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5 साल में 11 उपचुनाव.. सबसे ज्यादा फायदे में RJD, बड़ा सवाल- बोचहां में जीत A टू Z का कमाल या सहानुभूति फैक्टर?

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) का दावा है कि बोचहां विधानसभा उपचुनाव (Bochaha Assembly By Election) में आरजेडी को भूमिहार समाज का साथ (Bhumihar Samaj Supports RJD) मिला है. अब राष्ट्रीय जनता दल 'ए टू जेड' की पार्टी बन गई है. हालांकि सत्ता पक्ष उनके दावों को झुठला रहा है. वहीं, राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि उपचुनावों में समीकरण के साथ-साथ सहानुभूति वोट सबसे असरदार साबित होता है. ऐसे में स्पष्ट तौर पर कुछ कह पाना जल्दबाजी होगी.

आरजेडी को ए टू जेड का साथ मिला
आरजेडी को ए टू जेड का साथ मिला
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Published : Apr 18, 2022, 5:25 PM IST

पटना: पहले बिहार विधान परिषद के लिए स्थानीय प्राधिकार के एमएलसी चुनाव में सफलता और फिर उसके बाद बोचहां विधानसभा उपचुनाव (Bochaha Assembly By Election) में बड़ी कामयाबी. लगातार दो अहम मौकों पर अपने उम्मीदवारों की जीत से राष्ट्रीय जनता दल के हौसले बुलंद हैं. एक तरफ पार्टी अपने नए वोटर को बनाने की बात कह रही है तो वहीं दूसरी तरफ 'एमवाई' समीकरण में थोड़ा और विस्तार करने की बात करते हुए अब 'ए टू जेड' की बात कह रही है. हालांकि बोचहां की जीत को सत्ता पक्ष की ओर से सहानुभूति की जीत बताने की कोशिश की जा रही है. वैसे ये सच भी है कि ऐसे उप-चुनावों में सहानुभूति वाले वोटों का भी असर होता है. वहीं, अगर आंकडों पर गौर करें तो सूबे में पिछले पांच सालों में दस विधानसभा उपचुनाव हो चुके हैं. ज्यादातर सीटों पर सहानुभूति वोट बैंक ने रजिल्ट को प्रभावित किया है और इसमें सबसे ज्यादा फायदे में आरजेडी रहा है.

ये भी पढ़ें: BJP का बड़ा दावा- 'A टू Z की तो छोड़िए, अब MY की पार्टी भी नहीं रही RJD'

आरजेडी को मिली सबसे ज्यादा जीत: अगर पिछले पांच सालों में हुए विधानसभा की दस सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम को देखा जाए तो इसमें सबसे ज्यादा फायदे में राष्ट्रीय जनता दल ही रहा है. आरजेडी के खाते में पांच सीटें आयी हैं. 2018 में अररिया जिले के जोकीहाट विधानसभा उपचुनाव में तब आरजेडी प्रत्याशी शाहनवाज आलम ने 41,225 मतों से जीत हासिल की थी. उन्होंने जेडीयू के मुर्शिद आलम को पटखनी दी थी. आरजेडी प्रत्याशी को 81,240 और जेडीयू उम्मीदवार को 40,015 मत मिले थे. उसी साल जहानाबाद विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में आरजेडी को सफलता मिली थी. तब आरजेडी के सुदय यादव उर्फ कुमार कृष्ण मोहन ने बीजेपी के अभिराम शर्मा को 35,036 मतों से हराया था. इसी प्रकार 2019 में बेलहर विधानसभा उपचुनाव में भी आरजेडी के रामदेव यादव ने जेडीयू प्रत्याशी लालधारी यादव को 19,231 वोटों से हराया था. उसी साल सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा उपचुनाव सीट पर आरजेडी के जफर आलम ने जेडीयू के डॉ. अरूण कुमार को 15,505 मतों से पराजित किया था.

