पटना: बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र (Bihar Legislature Winter Session) शुक्रवार को समाप्त हो गया. 5 दिनों के इस सत्र में चार विधेयक विधान परिषद से पारित हुए. सभापति ने पहली बार नेवा सॉफ्टवेयर के प्रयोग से हुए फायदे गिनाए हैं. वहीं विपक्ष ने छोटे शीतकालीन सत्र पर सवाल खड़ा किया. सीएजी रिपोर्ट और अनुपूरक बजट पर भी विपक्ष ने सरकार पर सवाल खड़े किए.
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बिहार विधान परिषद के 199वें सत्र के समापन पर कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि, 'सत्र में कुल 5 बैठकें हुई हैं और इस सत्र के लिए 175 प्रश्नों की सूचना प्राप्त हुई. जिनमें से 165 प्रश्नों को स्वीकृत किया गया. कुल 62 प्रश्नों के उत्तर हुए हैं. जिन प्रश्नों के उत्तर नहीं हो पाए हैं, उन्हें आगामी सत्र के लिए अनुशंसा की गई है. पहली नेवा सॉफ्टवेयर की वजह से बेहद तेजी से काम हुआ है. ज्यादातर सवालों के जवाब ऑनलाइन उपलब्ध थे. इसलिए ज्यादा सवाल लिए जा सके और हमें पूरा समय मिला. इससे आगे सदन के संचालन में और आसानी होगी.'
'विपक्ष ज्यादा सवाल ना पूछ पाए इसीलिए सत्र को छोटा रखा गया. जब बजट के पूरे पैसे खर्च ही नहीं हुए तो फिर अनुपूरक बजट क्यों लाया गया. हमने जब सवाल पूछा तो उसका जवाब भी नहीं दिया गया.' -रामबली चंद्रवंशी, राजद एमएलसी
'सत्र बड़ा होना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा जनता से जुड़े प्रश्न आ सकें. सीएजी रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र है कि जो पैसे खर्च हुए हैं, उनका कोई हिसाब-किताब नहीं है. 12 से ज्यादा विभागों का पैसा पूरा बचा हुआ है. फिर अनुपूरक बजट की जरूरत क्यों पड़ी. वित्तीय प्रबंधन में यह सरकार पूरी तरह फेल साबित हुई है.' -प्रेमचंद्र मिश्र, कांग्रेस एमएलसी
'विपक्ष को इस बात से सीख लेनी चाहिए कि छोटे सत्र का संचालन कितनी अच्छे तरीके से हुआ है. कितनी शांति से हुआ है. जनता से जुड़े मुद्दे पर सरकार की ओर से उत्तर आए और यही इस सत्र की सबसे बड़ी खासियत रही.' -जनक राम, मंत्री बिहार सरकार
'छोटे सत्र को लेकर विपक्ष सवाल कैसे खड़ा कर सकता है. क्योंकि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में वे लोग भी शामिल होते हैं तो उन्हें पहले से पता होता है कि सत्र कितने दिनों का होगा. बिहार में जितने काम हुए हैं उतने कांग्रेस शासित किसी राज्य में नहीं हुए. कोरोना काल में लोगों की मदद की गई और बहुत जल्द सोलर लाइट से पूरा बिहार रोशन होगा यह भी विपक्ष को दिखेगा.' -नीरज कुमार, जदयू एमएलसी
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