पटना: केरल की मूल निवासी सुधा वर्गिज पिछले पैंतीस सालों से बिहार में रह कर झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों, लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही हैं.
शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए पद्मश्री से हुईं सम्मानित
भारत सरकार ने इन इलाकों में शिक्षा के लिए उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें पद्मश्री अवार्ड से नवाजा है. वहीं बिहार सरकार ने भी इन्हें मौलाना अब्दुल कलाम अवार्ड से सम्मानित किया. आज सुधा वर्गिज महिलाओं के लिए रोल मॉडल बन गई हैं, जिन्हें लोग प्यार से साइकिल दीदी भी बुलाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने साइकिल चला कर ही गांव कि पंगडंडियो का सफर तय किया, और गरीबों, झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाली महिलाओं को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाने में जुटी हैं.
कई एनजीओ का किया गठन
स्नातक और एलएलबी डिग्री धारी सुधा वर्गीज ने 1980 के दशक में नारी गुंजन एनजीओ का गठन किया. राज्य के 5 जिलों में सक्रिय एनजीओ ने वर्ष 2005 में दानापुर में एक प्रेरणा नाम से विद्यालय की स्थापना की जिसमें लड़कियों के लिएछात्रावास की सुविधा है.बाद में इस विद्यालय श्रृंखला में कई और संस्थानों की स्थापना की गई. वर्तमान में 3000 से अधिक छात्राएं यहां पढ़ाई कर रही हैं.
पद्मश्री सुधा वर्गीज किसी परिचय की मोहताज नहीं
आज पद्मश्री सुधा वर्गीज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों के लिए समर्पित कर दिया. महानायक अमिताभ बच्चन कई हस्तियों ने इन्हे सम्मानित किया है. मुसहर समुदाय की कठिनाइयों को देखते हुए उन्होंने तय किया कि उनको न सिर्फ शिक्षा देगी बल्कि उनके उत्थान के लिए भी काम करेंगी. इसके बाद शुरू हुआ कारवां जो लगातार चल रहा है. मौजूदा समय में राज्य में लगभग 900 स्वयं सहायता समूह उनकी प्रेरणा पर काम कर रहे हैं.