सहानुभूति वोट से सफर आसान: राजनीतिक मामलों के जानकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि विधानसभा के जो भी उपचुनाव होते हैं, उनमें सहानुभूति वोटों की अहम भूमिका होती है. लोग स्थानीय बातों के अलावा दिवगंत सांसद या विधायक के परिवार के पक्ष में भी वोटिंग करते हैं. हाल ही में बोचहां विधानसभा उपचुनाव में आरजेडी के पक्ष में जो परिणाम गया है, उसमें 'ए टू जेड' की बातें कही जा रही है लेकिन मेरा ऐसा मानना है कि इसमें 'ए टू जेड' जैसी कोई बात नहीं है. हां स्थानीय समीकरणों का इसमें जरूर बड़ा रोल होता है.

आरजेडी को भूमिहार समाज का साथ?: रवि उपाध्याय कहते हैं कि उपचुनाव में आम तौर पर स्थानीय समीकरण और सहानुभूति वोटों का ही अधिक महत्व रहता है. इससे यह निष्कर्ष निकालना थोड़ा मुश्किल होता है कि कोई बड़ा वर्ग विशेष किसी खास पार्टी के पक्ष में खड़ा हो गया है. वह कहते हैं कि पिछले साल तारापुर और कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में जेडीयू की जीत हुई थी. वहां पर भी सहानुभूति वोट ही प्रत्याशियों को प्राप्त हुए थे. वह यह भी कहते हैं कि आरजेडी के साथ 'भूरा बाल' साफ करो जैसे नारे देने का भी राजनीतिक आरोप लगते रहते हैं. इसमें भूमिहार समाज भी समाहित है. अगड़ी जातियों और पिछड़ी जातियों में भी राजनैतिक टकराव की बातें आती रही हैं. इसलिए ऐसे में यह कह पाना थोड़ी जल्दबाजी होगी कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) के 'ए टू जेड' में भूमिहार समाज अपना उदार रूख दिखा रहा है.

आरजेडी का दावा: वहीं, आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि विधानसभा उपचुनाव में लोग सरकार के खिलाफ वोट करते हैं. आंकड़ें गवाह हैं कि हमारी पार्टी को सफलता मिलती रही है. हर चुनाव एक नया चुनाव होता है और एक नया मुद्दा होता है. बोचहां की हमारी जीत में हमारा मार्जिन बहुत अधिक रहा है, जबकि 2021 के तारापुर और कुशेश्वरस्थान विधानसभा उपचुनाव में जेडीयू की जीत का मार्जिन बहुत कम रहा था.

जेडीयू का पलटवार: उधर, जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा कहते हैं कि जब भी कोई विधानसभा उपचुनाव होता है तो वहां पर किसी विधायक के दिवंगत होने के बाद उसके परिवार के सदस्य को टिकट मिलता है. कई उपचुनाव में ऐसे ट्रेंड देखने को मिले हैं, जिसमें दिवंगत विधायक के परिवार को जीत मिली है. कुशेश्वरस्थान और तारापुर में जनादेश हमारे साथ था. वह कहते हैं कि अब आरजेडी यह कह रहा है कि हम 'ए टू जेड' की बात करते हैं. चलिए कम से कम इतना तो आरजेडी के नेताओं ने माना कि वह पहले 'ए टू जेड' की पार्टी नहीं थी.

आरजेडी को ए टू जेड का मिला साथ: दिल्ली से लौटने के बाद पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा बोचहां उपचुनाव की जीत जनता और जनहित के मुद्दों की जीत है. उन्होंने कहा कि जिस तरह आम जनता मंहगाई और बेरोजगारी से परेशान है, वैसे में हमें जनता ने अपना समर्थन दिया है. तेजस्वी ने दावा किया है कि आरजेडी को 'ए टू जेड' यानी हर जाति-धर्म और वर्ग का साथ मिला है. उन्होंने कहा कि जिस बड़े अंतर से आरजेडी कैंडिडेट ने वहां जीत दर्ज की है, उससे साफ पता चलता है कि हमें सभी लोगों का वोट मिला है.

