेता संजय पासवान के साथ-साथ बीजेपी के ही रामप्रीत पासवान ने भी मांझी से मुलाकात की. वहीं, वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी जीतन राम मांझी से मुलाकात कर राजनीति में नई दिशा का संकेत दिया है.

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दलित नेताओं के साथ मांझी की मुलाकात

राजनीति में सुगबुगाहट
जीतन राम मांझी के साथ दलित नेताओं की मुलाकात को कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने महागठबंधन के लिए फायदे की बात कही. राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने इन मुलाकातों को व्यक्तिगत मुलाकात बताया. वहीं, हम प्रवक्ता विजय यादव ने प्रदेश में तीसरे मोर्चे की शुरुआत करने की बात कही. उनका कहना है कि यदि महागठबंधन में कोर्डिनेशन कमिटी नहीं बनती है, तो हम पार्टी महागठबंधन से अलग होकर दलित और मुस्लिम नेताओं के साथ एक नए मोर्चे की शुरुआत करेंगे.

पेश है रिपोर्ट

बहरहाल, मांझी की नाराजगी को लेकर महागठबंधन में कोई नेता परेशान नहीं दिख रहा है. महागठबंधन के नेता सबकुछ ठीक होने का दावा कर रहे हैं. बड़ा सवाल यह है कि जब सबकुछ ठीक है तो सिर्फ दलित नेता ही मांझी से मिलने क्यों जा रहे हैं?

Intro:महागठबंधन से नाराज चल रहे माझी से दलित नेताओं की हो रही मुलाकात के बाद राजनीति की नई सुगबुगाहट कोई शुरू कांग्रेस आरजेडी ने भी माना है कि माझी दलित के बड़े नेता हैं तो वहीं हमने कहा कि कोआर्डिनेशन कमेटी नहीं बनती है तो हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा दलित को मिलाकर एक थर्ड फ्रंट बनाएगी---


Body:पटना--- विधानसभा चुनाव में अभी समय है लेकिन बिहार की राजनीति अभी से ही गर्म हो रही है महागठबंधन में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा लगातार अपनी उपेक्षाओं को लेकर बात नहीं सुनी जाने को लेकर महागठबंधन को आंख दिखाना शुरू कर दिया है 2 दिन पहले जीतन राम मांझी ने महागठबंधन से अलग होकर विधानसभा चुनाव लड़ने का संकेत दे दिया उसके बाद दलित नेता लगातार माझी से संपर्क साधने लगे हैं बीजेपी के बड़बोले नेता संजय पासवान कभी नीतीश कुमार को आईना दिखाने वाले नाराज चल रहे जीतन राम मांझी से मिलने उनके आवास पर पहुंच गए तो दूसरे दिन ही बीजेपी के ही दलित नेता रामप्रीत पासवान ने भी मुलाकात की उसके बाद राजनीति की बाजार गर्म हो गई महागठबंधन के घटक दल वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने भी जीतन राम मांझी से मुलाकात कर राजनीति की एक नई दिशा का संकेत भी दे दिया है मांझी के मांग को हमें हामी भरते हुए मुकेश साहनी ने भी कह दिया था कि महागठबंधन में जब तक कोआर्डिनेशन कमेटी नहीं बनती है तो हम भी महागठबंधन का हिस्सा नहीं होंगे हालाकी कांग्रेस और आरजेडी भी मान रही है कि जीतन राम मांझी महागठबंधन के सबसे मजबूत नेता हैं और दलित चेहरा है। कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा है कि जीतन राम मांझी बिहार में दलित के सबसे बड़े नेता हैं और महागठबंधन में वह दलित के चेहरा भी हैं, बीजेपी के दो दलित नेता के मासी के मुलाकात के बाद कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा है कि दलित माझी जी के नेतृत्व में रहे अच्छी बात है। जो दलित बीजेपी और जदयू से नाराज हैं वह मांझी जी के संपर्क में है और मांझी गठबंधन का हिस्सा है वह तो अच्छी बात है।
हालांकि मांझी से बीजेपी के नेता संजय पासवान और रामपति पासवान के अलावा मुकेश साहनी की मुलाकात पर आरजेडी ने कहा कि किसी भी नेता से एक आपसी संबंध होता है लेकिन यह लोग मांझी जी को नहीं मानते हैं सिर्फ व्यक्तिगत संबंध के चलते उनसे मुलाकात करते हैं सवाल है कि क्या मांझी थर्ड फ्रंट की ओर बढ़ रहे हैं इस सवाल के जवाब में राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि बिहार में सिर्फ दो ही फ्रंट है महागठबंधन और एनडीए तीसरा कोई फ्रेंड नहीं है दलित का नेता सिर्फ लालू प्रसाद ही हैं जो सबको साथ लेकर आगे चलते हैं।

हम प्रवक्ता अब महागठबंधन को आंख दिखाना शुरू कर दिए हैं प्रवक्ता विजय यादव ने कहा है कि यदि महागठबंधन में कोआर्डिनेशन कमेटी नहीं बनती है तो हम लोग महागठबंधन से अलग हो जाएंगे और हम लोग दलित मुस्लिम मिलाकर बिहार में एक नए फंड बनाने का काम करेंगे।

बाइट--- राजेश राठौर प्रवक्ता कांग्रेस

बाइट-- चितरंजन गगन प्रवक्ता आरजेडी

बाइट--- विजय यादव प्रवक्ता हम


Conclusion: बहरहाल माझी की नाराजगी को लेकर महागठबंधन में कोई नेता परेशान नहीं दिख रहा है और महागठबंधन के नेता सब कुछ ठीक-ठाक होने का दावा कर रहे हैं। तो सवाल है कि रूठे मांझी से मिलने सिर्फ दलित नेता ही क्यों जा रहे है

etv भारत के लिए पटना से अरविंद राठौर की रिपोर्ट
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