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सब शांति-शांति है... क्या बिहार में सियासी तूफान आने वाला है? - मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

फिलहाल बिहार में सियासी खामोशी है. सत्तापक्ष और विपक्ष, दोनों एक दूसरे को देख रहे हैं और इंतजार कर रहे हैं कि पहले कौन चाल चलता है. इसके बाद तो...

political fight between tejashwi and nitish kumar
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Published : Mar 30, 2021, 4:53 PM IST

Updated : Mar 30, 2021, 5:21 PM IST

पटना. होली खत्म, ऐसे में एक-दो दिन बाद बिहार की सियासत एक बार फिर गरमाने वाली है. बिहार विधानसभा घेराव के दौरान हुए बवाल के बाद 307 के तहत दर्ज एफआईआर पर तिखी राजनीति का होने का अनुमान लगाया जा रहा है. हालांकि अभी तक दोनों तरफ खामोशी है. ऐसे में माना जा रहा है ये शांति तूफान आने से पहले की है.

आर-पार के मूड में विपक्ष
बिहार विधानसभा में विपक्षी विधायकों से बदसलूकी को लेकर आरजेडी के साथ पूरा विपक्ष आर-पार के मूड में है. वहीं 23 मार्च को विधानसभा घेराव के दौरान हुए हिंसक झड़प को लेकर तेज-तेजस्वी समते आरजेडी के 21 सीनियर नेताओं पर 307 ( हत्या के प्रयास ) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

ये भी पढ़ें- विधानसभा हंगामा: पुलिस ने पार की थी 'लक्ष्मण रेखा', मुख्यमंत्री ने स्पीकर के पाले में डाली गेंद

कोर्ट से ही मिल सकती है जमानत
आरजेडी के 21 सीनियर नेताओं पर 307 के तहत मामला दर्ज किया गया है. ऐसे में इसकी जमानत कोर्ट से ही मिल सकती है. हालांकि 26 मार्च की शाम आरजेडी नेताओं की बैठक राबड़ी आवास पर हुई थी. इस बैठक में तय किया गया कि आरजेडी को कोई भी नेता कोर्ट में जमानत कराने नहीं जाएंगे. इस फैसले से साफ हो गया है कि विपक्ष, खासकर आरजेडी करो या मरो वाला तेवर में रहेगा. माना जा रहा कि अगले एक-दो दिन में आरजेडी अपने सहयोगियों के साथ बैठक करेगी और आगे की आंदोलन की रणनीति बनाएगी.

ये भी पढ़ें- इस बार सदन में सबकुछ हुआ जो नहीं होना चाहिए था, बवाल..हाथापाई और हंगामे के बीच बजट सत्र समाप्त

आपा खोते दिखे सीएम नीतीश
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच तल्खियां बढ़ती ही जा रही है. इसकी शुरुआत तब हुई, जब 16 नवंबर तेजस्वी यादव की अगुवाई में विपक्ष ने नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार किया था. तब से लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आए दिन टकराव बढ़ने लगे. अमूमन शांत रहने वाले सीएम नीतीश कुमार भी कई मौकों पर आपा खोते दिखे. उनके चिड़चिड़ेपन को भी लोगों ने देखा.

ये भी पढ़ें- 100 साल के इतिहास में ना भूलने वाला दर्द दे गया है बिहार विधानसभा का बजट सत्र

वर्षों बाद मिला मजबूत विपक्ष
बिहार में वर्षों बाद एक मजबूत विपक्ष मिला है. 90 के दशक के बाद से लगातार बिहार में सत्ता पक्ष बेहद मजबूत बहुमत के साथ रहा है. नीतीश कुमार को बतौर सीएम अपने कार्यकाल में कभी नंबर के हिसाब से इतने मजबूत विपक्ष का सामना नहीं करना पड़ा. इस बार 243 सीटों वाली राज्य विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच महज 15 सीटों का अंतर है. सत्ता पक्ष के असहज महसूस करने का यह भी एक वजह है. विपक्ष हमेशा अपना बाहुबल साबित करने की फिराक में रहता है.