बोचहां में आरजेडी की जीत: आपको बता दें कि उपचुनाव में सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी पार्टी आरजेडी के बीच सीधा मुकाबला था. वीआईपी पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटी थी लेकिन बोचहां की जनता ने मुसाफिर पासवान के बेटे और आरजेडी उम्मीदवार अमर पासवान को विधायक चुना. उपचुनाव में दो छोटे दलों ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के शीर्ष नेताओं को मुश्किल में डाल दिया. जेडीयू के चलते जहां चिराग पासवान को एनडीए छोड़ना पड़ा वहीं बीजेपी के चलते मुकेश सहनी को एनडीए छोड़ना पड़ा. उपचुनाव में दोनों दलों ने पैंतरा बदला और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को सीट गंवानी पड़ी. अमर पासवान को 82562 वोट मिले हैं. वहीं, बीजेपी की बेबी कुमारी को 45909 वोट और वीआईपी की गीता कुमारी को 29279 वोट मिले.

ये भी पढ़ें: 'A to Z के समर्थन से बोचहां में मिली प्रचंड जीत, BJP की हार से नीतीश जी सबसे अधिक खुश'

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पटना: पहले बिहार विधान परिषद के लिए स्थानीय प्राधिकार के एमएलसी चुनाव में सफलता और फिर उसके बाद बोचहां विधानसभा उपचुनाव (Bochaha Assembly By Election) में बड़ी कामयाबी. लगातार दो अहम मौकों पर अपने उम्मीदवारों की जीत से राष्ट्रीय जनता दल के हौसले बुलंद हैं. एक तरफ पार्टी अपने नए वोटर को बनाने की बात कह रही है तो वहीं दूसरी तरफ 'एमवाई' समीकरण में थोड़ा और विस्तार करने की बात करते हुए अब 'ए टू जेड' की बात कह रही है. हालांकि बोचहां की जीत को सत्ता पक्ष की ओर से सहानुभूति की जीत बताने की कोशिश की जा रही है. वैसे ये सच भी है कि ऐसे उप-चुनावों में सहानुभूति वाले वोटों का भी असर होता है. वहीं, अगर आंकडों पर गौर करें तो सूबे में पिछले पांच सालों में दस विधानसभा उपचुनाव हो चुके हैं. ज्यादातर सीटों पर सहानुभूति वोट बैंक ने रजिल्ट को प्रभावित किया है और इसमें सबसे ज्यादा फायदे में आरजेडी रहा है.

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आरजेडी को मिली सबसे ज्यादा जीत: अगर पिछले पांच सालों में हुए विधानसभा की दस सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम को देखा जाए तो इसमें सबसे ज्यादा फायदे में राष्ट्रीय जनता दल ही रहा है. आरजेडी के खाते में पांच सीटें आयी हैं. 2018 में अररिया जिले के जोकीहाट विधानसभा उपचुनाव में तब आरजेडी प्रत्याशी शाहनवाज आलम ने 41,225 मतों से जीत हासिल की थी. उन्होंने जेडीयू के मुर्शिद आलम को पटखनी दी थी. आरजेडी प्रत्याशी को 81,240 और जेडीयू उम्मीदवार को 40,015 मत मिले थे. उसी साल जहानाबाद विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में आरजेडी को सफलता मिली थी. तब आरजेडी के सुदय यादव उर्फ कुमार कृष्ण मोहन ने बीजेपी के अभिराम शर्मा को 35,036 मतों से हराया था. इसी प्रकार 2019 में बेलहर विधानसभा उपचुनाव में भी आरजेडी के रामदेव यादव ने जेडीयू प्रत्याशी लालधारी यादव को 19,231 वोटों से हराया था. उसी साल सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा उपचुनाव सीट पर आरजेडी के जफर आलम ने जेडीयू के डॉ. अरूण कुमार को 15,505 मतों से पराजित किया था.

सहानुभूति वोट से सफर आसान: राजनीतिक मामलों के जानकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि विधानसभा के जो भी उपचुनाव होते हैं, उनमें सहानुभूति वोटों की अहम भूमिका होती है. लोग स्थानीय बातों के अलावा दिवगंत सांसद या विधायक के परिवार के पक्ष में भी वोटिंग करते हैं. हाल ही में बोचहां विधानसभा उपचुनाव में आरजेडी के पक्ष में जो परिणाम गया है, उसमें 'ए टू जेड' की बातें कही जा रही है लेकिन मेरा ऐसा मानना है कि इसमें 'ए टू जेड' जैसी कोई बात नहीं है. हां स्थानीय समीकरणों का इसमें जरूर बड़ा रोल होता है.

