पटना: पटना विश्वविद्यालय में वार्षिक दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया. जिसमें बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चौहान (Bihar Governor Phagu Chauhan), शिक्षा मंत्री विजय कुमार शामिल हुए. इसमें कुल 1330 छात्र छात्राओं को डिग्री प्रदान की गई. जिसमें से 166 शोध छात्र-छात्राओं को पीएचडी की उपाधि दी गई. साथ ही विभिन्न विषयों में पास आउट छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल एवं अन्य सर्टिफिकेट दिए गए हैं.
''2013 में मॉस्टर्स की डिग्री मिलने के बाद मैंने पीएचडी में दाखिला लिया और 2019 में अपना पेपर सब्मिट किया. कोरोना के कारण पीएचडी डिग्री मिलने में विलंब हो गया लेकिन अब जब मिला है तो काफी खुशी महसूस हो रही है. अभी के समय वह पटना विश्वविद्यालय में ही गेस्ट फैकल्टी के तौर पर कार्यरत हूं और अब डिग्री मिलने के बाद आने वाले दिनों में स्थाई प्रोफेसर के लिए जब भी बहाली आएगी तो उसमें अप्लाई करेंगे.'' - डॉक्टर व्योमेश वैभव, बॉयो केमेस्ट्री में पीएचडी
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पटना विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह (Patna University Convocation) को संबोधित करते हुए राज्यपाल फागू चौहान ने कहा, ''नई शिक्षा नीति का उद्देश्य 21 वीं सदी की जरूरतों एवं चुनौतियों को ध्यान में रखकर स्कूल और कॉलेज की शिक्षा को अधिक समग्र बनाते हुए भारत को एक ज्ञान आधारित जीवंत समाज और ज्ञान की वैश्विक महाशक्ति में बदलना है. उन्होंने कहा कि बिहार के शैक्षणिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं आर्थिक विकास की दशा एवं दिशा तय करने में पटना विश्वविद्यालय (Patna University) का अमूल्य योगदान रहा है. पटना विश्वविद्यालय भारतीय उपमहाद्वीप का आठवां सबसे पुराना विश्वविद्यालय है, जिसका इतिहास सीधे तौर पर आधुनिक बिहार के इतिहास से जुड़ा हुआ है. इस विश्वविद्यालय ने विगत 105 वर्षों में अनेक विभूतियों को तैयार किया है, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में बिहार एवं देश को एक नई राह दिखाई है.''
''पटना विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में आज भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है और यहां के विद्वान शिक्षकों के कुशल मार्गदर्शन में विद्यार्थीगण अपनी मेहनत से प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं. बिहार एक प्रतिभा सम्पन्न राज्य है जहां के युवा देश-विदेश में परचम लहरा रहे हैं, लेकिन आज उच्च शिक्षा को रोजगारपरक बनाने के लिए गंभीर प्रयास करने की आवश्यकता है. इसके लिए व्यावसायिक शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण को उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाय.'' - फागू चौहान, राज्यपाल
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राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भी इस बात पर जोर दिया गया है. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य 21 वीं सदी की जरूरतों एवं चुनौतियों को ध्यान में रखकर स्कूल और कॉलेज की शिक्षा को अधिक समग्र बनाते हुए भारत को एक ज्ञान आधारित जीवंत समाज और ज्ञान की वैश्विक महाशक्ति में बदलना है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के लागू होने पर शिक्षकों का उत्तरदायित्व काफी बढ़ जायेगा. शिक्षकों को नवीनतम जानकारी रखनी होगी, नई तकनीकों को नियमित रूप से सीखना होगा तथा प्रासंगिक बने रहने के लिए वैश्विक शिक्षण समुदाय के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन और इसके उद्देश्यों की पूर्ति में पटना विश्वविद्यालय महžवपूर्ण भूमिका निभायेगा.
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वहीं, प्रदेश के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि पिछली बार जब वह दीक्षांत समारोह में शामिल हुए तो विश्वविद्यालय के लिए प्रशासनिक एवं एकेडमिक भवन की डिमांड की गई. जिसके बाद उन्होंने सरकार से इसकी स्वीकृति दिलाई और अब विश्वविद्यालय के लिए प्रशासनिक और एकेडमिक भवन के लिए सरकार द्वारा 149 करोड़ के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया गया है, और जल्द ही इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी. उन्होंने कहा कि कोई भी विश्वविद्यालय बड़ा और गौरवशाली विश्वविद्यालय तभी बनता है, जब वहां के छात्र सफलता के परचम लहराते हैं. विश्वविद्यालय की पहचान छात्रों की सफलता और शिक्षकों के शिक्षण कौशल के बदौलत होता है.
''विश्वविद्यालय में शिक्षा बेहतर हो, इसके लिए जरूरी है कि कक्षा और परीक्षा समय पर हो यानी समय पर कक्षाएं चले समय पर परीक्षाएं आयोजित की जाए और समय पर छात्रों को डिग्री मिले. पटना विश्वविद्यालय प्रदेश का प्रीमियर विश्वविद्यालय है और अन्य विश्वविद्यालय को रास्ता दिखाने का काम करता है. कोरोना के कारण भी विगत वर्षों में कई विश्वविद्यालयों में कक्षा और परीक्षा के संचालन में विलंब हुई है, जिसे ठीक किया जा रहा है. आने वाले दिनों में प्रदेश में उच्च शिक्षा में दिखने वाला सुधार नजर आएगा.'' - विजय चौधरी, शिक्षा मंत्री
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पटना विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अरुण कुमार सिंह भी शामिल हुए. उन्होंने कहा कि, जब वह विश्वविद्यालय के छात्र थे तब से अभी तक विश्वविद्यालय में काफी बदलाव आया है. उन्हें एक चीज की अभी भी जरूरत महसूस होती है. जिस तरह से पहले पटना साइंस कॉलेज में इंटरमीडिएट की पढ़ाई होती थी तो मैट्रिक पास करने के बाद प्रदेश भर के मेहनती छात्र साइंस कॉलेज में दाखिला लेते थे और उसके बाद इंजीनियरिंग और मेडिकल समेत अन्य क्षेत्रों में आगे जाते थे. लेकिन अब सब कुछ बदल गया है.
''अब विश्वविद्यालय से इंटरमीडिएट की पढ़ाई हट गई है. ऐसे में विश्वविद्यालय को मेरीटोरियस ब्रेन कम मिल रहे हैं. इसी के साथ छात्र विभिन्न जगहों पर इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने के लिए निकल जा रहे हैं. इन दिनों जनरल स्टडीज के प्रति भी मेधावी छात्रों का आकर्षण कम हुआ है और वह प्रोफेशनल और वोकेशनल कोर्स चुन रहे हैं. जिसका असर है कि 1987 के समय यूपीएससी परीक्षा में पटना विश्वविद्यालय के 17 छात्रों ने क्वालीफाई किया और आज के समय में विरले ही कभी 1-2 छात्र यूपीएससी क्वालीफाई करते दिखते हैं.'' - अरुण कुमार सिंह, चेयरमैन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड
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