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बदल गई है पूरी टीम
बिहार में बढ़ती सियासी सरगर्मी की वजह यह भी है कि बीजेपी और आरजेडी की लगभग पूरी टीम बदल गई है. बीजेपी ने जहां चेहरे बदल दिए, वहीं आरजेडी की कमान बदल गई है. इस तरह से सूबे की सियासत का पूरा गणित ही बदल गया है. माना जा रहा है कि नई पीढ़ी भी बिहार में बढ़ती सियासी तल्खी का मुख्य कारण है. हालांकि अभी बिहार में सब शांति-शांति है लेकिन ये शांति बता रहा कि तूफान आने वाला है.

पटना. होली खत्म, ऐसे में एक-दो दिन बाद बिहार की सियासत एक बार फिर गरमाने वाली है. बिहार विधानसभा घेराव के दौरान हुए बवाल के बाद 307 के तहत दर्ज एफआईआर पर तिखी राजनीति का होने का अनुमान लगाया जा रहा है. हालांकि अभी तक दोनों तरफ खामोशी है. ऐसे में माना जा रहा है ये शांति तूफान आने से पहले की है.

आर-पार के मूड में विपक्ष
बिहार विधानसभा में विपक्षी विधायकों से बदसलूकी को लेकर आरजेडी के साथ पूरा विपक्ष आर-पार के मूड में है. वहीं 23 मार्च को विधानसभा घेराव के दौरान हुए हिंसक झड़प को लेकर तेज-तेजस्वी समते आरजेडी के 21 सीनियर नेताओं पर 307 ( हत्या के प्रयास ) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

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कोर्ट से ही मिल सकती है जमानत
आरजेडी के 21 सीनियर नेताओं पर 307 के तहत मामला दर्ज किया गया है. ऐसे में इसकी जमानत कोर्ट से ही मिल सकती है. हालांकि 26 मार्च की शाम आरजेडी नेताओं की बैठक राबड़ी आवास पर हुई थी. इस बैठक में तय किया गया कि आरजेडी को कोई भी नेता कोर्ट में जमानत कराने नहीं जाएंगे. इस फैसले से साफ हो गया है कि विपक्ष, खासकर आरजेडी करो या मरो वाला तेवर में रहेगा. माना जा रहा कि अगले एक-दो दिन में आरजेडी अपने सहयोगियों के साथ बैठक करेगी और आगे की आंदोलन की रणनीति बनाएगी.

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आपा खोते दिखे सीएम नीतीश
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच तल्खियां बढ़ती ही जा रही है. इसकी शुरुआत तब हुई, जब 16 नवंबर तेजस्वी यादव की अगुवाई में विपक्ष ने नीतीश कुमार की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार किया था. तब से लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आए दिन टकराव बढ़ने लगे. अमूमन शांत रहने वाले सीएम नीतीश कुमार भी कई मौकों पर आपा खोते दिखे. उनके चिड़चिड़ेपन को भी लोगों ने देखा.

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वर्षों बाद मिला मजबूत विपक्ष
बिहार में वर्षों बाद एक मजबूत विपक्ष मिला है. 90 के दशक के बाद से लगातार बिहार में सत्ता पक्ष बेहद मजबूत बहुमत के साथ रहा है. नीतीश कुमार को बतौर सीएम अपने कार्यकाल में कभी नंबर के हिसाब से इतने मजबूत विपक्ष का सामना नहीं करना पड़ा. इस बार 243 सीटों वाली राज्य विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच महज 15 सीटों का अंतर है. सत्ता पक्ष के असहज महसूस करने का यह भी एक वजह है. विपक्ष हमेशा अपना बाहुबल साबित करने की फिराक में रहता है.

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बदल गई है पूरी टीम
बिहार में बढ़ती सियासी सरगर्मी की वजह यह भी है कि बीजेपी और आरजेडी की लगभग पूरी टीम बदल गई है. बीजेपी ने जहां चेहरे बदल दिए, वहीं आरजेडी की कमान बदल गई है. इस तरह से सूबे की सियासत का पूरा गणित ही बदल गया है. माना जा रहा है कि नई पीढ़ी भी बिहार में बढ़ती सियासी तल्खी का मुख्य कारण है. हालांकि अभी बिहार में सब शांति-शांति है लेकिन ये शांति बता रहा कि तूफान आने वाला है.

Last Updated : Mar 30, 2021, 5:21 PM IST
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