आरजेडी को भूमिहार समाज का साथ?: रवि उपाध्याय कहते हैं कि उपचुनाव में आम तौर पर स्थानीय समीकरण और सहानुभूति वोटों का ही अधिक महत्व रहता है. इससे यह निष्कर्ष निकालना थोड़ा मुश्किल होता है कि कोई बड़ा वर्ग विशेष किसी खास पार्टी के पक्ष में खड़ा हो गया है. वह कहते हैं कि पिछले साल तारापुर और कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में जेडीयू की जीत हुई थी. वहां पर भी सहानुभूति वोट ही प्रत्याशियों को प्राप्त हुए थे. वह यह भी कहते हैं कि आरजेडी के साथ 'भूरा बाल' साफ करो जैसे नारे देने का भी राजनीतिक आरोप लगते रहते हैं. इसमें भूमिहार समाज भी समाहित है. अगड़ी जातियों और पिछड़ी जातियों में भी राजनैतिक टकराव की बातें आती रही हैं. इसलिए ऐसे में यह कह पाना थोड़ी जल्दबाजी होगी कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) के 'ए टू जेड' में भूमिहार समाज अपना उदार रूख दिखा रहा है.

आरजेडी का दावा: वहीं, आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि विधानसभा उपचुनाव में लोग सरकार के खिलाफ वोट करते हैं. आंकड़ें गवाह हैं कि हमारी पार्टी को सफलता मिलती रही है. हर चुनाव एक नया चुनाव होता है और एक नया मुद्दा होता है. बोचहां की हमारी जीत में हमारा मार्जिन बहुत अधिक रहा है, जबकि 2021 के तारापुर और कुशेश्वरस्थान विधानसभा उपचुनाव में जेडीयू की जीत का मार्जिन बहुत कम रहा था.

जेडीयू का पलटवार: उधर, जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा कहते हैं कि जब भी कोई विधानसभा उपचुनाव होता है तो वहां पर किसी विधायक के दिवंगत होने के बाद उसके परिवार के सदस्य को टिकट मिलता है. कई उपचुनाव में ऐसे ट्रेंड देखने को मिले हैं, जिसमें दिवंगत विधायक के परिवार को जीत मिली है. कुशेश्वरस्थान और तारापुर में जनादेश हमारे साथ था. वह कहते हैं कि अब आरजेडी यह कह रहा है कि हम 'ए टू जेड' की बात करते हैं. चलिए कम से कम इतना तो आरजेडी के नेताओं ने माना कि वह पहले 'ए टू जेड' की पार्टी नहीं थी.

आरजेडी को ए टू जेड का मिला साथ: दिल्ली से लौटने के बाद पटना एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा बोचहां उपचुनाव की जीत जनता और जनहित के मुद्दों की जीत है. उन्होंने कहा कि जिस तरह आम जनता मंहगाई और बेरोजगारी से परेशान है, वैसे में हमें जनता ने अपना समर्थन दिया है. तेजस्वी ने दावा किया है कि आरजेडी को 'ए टू जेड' यानी हर जाति-धर्म और वर्ग का साथ मिला है. उन्होंने कहा कि जिस बड़े अंतर से आरजेडी कैंडिडेट ने वहां जीत दर्ज की है, उससे साफ पता चलता है कि हमें सभी लोगों का वोट मिला है.

बोचहां में आरजेडी की जीत: आपको बता दें कि उपचुनाव में सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी पार्टी आरजेडी के बीच सीधा मुकाबला था. वीआईपी पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटी थी लेकिन बोचहां की जनता ने मुसाफिर पासवान के बेटे और आरजेडी उम्मीदवार अमर पासवान को विधायक चुना. उपचुनाव में दो छोटे दलों ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के शीर्ष नेताओं को मुश्किल में डाल दिया. जेडीयू के चलते जहां चिराग पासवान को एनडीए छोड़ना पड़ा वहीं बीजेपी के चलते मुकेश सहनी को एनडीए छोड़ना पड़ा. उपचुनाव में दोनों दलों ने पैंतरा बदला और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को सीट गंवानी पड़ी. अमर पासवान को 82562 वोट मिले हैं. वहीं, बीजेपी की बेबी कुमारी को 45909 वोट और वीआईपी की गीता कुमारी को 29279 वोट मिले.

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