पटनाः स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में पटना का रैंक बेहतर मिल सके. जिसको लेकर नगर निगम की तरफ से लोगों को जागरूक करने के लिए कैंपेनिंग की जा रही है. निगम प्रशासन का दावा है कि इस बार भारत सरकार द्वारा जो भी रैंकिंग जारी की जाएगी. उसपर पटना बेहतर करेगा. पटना वासियों की तरफ से निगम को सहयोग भी मिल रहा है.
पिछले साल 2020 में भारत सरकार द्वारा जारी स्वच्छता सर्वेक्षण की रैंकिंग में पटना को 105वां स्थान मिला था. जिसके बाद सबसे गंदे शहरों की श्रेणी में शामिल हो जाने की वजह से नगर निगम की काफी किरकिरी हुई थी. गंदा शहर होने की वजह से विपक्ष लगातार सरकार और निगम प्रशासन के कार्यों पर भी सवाल उठा रहा था.
लिया जा रहा नुक्कड़ नाटकों का सहारा
इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में पटना बेहतर कर सके, रैंक में सुधार हो. इसके लिए सरकार एवं निगम प्रशासन की तरफ से कई सारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. लोगों को जागरूक करने के लिए निगम प्रशासन नुक्कड़ नाटक का सहारा ले रहा है. साथ ही फिल्म अभिनेता संजय मिश्रा को पटना नगर निगम ने अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाया है. कुछ दिन पहले संजय मिश्रा पटना की सड़कों पर मलिन बस्तियों में जाकर झाड़ू लगाते हुए नजर आए. साथ ही वे लोगों को साफ-सफाई को लेकर जागरूक करते हुए भी दिखे. इसके अलावा पटना नगर निगम की तरफ से कई सारी पेंटिंग प्रतियोगिता भी कराई जा रही है. ताकि बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक अपना शहर पटना को साफ रखने में निगम की मदद करे.
हरसंभव प्रयास कर रहा निगम
साफ-सफाई की बात करें तो पटना नगर निगम लगातार डोर टू डोर कचरा उठाव का भी कार्य कर रहा है. इसके अलावा शहर के सभी बड़े सड़कों को सुबह झाड़ू लगवाया जा रहा है. ताकि सड़क भी गंदा न रहे. स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 मैं रैंकिंग में सुधार को लेकर नगर निगम की पीआरओ हर्षिता चौहान बताती हैं, स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 को लेकर पटना के सिटीजन कार्य शुरू हो गया है. लोगों से 8 सवाल सरकार पूछ रही है. जिसका जवाब उन्हें देना है. उनका जवाब स्वच्छता सर्वेक्षण के पोर्टल पर या फिर माई जिओ के पोर्टल पर जाकर या फिर स्वच्छता सर्वेक्षण सर्वेक्षण के एप पर भी अपना जवाब दे सकते हैं.
ऐसे तय होगी स्वच्छता रैंकिंग
शहर की रैंकिंग शहरवासियों के ही 8 सवालों के जवाब से मिलेगी. उन सवालों में से सार्वजनिक शौचालय से लेकर साफ-सफाई की क्या व्यवस्था निगम की तरफ से कैसे की जा रही है. तमाम सवालात हैं. 0 से लेकर 10 नंबर तक अंक लोगों को देना है. उसी के आधार पर सर्वेक्षण की रेटिंग तय होगी. इसके अलावा लोगों से निगम की तरफ से सोशल मीडिया के माध्यम से अपील की जा रही है कि उनका शहर कितना साफ है. अपने शहर की रैंकिंग को बेहतर करने के लिए इस प्रश्नों का जवाब जरूर दें. इनके ही आधार पर सरकार द्वारा हमें रैंक निर्धारित की जाएगी.
आम लोगों से निगम ये पूछ रहा है प्रश्न
- क्या आपको पता है कि आपका शहर स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में भाग ले रहा है?
- क्या आपको पता है कि स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में आपके शहर की रैंकिंग क्या है?
- आस-पास की साफ-सफाई पर आप अपने शहर को 0-10 में से कितने अंक देना चाहेंगे?
- शहर के सार्वजनिक/व्यावसायिक स्थानों की स्वच्छता पर आप 0-10 में से कितने अंक देना चाहेंगे?
- क्या कचरा संग्रहक द्वारा आपसे गीला और सूखा कचरा अलग-अलग देने को कहा जाता है?
- अपने शहर के सार्वजनिक/सामुदायिक शौचालय एवं यूरिनल की स्वच्छता पर आप 0-10 में से कितने अंक देना चाहेंगे?
- क्या आपको पता है कि आप गूगल पर नजदीकी शौचालय की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं?
- क्या आपको पता है कि आप स्वच्छता ऐप अथवा सिटी ऑफ पटना ऐप के माध्यम से स्वच्छता संबंधी शिकायत कर सकते हैं?
जागरुकता के लिए बड़े-बड़े होर्डिंग
इसके अलावा लोगों को जागरूक करने के लिए निगम हर अंचल कार्यालय स्तर पर सड़क किनारे होर्डिंग लगा कर लोगों को जागरूक कर रही है. शहर की रैंकिंग में सुधार को लेकर निगम लोगों से मदद मांग रहा है. अपील भी कर रहा है कि वे शहर को साफ रखें. किसी भी तरह की गंदगी ना फैलाएं. निगम प्रशासन की तरफ से बताया जा रहा है कि इस बार शहरवासियों की तरफ से निगम को सहयोग मिल रहा है. जनता जागरूक है. फीडबैक देने के लिए लोग अंक भी दे रहे हैं.
अंकों में होगा नगर निकायों का मूल्यांकन
हम आपको बता दें कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 के अंतर्गत देशभर के नगर निकायों का मूल्यांकन विभिन्न मापदंडों के आधार पर अंकों में किया जाएगा. इसमें 600 अंक आम जन की राय एवं 450 अंक स्वच्छता में आम जन के सहयोग पर निर्भर करता है. यही नहीं, उनके द्वारा स्वच्छता ऐप का इस्तेमाल करने पर 350 अंक एवं उनके द्वारा स्वच्छता हेतु किए गए प्रयास पर 40 अंक प्राप्त होंगे. इसी तरह, किसी भी शहर की रैंकिंग बहुत हद तक वहां रहने वाले लोगों पर भी निर्भर करती है. अब देखने वाली बात होगी कि निगम प्रशासन के तरफ से स्वच्छता सर्वेक्षण में परिणाम को लेकर जो दावा किया जा रहा है. वह कितना सही होता है. क्योंकि निगम हर साल जो दावा करता है. उस दावे के अनुरूप भारत सरकार द्वारा जो रैंक नहीं मिल पाता है.